फाँसी
रस्सी पर गले से टाँगकर किसी व्यक्ति की मौत का तरीका
गले में रस्सी के कसने के कारण हुई मौत को फांसी कहा जाता है। प्राचीन काल में अपराधियोँ को दण्ड देने के लिये फांसी की सजा दी जाती थी और वर्तमान में भी जघन्य अपराधोँ के दण्ड हेतु यह प्रथा प्रचलन में है। अरब देशोँ में फांसी बहुत सामान्य सजा है।[तथ्य वांछित] भारत में भी फांसी की सजा प्रचलन में है और देश की प्रमुख जेलोँ में इसके लिये फांसीघर बने हुये हैं। इन जेलोँ में फांसी देने वाले कर्मचारियोँ की नियुक्ति होती है जिन्हे जल्लाद कहा जाता है।
आत्महत्या के लिये भी फांसी एक सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला तरीका है।[तथ्य वांछित] फांसी में व्यक्ति के गले में रस्सी का फन्दा कस जाता है और उसका साँस मार्ग अवरुद्ध हो जाने से उसका दम घुट जाता है और इस प्रकार उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो जाती है।
फांसी देने से पहले कई प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य होता है। [1]
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