भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, (संक्षिप्त में, भा॰रा॰कां॰) अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।[13] इसके संस्थापकों में ए॰ ओ॰ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे।[14] 19वीं सदी के आखिर में और शुरूआत से लेकर मध्य 20वीं सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने 1.5 करोड़ से अधिक सदस्यों और 7 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केंद्रीय भागीदार बनी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | |
---|---|
संक्षेपाक्षर | आईएनसी |
नेता | राहुल गांधी |
दल अध्यक्ष | मल्लिकार्जुन खड़गे |
संसदीय दल अध्यक्ष | सोनिया गांधी |
नेता लोकसभा | अधीर रंजन चौधरी |
नेता राज्यसभा | मल्लिकार्जुन खड़गे (विपक्ष के नेता) |
गठन | 28 दिसम्बर 1885 |
मुख्यालय | २४, अकबर रोड, नई दिल्ली, ११०००१ |
गठबंधन |
|
लोकसभा मे सीटों की संख्या | 51 / 543 |
राज्यसभा मे सीटों की संख्या | 29 / 245 |
राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या | 676 / 4,036 |
विचारधारा |
|
प्रकाशन |
|
रंग | आसमानी नीला |
विद्यार्थी शाखा | नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया |
युवा शाखा | भारतीय युवा काँग्रेस |
महिला शाखा | ऑल इंडिया महिला कांग्रेस |
श्रमिक शाखा | इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस |
किसान शाखा | किसान और खेत मजदूर कांग्रेस |
जालस्थल | inc.in |
Election symbol | |
भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव |
1947 में स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर 2014 तक, 16 आम चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल 49 वर्षों तक वह केंद्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (1947-64), लाल बहादुर शास्त्री (1964-66), इंदिरा गांधी (1966-77,1980-84) राजीव गांधी (1984-89) पी.वी. नरसिम्हा राव (1991-96) और मनमोहन सिंह (2004-2014) थे। 2014 के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में केवल 44 सीट जीती। तब से लेकर अब तक कांग्रेस कई विवादों में घिरी हुई ह
इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का इतिहास दो विभिन्न काल से गुज़रता हैं।
- भारतीय स्वतन्त्रता से पूर्व - जब यह पार्टी स्वतन्त्रता अभियान की संयुक्त संगठन थी।
- भारतीय स्वतन्त्रता के बाद - जब यह पार्टी भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान पर विद्यमान रही हैं।
कांग्रेस की स्थापना के पूर्व स्थापित राजनीतिक संगठन
संगठन | संस्थापक | वर्ष | स्थान |
---|---|---|---|
लैंडहोल्डर्स सोसाइटी (ज़मींदारी एसोसिएशन) | द्वारकानाथ ठाकुर | 1838 | कलकत्ता |
बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी | जॉर्ज थॉमसन | 1843 | कलकत्ता |
ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन | द्वारकानाथ ठाकुर | 1851 | कलकत्ता |
मद्रास नेटिव एसोसिएशन | गज़ुलु लक्ष्मीनारसु चेट्टी | 1849 | मद्रास |
बॉम्बे एसोसिएशन | जगन्नाथ शंकशेत | 1852 | बॉम्बे |
ईस्ट इंडिया एसोसिएशन | दादाभाई नौरजी | 1866 | लंदन |
नेशनल इंडियन एसोसिएशन | मैरी कारपेंटर | 1867 | लंदन |
पूना सार्वजनिक सभा | न्यायमूर्ति रानाडे | 1870 | पूना |
भारतीय समाज | आनन्द मोहन बोस | 1872 | लंदन |
इंडियन लीग | शिशिर कुमार घोष | 1875 | कलकत्ता |
इंडियन एसोसिएशन | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनन्द मोहन बोस | 1876 | कलकत्ता |
भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनन्द मोहन बोस | 1883 | कलकत्ता |
मद्रास महाजन सभा | जी एस अय्यर, एम वीरराघवचारी, आनन्द चार्लू | 1884 | मद्रास |
बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन | फिरोज शाह मेहता, केटी तलांग, बदरुद्दीन तैयबजी | 1885 | बॉम्बे |
स्वतन्त्रता संग्राम
स्थापना
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बम्बई (मुम्बई) के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था।[15]
