कृत्रिम तत्वान्तरण

कृत्रिम तत्वान्तरण का उपयोग कर कृत्रिम रूप से किसी अन्य तत्व में परिवर्तन करने में किया जाता है, यही कृत्रिम तत्वान्तरण कहलाता है।[1]

इतिहास

रदरफोर्ड (१९१९)

रदरफोर्ड ने सन् १९१९ में नाइट्रोजन पर अल्फा कणों की बोछार से ऑक्सीजन प्राप्त किया। यह कृत्रिम तत्वान्तरण का पहला प्रयोग था। इसके पश्चात ही अन्य वेज्ञानिको ने तत्वो का तत्वान्तरण किया।

रदरफोर्ड व चैडविक (१९२०-१९२४)

रदरफोर्डचैडविक ने सन् १९२०-१९२४ में बोरॉन से पोटैशियम (परमाणु क्रमांक ५ से १९ तक) तक सभी १५ तत्वो पर अल्फा कण के द्वारा विघटन किया।

चैडविक (१९३३)

चैडविक ने बेरीलियम पर अल्फा कण के द्वारा न्यूट्रॉन प्राप्त किया। यह एक अनावेशित कण है, जिसके प्रयोग के पश्चात यह पता चला कि परमाणु में न्यूट्रॉन पाया जाता है। इस खोज के पश्चात कृत्रिम तत्वान्तरण सरल हो गया।[2]

कृत्रिम रेडियोधर्मिता

इसमे सभी तत्व अस्थाई होते हैं व रेडियो सक्रियता प्रदर्शित करते हैं। यह कृत्रिम तत्वान्तरण कि एक विशेषता है। परन्तु यह प्राकृतिक कृत्रिम रेडियोधर्मिता से भिन्न है।

  • इसे नियन्त्रित करना अत्यन्त सहज है।
  • यह हल्के व भारी दोनो प्रकार के तत्व बनाने में उपयोग किया जाता है।
  • इस तत्वान्तरण के लिए सुरक्षित क्षेत्र की आवश्यकता होती है।

सन्दर्भ

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