नीडलस्कोपी
नीडलस्कोपी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की एक तकनीक है।[1] ( अंग्रेजी:Needlescopic surgery), इस तकनीक के माध्यम से अधिकतम तीन मिलीमीटर या उससे कम के छेदनुमा ज़ख्म से सर्जरी की जाती है।[2] आम लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) से अलग नीडलस्कोपी के उपकरण सूक्ष्म लंबी सुइयों जैसे दिखते हैं। इनके जरिये जो चीरे या छेद किए जाते हैं, वे एक से तीन मिलीमीटर के होते हैं। नीडलस्कोपी, दूरबीन विधि या लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का ही उन्नत रूप है । इस तकनीक द्वारा छोटे से छेदनुमा घाव से ही जटिल सर्जरी संभव होने के कारण ज़्यादा मरहम पट्टी और दर्द नहीं होता, लम्बा आराम नहीं करना पड़ता और त्वचा पर सर्जरी के दाग पड़ने की आशंका कम होती है।
प्रक्रिया
नीडलस्कोपी शल्यक्रिया प्रक्रिया के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति के शरीर में एक छोटा सा छेद या चीरा लगाकर इस के जरिये दिशा दिखाने वाले बेहद सूक्ष्म ट्यूब डाले जाते हैं। इसके बाद उन ट्यूबों से होकर लम्बी सूईनुमा उपकरण शरीर के अंदर पहुंचाए जाते हैं। इन्ही में लगा एक छोटा कैमरा उन उपकरणों को सर्जरी की जगह तक पहुंचा देता है। वर्तमान समय में, मोटापा कम करने से संबंधित सर्जरी, हर्निया की सर्जरी में, पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) में स्टोन, एपेंडिक्स की समस्या, गर्भाशय को ऑपरेशन से निकालना (हिस्ट्रैक्टॅमी) और विकारग्रस्त अंडाशय (ओवरी) को हटाने में सर्जरी की ये तकनीक कारगर सिद्ध हुई है।