कवरत्ती
कवरत्ती भारत के केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजधानी है।यह लक्षद्वीप द्वीप-समूह का भाग है। यह जिस द्वीप पर स्थित है उसका नाम भी कवरत्ती है।
भूगोल | |
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अवस्थिति | अरब सागर |
निर्देशांक | 10°34′N 72°38′E / 10.57°N 72.64°E 72°38′E / 10.57°N 72.64°E |
द्वीपसमूह | लक्षद्वीप |
आसन्न जल निकाय | हिन्द महासागर |
द्वीप संख्या | 1 |
मुख्य द्वीप |
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क्षेत्रफल | 3.93 km2 (1.517 sq mi)[1] |
लम्बाई | 5 km (3.1 mi) |
चौड़ाई | [convert: needs a number] |
अधिकतम ऊँचाई | 1 m (3 ft) |
प्रशासन | |
क्षेत्र | लक्षद्वीप केन्द्र-शासित प्रदेश |
ज़िला | लक्षद्वीप |
द्वीप समूह | लक्षद्वीप |
भारत की तहसील | कवरत्ती |
भारत के उपमंडल | कवरत्ती |
बृहतम बस्ती | कवरत्ती (pop. 10,000) |
जनसांख्यिकी | |
जनसंख्या | 11,473 (2014) |
जन घनत्व | 2,920 /km2 (7,560 /sq mi) |
जातीय समूह | मलयाली, माह्ल |
अन्य सूचना | |
समय मण्डल | |
पिन | 682555 |
टेलिफोन कोड | 04896 |
ISO code | IN-LD-05[2] |
आधिकारिक जालस्थल | lakshadweep |
साक्षरता | 88.6% |
औसत ग्रीष्म तापमान | 35 °से. (95 °फ़ै) |
औसत शीत तापमान | 25 °से. (77 °फ़ै) |
लिंगानुपात | 1.227 ♂/♀ |
स्थिति:
यह केरल के शहर कोचीन के पश्चिमी तट से 398 किमी दूर 10°-33’ उत्तर 72°-38’ पूर्व पर स्थित है।[3] इसका औसत उन्नयन 0 मी है। कवरत्ती का कुल क्षेत्रफल 4.22 वर्ग किमी है।
जनसंख्या:
भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार कवरत्ती की कुल जनसंख्या 10113 है, जिसमे पुरुष 55% और महिलाओं का प्रतिशत 45 है। कवरत्ती की साक्षरता दर 78% है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से अधिक है। पुरुष साक्षरता 83% और महिला साक्षरता 72% है। कवरत्ती की 12% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की है।
भाषा
अधिकतर लोग मलयालम बोलते हैं।
मौसमः
पर्यटन आकर्षण
कवरत्ती द्वीप का अनूप क्षेत्र पानी के खेल, तैराकी के लिए आदर्श स्थल है और वहाँ का रेतीला सागर तट धूप सेंकने के लिए आदर्श हैं। पर्यटक समुद्री जीवन से संबंधित विशाल संग्रह का आनन्द यहां के समुद्री संग्रहालय में सकते हैं। काँच के तले वाली नौकाओं से अनूप के जलीय जीवन का जीवंत और रमणीक दृश्यावलोकन भी बहुत लोकप्रिय हैं। कयाक और पाल नौकायें नौकायन के लिए किराए पर उपलब्ध हैं।
अलवणीकरण संयंत्र
भारत का पहला कम तापमान अलवणीकरण संयंत्र (LLTD) कवरती में मई 2005 में खोला गया था। इस अलवणीकरण संयंत्र को पांच करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है और इससे समुद्र के पानी से हर रोज 100,000 लीटर पीने योग्य पानी के उत्पादन की आशा है।[4][5]