प्रारम्भिक वर्ष
1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे - गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकिय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।
काँग्रेस एक जन आंदोलन के रूप में
परन्तु १९१५ में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। १९१९ में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी जी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत, पर्दाप्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।[16]
राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए काँग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गाँधीजी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे बाल गंगाधर तिलकके स्मरणार्थ तिलक स्वराज कोष का नाम दिया। ४ आना का नाममात्र सदस्यता शुल्क भी शुरू किया गया था।[17][18]
स्वतन्त्र भारत
1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है। इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री,पण्डित नेहरू की पुत्री इन्दिरा गाँधी एवं उनके नाती राजीव गाँधी इसी दल से थे। राजीव गाँधी के बाद सीताराम केसरी काँग्रेस के अध्यक्ष बने जिन्हे सोनिया गाँधी के समर्थकों ने नामंजूर कर दिया तथा सोनिया गाँधी को हाईकमान बनाया, राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी काँग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। कपिल सिब्बल, काँग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राशिद अल्वी, राज बब्बर, मनीष तिवारी आदि काँग्रेस के वरिष्ट नेता हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह भी काँग्रेस से ताल्लुक रखते हैं।
नेहरू/शास्त्री युग
इंदिरा युग
राजीव गाँधी और राव युग
वर्तमान संरचना तथा परिवारवाद
वंशवाद भी देखें
सन 1924 में जब महात्मा गाँधी काँग्रेस के अध्यक्ष बने तब उन्होने इसकी संरचना को एक पदानुक्रमी रूप (hierarchical) प्रदान किया।[19][20]
कांग्रेस की स्थापना -28 December 1885 मुंबई
कांग्रेस के संस्थापक - ए ओ ह्यूम
कांग्रेस के अधिवेशन
वर्ष | स्थान | अध्यक्ष | टिप्पणी |
---|---|---|---|
1885 | मुंबई | व्योमेश चन्द्र बनर्जी(डब्लू0सी0बनर्जी) . ]|| 72 प्रतिनिधि उपस्थित थे। | |
1886 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी | प्रतिनिधियों की संख्या बढकर 436 हो गई। |
1887 | मद्रास | सैयद बद्रूद्दीन तैयबजी | प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष |
1888 | प्रयागराज | जॉर्ज यूल | प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष |
1889 | मुंबई | सर विलियम वेदरबर्न | प्रतिनिधियों की संख्या 1889 हो गई। |
1890 | कलकत्ता | फिरोजशाह मेहता | |
1891 | नागपुर | आनन्दचार्लु | |
1892 | प्रयागराज | व्योमेश चंद्र बनर्जी | |
1893 | लाहौर | दादाभाई नौरोजी | |
1894 | मद्रास | ए.वेब | |
1895 | पुणे | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी | |
1896 | कलकत्ता | एम.रहीमतुल्ला सयानी | पहली बार राष्ट्रीय गीत गाया गया था |
1897 | अमरावती | सी.शंकर नायर | |
1898 | मद्रास | आनंद मोहन बोस | |
1899 | लखनऊ | रोमेश चंद्र बोस | |
1900 | लाहौर | एन.जी. चंदूनरकर | |
1901 | कलकत्ता | ई.दिंशा वाचा | |
1902 | अहमदाबाद | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी | |
1903 | मद्रास | लालमोहन बोस | |
1904 | मुंबई | सर हेनरी कॉटन | |
1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले | बंग भंग आंदोलन का समर्थन स्वदेशी आंदोलन को समर्थन मिला |
1906 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी | 'स्वराज्य' शब्द का प्रथम बार प्रयोग अध्यक्ष द्वारा किया गया। मुस्लिम लीग की स्थापना |
1907 | सूरत | रासबिहारी घोष | कांग्रेस का विभाजन एवं सत्र की समाप्ति। |
1908 | मद्रास | रासबिहरी घोष | कांग्रेस के लिये एक संविधान। |
1909 | लाहौर | मदनमोहन मालवीय | |
