आंबडवे
भारत का गाँव
आंबडवे महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले के मंडणगड तेहसिल में एक छोटा गाँव है। यह गाव मंडणगड तालुका से 17 किलोमीटर दूर हैं।[1] यह भीमराव आम्बेडकर एवं उनके पूर्वजों का मूल गांव हैं, इसलिए यहाँ पुणे की अशोक सर्वांगीण विकास संस्था ने अशोक स्तंभ एवं शीलालेख खडा कर उसे 'स्फूर्तिभूमी' नाम दिया हैं। इस गांव को सासंद अमर साबले ने उनके विकास योजना में शामिल किया हैं।[2][2][3][4]
आंबडवे Ambadawe | |
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गांव | |
निर्देशांक: 18°01′02″N 73°11′20″E / 18.017158°N 73.188997°E 73°11′20″E / 18.017158°N 73.188997°E | |
देश | भारत |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | रत्नागिरी जिला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 240 |
भाषा | |
• औपचारिक | मराठी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पीन | 402307 |
नजदिक का शहर | मंडणगड |
जनगणना
2011 की भारतीय जनगणना के अनुसार आंबडवे गाँव संबन्धि जानकारी।[5]
Particulars | कुल | पुरुष | महिला |
घरों की संख्या | 64 | - | - |
जनसंख्या | 240 | 111 | 129 |
बच्चे (आयु 0-6) | 25 | 16 | 9 |
अनुसूचित जाति | 57 | 27 | 30 |
अनुसूचित जनजाति | 11 | 7 | 4 |
साक्षरता | 79.53% | 85.26% | 75.00% |
कुल मजदूर | 51 | 44 | 7 |
उल्लेखनिय व्यक्ती
- यह भीमराव आम्बेडकर के पूर्वजो का मूल गाँव हैं, आम्बेडकर के पिता रामजी सकपाल ने स्कूल में अपने बेटे भीमराव का उपनाम ‘सकपाल' की बजाय ‘आंबडवेकर' (आम्बडवेकर) लिखवाया था, क्योंकी कोकण प्रांत में लोग अपना उपनाम गांव के नाम से रखते थे, इसलिए आम्बेडकर के आंबडवे गांव से 'आंबडवेकर' उपनाम स्कूल में दर्ज किया। बाद में एक देवरुखे ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा महादेव आम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘आंबडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ (आम्बेडकर) उपनाम जोड़ दिया।[4]
इन्हें भी देखें
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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