लेखन

लेखन मानव भाषा का स्थायी प्रतिनिधित्व बनाने का कार्य है।भारत में लेखन ३३०० ईपू का है। सबसे पहले की लिपि ब्राह्मी लिपि थी, उसके पश्चात सरस्वती लिपि आई।देवनागरी लिपि, गुरुमुखी लिपि, आदि भी प्रसिद्ध लिपियाँ हैं।लेखन से ज्ञान-परिवर्तनकारी प्रभाव भी हो सकते हैं, क्योंकि यह मनुष्य को अपने विचारों को ऐसे रूपों में व्यक्त करने की अनुमति देता है, जिन पर चिंतन करना, विस्तार से बताना, पुनर्विचार करना और संशोधन करना आसान होता है।[1][2][3]

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

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