1910 | प्रयागराज | सर विलियम वेदरबर्न | |
1911 | कलकत्ता | बिसन नारायण धर | इस अधिवेशन मे पहली बार राष्ट्रगान गाया गया। |
1912 | पटना | आर.एन. मुधालकर | |
1913 | कराची | सैयद मुहम्मद बहादुर | |
1914 | मद्रास | भूपेन्द्रनाथ बोस | |
1915 | मुंबई | सर एस.पी. सिन्हा | |
1916 | लखनऊ | ए.जी. मजुमदार | कांग्रेस का मुस्लिम लीग के साथ मिलना कांग्रेस में गरम दल का विलय। |
1917 | कलकता | श्रीमती एनी बेसेंट | प्रथम महिला अध्यक्ष |
1918 | मुंबई | सैयद हसन इमाम | |
1918 | दिल्ली | मदनमोहन मालवीय | नरमदल वालों जैसे एस.एन.बनर्जी का त्यागपत्र |
1919 | अमृतसर | मोतीलाल नेहरू | |
1920 | नागपुर | सी. विजय राघवाचार्य | कांग्रेस के संविधान में परिवर्तन |
1921 | अहमदाबाद | हकीम अजलम खान (कार्यकारी अध्यक्ष) | अध्यक्ष सी.आर.दास जेल में कैद |
1922 | गया | चित्तरंजन दास | स्वराज्य पार्टी का गठन |
1923 | दिल्ली | अबुल कलाम आज़ाद | सबसे कम उम्र के अध्यक्ष |
1923 | कोकोनाडा | मौलाना मुहम्मद अली | |
1924 | बेलगांव | महात्मा गांधी | |
1925 | कानपुर | सरोजिनी नायडू | प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष |
1926 | गोहाटी | श्रीनिवास अयंगर | |
1927 | मद्रास | एम.ए. अंसारी | जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर पहली बार स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित हुआ। |
1928 | कलकत्ता | मोतीलाल नेहरू | प्रथम अखिल भारतीय युवा कांग्रेस |
1929 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरू | पूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव |
1930 | अधिवेशन नहीं हुआ | जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष बने रहे | |
1931 | कराची | वल्लभ भाई पटेल | मूल अधिकारों तथा राष्ट्रीय आर्थिक नीति प्रस्ताव |
1932 | दिल्ली | आर.डी. अमृतलाल | |
1933 | कलकत्ता | श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता | |
1934 | मुंबई | राजेन्द्र प्रसाद | कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन |
1935 | अधिवेशन नहीं हुआ | राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बने रहे | |
1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू | |
1937 | फैजपुर | जवाहरलाल नेहरू | पहली बार गांव में सत्र हुआ। |
1938 | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस | |
1939 | त्रिपुरी | सुभाष चंद्र बोस | बोस का त्यागपत्र, राजेन्द्र प्रसाद का अध्यक्ष बनना तथा बोस बनना तथा बोस द्वारा फॉरवर्ड ब्लाक का सुभाष चंद्र बोस ने पट्टाभि सीतारमैय्या को पराजित कर के अध्यक्ष बने। |
1940 | रामगढ | अबुल कलाम आजाद | |
1941-45 | अधिवेशन नहीं हुआ | अबुल कलाम आजाद अध्यक्ष बने रहे। | द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण नही हुए |
1946 | मेरठ | जीवटराम भगवानदास कृपलानी | |
1947 | दिल्ली | राजेन्द्र प्रसाद |
कुल अधिवेशन = 61
अवधारणाएँ और नीतियाँ
स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा
सुरक्षा और घरेलू मामले
विदेश नीति
काँग्रेस की नीतियों का विरोध
समय-समय पर विभिन्न नेताओं ने काँग्रेस की नीतियों का विरोध किया और उसे हटाने के लिये संघर्ष किया।[21] इनमें राममनोहर लोहिया का नाम अग्रणी है जो जवाहरलाल नेहरू के कट्टर विरोधी थे। इसके अलावा जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गाँधी की सत्ता को उखाड़ फेंका और एक नया रूप दिया। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफोर्स दलाली काण्ड को लेकर राजीव गाँधी को सत्ता से हटा दिया।Sachin baadshah
लोहिया का 'काँग्रेस हटाओ' आन्दोलन
संयुक्त विधायक दल भी देखें
राम मनोहर लोहिया लोगों को आगाह करते आ रहे थे कि देश की हालत को सुधारने में काँग्रेस नाकाम रही है। काँग्रेस शासन नए समाज की रचना में सबसे बड़ा रोड़ा है। उसका सत्ता में बने रहना देश के लिये हितकर नहीं है। इसलिए लोहिया ने नारा दिया - "काँग्रेस हटाओ, देश बचाओ।"
