डीडीटी
डीडीटी (DDT) या "डाईक्लोरो-डाईफेनिइल-ट्राईक्लोरोमेथेन" (Dichloro-Diphenyl-Trichloromethane) एक रंगहीन, स्वादहीन और लगभग गंधहीन क्रिस्टलीय रासायनिक यौगिक है। [3] यह एक कार्बक्लोराइड (organochlojride) है। इसका विकास मूलतः एक कीटनाशी के रूप में किया गया था किन्तु इसके पर्यावरणीय दुष्प्रभावों के चलते इसका उपयोग बन्द या कम करना पड़ा। यह पहला आधुनिक कीटनाशक था जो मलेरिया के विरूद्ध प्रयोग किया गया था, किन्तु 1950 के बाद इसे कृषि कीटनाशी रूप में प्रयोग करने लगे थे।
DDT | |
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पहचान आइडेन्टिफायर्स | |
सी.ए.एस संख्या | [50-29-3][CAS] |
पबकैम | |
केईजीजी | D07367 |
रासा.ई.बी.आई | 16130 |
SMILES | |
InChI | |
कैमस्पाइडर आई.डी | |
गुण | |
रासायनिक सूत्र | C14H9Cl5 |
मोलर द्रव्यमान | 354.49 g mol−1 |
घनत्व | 0.99 g/cm3 |
गलनांक | 108.5 °C, 382 K, 227 °F |
क्वथनांक | 260 °C, 533 K, 500 °F |
जल में घुलनशीलता | 25 μg/L (25 °C)[1] |
खतरा | |
Main hazards | विषैला, पर्यावरण के लिए हानिकारक, सम्भावित कैंसरजनक |
NFPA 704 | |
यू.एस अनुज्ञेय अवस्थिति सीमा (पी.ई.एल) | TWA 1 mg/m3 [skin] |
एलडी५० | 113–800 mg/kg (rat, oral)[1] 250 mg/kg (rabbit, oral) 135 mg/kg (mouse, oral) 150 mg/kg (guinea pig, oral)[2] |
जहां दिया है वहां के अलावा, ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं। ज्ञानसन्दूक के संदर्भ |
सबसे पहले डीडीटी का संश्लेषण सन १८७४ ई में ऑस्ट्रिया के रसायनज्ञ ऑथमर जिडरलर ने किया था। इसके कीटनाशी प्रभावों की खोज सन १९३९ में स्वीडेन के रसायनविद पाउल हर्मान मूलर (Paul Hermann Müller) ने किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के द्वितीयार्ध में आम जनता और सैनिकों में मलेरिया तथा टाइफस के प्रसार को रोकने के लिए इसका उपयोग किया गया था। सन १९४८ में मूलर को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।[4] (C14H9Cl5)