नायमन लोग
नायमन या नायमन तुर्क या नायमन मंगोल (मंगोल: Найман ханлиг, नायमन ख़ानलिग) मध्य एशिया के स्तेपी इलाक़े में बसने वाली एक जाति का मंगोल भाषा में नाम था, जिनके कारा-ख़ितान के साथ सम्बन्ध थे और जो सन् ११७७ तक उनके अधीन रहे। मंगोल नाम होने के बावजूद, नायमानों को एक मंगोल जाति नहीं बल्कि एक तुर्की जाति माना जाता है।[1] उस ज़माने में वे उईग़ुर और ख़ितानी लोगों की तरह बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म की नेस्टोरियाई शाखा के अनुयायी हुआ करते थे।
सन् १२०३ में उनके ख़ान (जिसे तायान ख़ान कहते थे) का मंगोल सम्राट चंगेज़ ख़ान से युद्ध हुआ जिसमें वह मारा गया। तायान ख़ान का बेटा कुचलुग ख़ान अपने बचे-कुचे नायमन सैनिकों को लेकर कारा-ख़ितान के पास शरण मांगने गया। उसे सत्कार से पनाह दी गई और ख़ितान ख़ान ने अपनी बेटी की शादी भी उस से करवाई। कुचलुग ने एहसान-फरामोशी की और अपने ही ससुर के विरुद्ध षड्यंत्र रचकर उसे मरवा दिया और सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया। उसके बाद वह अपने क्षेत्र के कुछ मुस्लिम शहरियों पर ज़ुल्म करने लगा जिस से विद्रोह भड़का और मंगोलों ने मौक़ा पाकर उसे हरा डाला।
इसके बाद नायमानों का राज तो ख़त्म हो गया लेकिन वे मंगोल साम्राज्य के कई भागों में बस गए। वर्तमान काल में कज़ाकिस्तान के लगभग ४ लाख लोग नायमन जाति के हैं। कुछ नायमन अफ़्ग़ानिस्तान में भी मिलते हैं, जहाँ वे हज़ारा समुदाय के भाग हैं और शेख़ अली वादी में रहते हैं।