गंगाधर पानतावणे

मराठी साहित्यकार व विचारक


गंगाधर विठोबा पानतावणे (28 जून 1937 - 27 मार्च 2018) भारतीय मराठी भाषी साहित्यकार, खोजकर्ता, आम्बेडकरवादी विचारक थे।[1] वह पहले विश्व मराठी साहित्य संमेलन के अध्यक्ष, वैचारिक साहित्य के एक निर्माता एवं अस्मितादर्श पत्रिका के जनक थे। पानतावणे मराठी दलित साहित्य के अग्रिम पंक्ति के साहित्यकार व विचारक रहे। गरीबी व अन्य विषमताओं के बावजूद उन्होंने भीमराव आम्बेडकर के मार्ग पर चलते हुए उनके विचारों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कई कवि-लेखकों की रचनाओं को प्रस्तावनाएँ भी लिखी हैं। 20 मार्च 2018 उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सन्मानित किया गया।[2]

गंगाधर पानतावणे
जन्मगंगाधर बिठोबा पानतावणे
28 जून 1937
नागपूर
मौतमार्च 27, 2018(2018-03-27) (उम्र 80)
औरंगाबाद
पेशासाहित्यकार, लेखन व संशोधन
भाषामराठी
निवासनागपुर
औरंगाबाद
राष्ट्रीयताभारतीय
उच्च शिक्षाडी.सी. मिशन स्कूल, नागपूर
नवयुग विद्यालय, नागपूर
पटवर्धन हायस्कूल, नागपूर
नागपूर विद्यापीठ
मराठवाडा विद्यापीठ, औरंगाबाद
आंदोलनआम्बेडकरवादी आन्दोलन, अस्मितादर्श आन्दोलन
खिताबमहर्षी विठ्ठल रामजी शिंदे पुरस्कार (२००६)
फडकुले पुरस्कार (२००८)
मत्स्योदरी शिक्षण पुरस्कार (२०११)
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जीवनगौरव पुरस्कार (२०१६)
पद्मश्री पुरस्कार (२०१८)

प्रारम्भिक जीवन व शिक्षा

गंगाधर पानतावणे का जन्म 28 जून, 1937 को नागपुर की पांचपावली बस्ती में हुआ था। उनके पिता विठोवा अधिक पढे लिखे नही थे लेकिन बाबासाहब आम्बेडकर के समतावादी आन्दोलन से जुड़ गए थे। उनके सरनेम पानतावणे का अर्थ था पानी गर्म करने वाले। उनका जीवन बहुत गरीबी में बीता। डी.सी. मिशन स्कूल में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अर्जीत कि एवं नवयुग विद्यालय व पटवर्धन हाईस्कूल, नागपूर से माध्यमिक शिक्षा पुरी की। जैसे तैसे कर शिक्षा पूरी की। करीब 9 वर्ष की उम्र में 1946 में बाबासाहब आम्बेडकर जब नागपुर आये थे तो उन्हें देखकर वे अभिभूत हुए बिना न रहे थे, दूसरी बार जब आम्बेडकर नागपुर आये तो उनसे मिलने तथा बात करने का अवसर मिला। 1956 में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण हुए और उसके बाद उन्होंने नागपूर महाविद्यालय में से बी.ए. व एम.ए.ची पदवी प्राप्त की। मिलिंद महाविद्यालय में मराठी साहित्य के प्राध्यापक के रूप में 19 जून, 1962 से कार्य आरम्भ किया। 1981 में मराठवाडा विश्वविद्यालय (अब डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय) से उन्होंने "डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांची पत्रकारिता" (हिन्दी: डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर की पत्रकारिता) विषय पर पीएचडी की उपाधि अर्जित की थी। बाग में वह इसी विश्वविद्यालय में मराठी के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। वे अध्ययन, अध्यापकी और संपादकीय के साथ वे आलेख और नाटक भी लिखते थे। ‘मृत्युशाला’ उनके द्वारा ही लिखा हुआ नाटक है। लेखन के साथ वे हर वर्ष अस्मितदर्श साहित्य सम्मेलन भी कराते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि दलित लेखकों को भाषा का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें लिखते हुए संयम बरतना चाहिए। दूसरे मरने वाले व्यक्ति को स्वर्गवासी, न कहते हुए स्मृतिशेष कहना या लिखना चाहिए।[3]

करीयर

1963 में पानतावणे नागपूर से औरंगाबाद में स्थायिक हुए और वहां के मिलिंद महाविद्यालय में नौकरी करने लगे। औरंगाबाद में उन्होंने साहित्य आन्दोलन शुरू किया; उसे युवकों व विचारको का साथ मिला। ‘‘दलित साहित्य ने अंधकार को नकारा हैं, कलंकित भूतकाल नकारा है। मानसिक गुलामी में से दलित मुक्त होने को देख रहा हैं और बाबासाहब आंबेडकर के दर्शन से तेजस्वी हो रहा हैं।’’ ऐसे शब्दों में दलित साहित्य समर्थन करते हुए उन्होंने महाराष्ट्र में अनकों साहित्यकारों का निर्माण किया।

पानतावणे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय से प्रोफेसर व मराठी विभाग के प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए। दलित साहित्य कै मुखपत्र अस्मितादर्श इस साहित्यिक नियतकालिक के संस्थापक संपादक रूप में उन्होंने 50 वर्षो तक कार्य किया था। इसके माध्यम से कई साहित्यकारों का निर्माण किया