1967 के आम चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन हुआ। देश के 9 राज्यों - पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गैर काँग्रेसी सरकारें गठित हो गई। लोहिया इस परिवर्तन के प्रणेता और सूत्रधार बने।
जेपी आन्दोलन
सन् 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इन्दिरा गान्धी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया। आन्दोलन को भारी जनसमर्थन मिला। इससे निपटने के लिये इन्दिरा गान्धी ने देश में इमर्जेंसी लगा दी। विरोधी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया। इसका आम जनता में जमकर विरोध हुआ। जनता पार्टी की स्थापना हुई और सन् 1977 में काँग्रेस पार्टी बुरी तरह हारी। पुराने काँग्रेसी नेता मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी किन्तु चौधरी चरण सिंह की महत्वाकांक्षा के कारण वह सरकार अधिक दिनों तक न चल सकी।
भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन
सन् 1987 में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कम्पनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी और उसके प्रधानमन्त्री राजीव गान्धी थे। स्वीडन रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता हैं। इस खुलासे के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन चलाया जिसके परिणाम स्वरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधान मन्त्री बने।
प्रधानमन्त्रियों की सूची
क्र० | प्रधानमन्त्री | वर्ष | अवधि | निर्वाचन क्षेत्र |
---|---|---|---|---|
1 | जवाहरलाल नेहरू | 1947–64 | 17 वर्ष | फूलपुर |
2 | गुलज़ारीलाल नन्दा | 1964, 1966 | 26 दिन | साबरकंठा |
3 | लाल बहादुर शास्त्री | 1964–66 | 2 वर्ष | इलाहाबाद |
4 | इन्दिरा गाँधी | 1966–77, 1980–84 | 16 वर्ष | उत्तर प्रदेश (राज्य सभा), रायबरेली, मेदक |
5 | राजीव गाँधी | 1984–89 | 5 वर्ष | अमेठी |
6 | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव | 1991–96 | 5 वर्ष | नांदयाल |
7 | मनमोहन सिंह | 2004–14 | 10 वर्ष | असम (राज्य सभा) |
8 Narendra Modi 2014- अब तक
राष्ट्रपतियों की सूची
कांग्रेस पार्टी से संबंधित विभिन्न राजनेता राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए, जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं:-
1- डॉ राजेन्द्र प्रसाद (1950- 62)
2- फखरुद्दीन अली अहमद (1974-77)
3- ज़ैल सिंह (1982-87)
4- रामास्वामी वेंकटरमण (1987-92)
5- शंकर दयाल शर्मा (1992-97)
6- के आर नारायणन (1997-2002)
7- प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (2007-2012)
8- प्रणब मुखर्जी (2012-2017)
उपराष्ट्रपतियो की सूची
कांग्रेस पार्टी से संबंधित विभिन्न राजनेता उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए, जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं ।
1- बासप्पा दनप्पा जत्ती (1974-79)
2- रामास्वामी वेंकटरमण (1984-87)
3- शंकर दयाल शर्मा (1987-92)
4- के आर नारायणन (1992-97)
5- हामिद अंसारी (2007-2017)
उपप्रधानमंत्रियो की सूची
1- सरदार वल्लभभाई पटेल (1947-50)
2- मोरारजी देसाई (1967-69)
लोकसभा अध्यक्षो की सूची
कांग्रेस पार्टी को सत्ता मिलने के बाद, पार्टी ने विभिन्न राजनेता लोकसभा स्पीकर के रुप में निर्वाचित हुए, जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं :-
1: गणेश वासुदेव मावलंकर> (1952 - 1956)
2: अनन्त शयनम् अयंगार > (1956 - 1962)
3: सरदार हुकम सिंह> (1962 - 1967)
4: नीलम संजीव रेड्डी> (1967 - 1969)
5: जी. एस. ढिल्लों> (1969 - 1975)
6: बलि राम भगत> (1976 - 1977)
7: मीरा कुमार>(2009-2014)
विपक्ष के नेता
इन्हें भी देखें
उदारवाद प्रवेशद्वार |
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
विकिसूक्ति पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बन्धित उद्धरण हैं। |
Indian National Congress से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |