अकादमिक स्वतंत्रता

अकादमिक स्वतंत्रता (academic freedom) यह सिद्धांत है कि बिना रोक-टोक के प्रशन उठाने की स्वतंत्रता और अध्यापकों, छात्रों व शोधकर्ताओं में अज़ादी से विचारों की अदला-बदली विश्व में विद्या बढ़ाने के लिए आवश्यक है और इस स्वतंत्रता के बिना विद्या खोजने और सिखाने की कोई भी उच्च स्तरीय संस्थान (जैसे कि विश्वविद्यालय) अपने विद्या-अर्जन के ध्येय में पूरी तरह सफल नहीं हो सकती। इसके अनुसार विद्वानों को शोध करने और अपने विचारों को सिखाने और बोलने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए और इसके लिये उन्हें किसी सज़ा, नौकरी-खोने या अन्य दण्ड से सुरक्षित रखना चाहिये।[1][2][3][4]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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