धर्म परिवर्तन

14 अक्टुबर 1956 को पानतावणे ने पाँच लाख से अधिक लोगों के साथ दीक्षाभूमि, नागपूर में बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की। इससे पूर्व आम्बेडकर ने महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा बौद्ध धम्म ग्रहण किया था।[4]

निधन

औरंगाबाद के एमआयटी अस्पताल में उनका 27 मार्च 2018 को 81 वर्ष की आयु में निधन हुआ। अस्पताल में उनपर करीब दो महिनों तक इलाज चला था।[5]

साहित्यिक रचनाएँ

पानतावणे ने मॅट्रिक के बाद लेखन को प्रारम्भ किया था। "दलित साहित्य" उनका करीबि विषय था। इसमें उनका बडा अध्ययन था, इसलिए उन्होंने विपुल लेखन रचनाएँ की हैं।[6][7][8]

मराठी पुस्तकें

  • आंबेडकरी जाणिवांची आत्मप्रत्ययी कविता (गोदा प्रकाशन)
  • साहित्य निर्मिती: चर्चा आणि चिकित्सा
  • साहित्य: प्रकृती आणि प्रवृत्ती (स्वरूप प्रकाशन)
  • अर्थ आणि अन्वयार्थ (समीक्षा)
  • चैत्य
  • दलित वैचारिक वाङ्मय (समीक्षा)
  • दुसऱ्या पिढीचे मनोगत
  • धम्मचर्चा
  • पत्रकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (प्रतिमा प्रकाशन)
  • मूल्यवेध
  • लेणी (व्यक्तिचित्र, प्रतिमा प्रकाशन)
  • लोकरंग
  • वादळाचे वंशज
  • विद्रोहाचे पाणी पेटले आहे
  • स्मृतिशेष (व्यक्तिचित्र, सुविद्या प्रकाशन)

संपादन

  • डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांचे निवडक लेख (प्रतिमा प्रकाशन)
  • अस्मितादर्श (त्रैमासिक)
  • दलित-ग्रामीण मराठी शब्दकोश (सहसंपादक - डॉ. अशोक सोलनकर)

पुरस्कार व सन्मान

पानतावणे को मिले हुए पुरस्कार व सन्मान निम्नलिखित हैं।[9]

  • भारतरत्न डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार लंदन (इंग्लैड)
  • अखिल भारतीय दलित साहित्य अकादमी का डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार
  • फाय फाउंडेशन राष्ट्रीय पुरस्कार, हूज हू एशिया,
  • किर्लोस्कर जन्मशताब्दी पुरस्कार
  • स्वातंत्र्यसैनिक विनायकराव चारठाणकर पुरस्कार
  • फुले आंबेडकर स्मृति पुरस्कार
  • आचार्य अत्रे समीक्षा पुरस्कार
  • मराठवाडा लोकविकास मंच मुंबई पुरस्कृत मराठवाडा गौरव पुरस्कार
  • महाराष्ट्र साहित्य परिषदे पुणे पुरस्कृत डॉ॰ भालचंद्र फडके पुरस्कार
  • मूकनायक पुरस्कार
  • महाराष्ट्र राज्य साहित्य संस्कृती मंडल गौरववृत्ती
  • राजर्षि शाहू आरक्षण शताब्दी पुरस्कार
  • कै॰ नानासाहेब नारलकर विद्वत संशोधन
  • पद्मश्री दया पवार साहित्य पुरस्कार
  • कुसूमताई चव्हाण साहित्य पुरस्कार
  • महर्षि विठ्ठल रामजी शिंदे पुरस्कार
  • राष्ट्रीय बंधूता पुरस्कार
  • डॉ॰ पंजाबराव देशमुख पुरस्कार
  • स्वामी रामानंद तिर्थ महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
  • साहित्यरत्न अण्णाभाऊ साठे साहित्य पुरस्कार
  • राम शेवालकर आधारवड पुरस्कार
  • वसंतराव मून स्मृति पुरस्कार
  • प्रा॰ व॰ दि॰ कुलकर्णी साहित्य सन्मान
  • नागसेनवन मित्र परिवार सन्मान
  • दलित साहित्य अकादमी, फाय फाऊंडेशन, महाराष्ट्र राज्य साहित्य संस्कृति मंडल की गौरववृत्ती
  • 2006 में, वाई के रा॰ ना॰ चव्हाण प्रतिष्ठान का 'महर्षी विठ्ठल रामजी शिंदे पुरस्कार'[10]
  • फडकुले पुरस्कार[11]
  • पहिल्या मराठी विश्व साहित्य संमेलन के अध्यक्ष, सान होजे, संयुक्त राज्य अमेरिका, इ.स. २००९[12]
  • डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर जीवनगौरव पुरस्कार, 2016[13]
  • 2011 में, महाराष्ट्र के शिक्षण, साहित्य व दर्शन क्षेत्र में अहम योगदान देणे वाले विचारको को, मत्स्योदरी कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय (जालना) इनके द्वारा प्रदान किया गया मत्स्योदरी शिक्षण पुरस्कार
  • वाई के रा.ना. चव्हाण प्रतिष्ठान का 'महर्षी विठ्ठल रामजी शिंदे पुरस्कार' (सन 2006)
  • पद्मश्री पुरस्कार (2018)[14] :

सन्दर्भ

बाहरी कडीयाँ

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