भारत में सूचना प्रौद्योगिकी

वर्तमान 2022 में भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 8% हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2023 में आईटी और बीपीएम उद्योग का राजस्व 245 बिलियन US$ होने का अनुमान है, जो सालाना 9% की वृद्धि है।[1][2][3] वित्त वर्ष 2023 में आईटी उद्योग का घरेलू राजस्व 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर और निर्यात राजस्व 194 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। आईटी उद्योग ने वित्त वर्ष 2023 में लगभग 2.9 लाख कर्मचारियों को रोजगार दिया है। इसमें लगभग 54 लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम कर रहे हैं जिससे यह सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है।[4][5]

दिसंबर 2022 में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सूचित किया कि राज्य द्वारा संचालित सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के साथ पंजीकृत आईटी इकाइयों ने 2021-22 में 11.59 लाख करोड़ रु. मूल्य के सॉफ्टवेयर का निर्यात किया है।[6][7] भारत की वर्तमान तरक्की में आईटी का बहुत बड़ा योगदान है। पिछले पाँच सालों (२००४-२००९) में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के बढ़ोतरी के प्रतिशत में 6 प्रतिशत योगदान आईटी का ही है। पिछले 10 सालों में देश में जो रोजगार उपलब्ध हुआ है, उसका 40 प्रतिशत आईटी ने उपलब्ध कराया है।

भौगोलिक सीमाओं को तोड़ते हुए अलग-अलग देशों में उत्पाद उत्पाद इकाइयाँ बनाना, हर देश में उपलब्ध श्रेष्ठ संसाधन का उपयोग करना, विभिन्न देशों से काम करते हुए पूरे 24 घंटे अपने ग्राहक के लिए उपलब्ध रहना और ऐसे डेटा सेंटर बनाना जो कहीं से भी इस्तेमाल किए जा सकें, ये कुछ ऐसे प्रयोग थे जो हमारे लिए काफी कारगर साबित हुए। अब सारी दुनिया इन्हें अपना रही है।

एमाज़ॉन.कॉम हैदराबाद परिसर
बागमने टेक पार्क बैंगलोर में ओरेकल और अन्य के कार्यालय

इतिहास

इलेक्ट्रॉनिक्स समिति, जिसे "भाभा समिति" के रूप में भी जाना जाता है, ने भारत के आईटी सेवा उद्योग की नींव रखने वाली 10-वर्षीय (1966-1975) योजना बनाई।[8] इस उद्योग का जन्म 1967 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की स्थापना के साथ मुंबई में हुआ था, जिसने 1977 में बरोज़ के साथ भागीदारी की, जिसने भारत से आईटी सेवाओं का निर्यात शुरू किया। [12] पहला सॉफ्टवेयर निर्यात क्षेत्र, एसईईपीजेड - आधुनिक समय के आईटी पार्क का अग्रदूत - मुंबई में 1973 में स्थापित किया गया था। देश के 80 प्रतिशत से अधिक सॉफ्टवेयर निर्यात 1980 के दशक में एसईईपीजेड से हुए थे।[9]

हाल के वर्षों में भारत में सभी उद्योगों, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्टार्टअप्स में तेजी आई है। यह उछाल स्टार्टअप इंडिया स्कीम और टी-हब जैसी विभिन्न स्टार्ट अप योजनाओं के कारण है।

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण पहल

  • रेलवे टिकट एवं आरक्षण का कम्प्यूटरीकरण
  • बैंकों का कम्प्यूतारीकरण एवं एटीएम की सुविधा
  • इंटरनेट से रेल टिकट, हवाई टिकट का आरक्षण
  • इंटरनेट से एफआईआर
  • न्यायालयों के निर्णय आनलाइन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
  • किसानों के भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण
  • इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन एवं आनलाइन काउंसिलिंग
  • आनलाइन परीक्षाएं
  • कई विभागों के टेंडर आनलाइन भरे जा रहे हैं।
  • पासपोर्ट, गाडी चलाने के लाइसेंस आदि भी आनलाइन भरे जा रहे हैं।
  • कई विभागों के 'कांफिडेंसियल रिपोर्ट' आनलाइन भरे जा रहे हैं।
  • शिकायेतें आनलाइन की जा सकतीं है।
  • सभी विभागों कई बहुत सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है। [[सूचना का अधिकार' के तहत भी बहुत सी जानकारी आनाइन दी जा रही है।
  • आयकर की फाइलिंग आनलाइन की जा सकती है।
  • ईमेल भेजना (किसी प्रकार का फाइल को तुरंत भेजना)

आई टी कंपनियाँ

भारत मे सूचना प्रौद्योगिकी का विकास पिछ्ले वर्षो में बडी तेज़ी से हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ है। उनमें से प्रमुख हैं -

भारतीय

इस क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कम्पनियों के नाम है -

बहुराष्ट्रीय

भारतीय आईटी क्षेत्र राजस्व

भारतीय आईटी और बीपीएम उद्योग का राजस्व
in US$ (वित्त वर्ष 23 के लिए)
निर्यात राजस्व194 बिलियन
घरेलू राजस्व51 बिलियन
कुल आईटी राजस्व245 बिलियन
आईटी क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष कर्मचारी:54 लाख

समकालीन विश्व अर्थव्यवस्था में, भारत आईटी का सबसे बड़ा निर्यातक है।[10] भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आईटी क्षेत्र का योगदान 1998 में 1.2% से बढ़कर 2019 में 10% हो गया।[11] निर्यात भारतीय आईटी उद्योग पर हावी है और उद्योग के कुल राजस्व का लगभग 79% है। हालांकि, मजबूत राजस्व वृद्धि के साथ घरेलू बाजार भी महत्वपूर्ण है।

2022 में, इस क्षेत्र के भीतर की कंपनियों को महत्वपूर्ण कर्मचारियों की छंटनी और हायरिंग में तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।[12] COVID-19 महामारी से प्रभावित FY23 में भारतीय आईटी राजस्व एक दशक में सबसे तेजी से बढ़कर 245 बिलियन डॉलर हो गया। मार्च 2022 तक आईटी-बीपीएम क्षेत्र में कुल मिलाकर 54 लाख लोग कार्यरत हैं।[13] नैसकॉम ने अपनी रणनीतिक समीक्षा में भविष्यवाणी की है कि आईटी उद्योग 11-14 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए वित्त वर्ष 26 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

बाजार पूंजीकरण के आधार पर सबसे बड़ी भारतीय आईटी कंपनियां

बाजार पूंजीकरण द्वारा 2022 में भारत में शीर्ष आईटी सर्विसेस कंपनियां।[14][15][16][17][18] सितंबर 2021 में, TCS ने 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार पूंजीकरण दर्ज किया, जिससे वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय आईटी टेक कंपनी बन गई।[19][20][21] 24 अगस्त 2021 को, इंफोसिस बाजार पूंजीकरण में $100 बिलियन तक पहुंचने वाली चौथी भारतीय कंपनी बन गई।[22][23]

Rankआईटी सर्विसेस कंपनी का नामMarket capitalization in 2022(US$ Billion)Market capitalization in 2022( करोड़)
1टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज20014,63,372.44
2इंफोसिस1007,34,140.78
3विप्रो503,17,428
4एचसीएल टेक्नोलॉजीज36.673,18,061
5एलटीआईमाइंडट्री20.861,33,592.40
6टेक महिंद्रा12.651,33,592.40

राजस्व के आधार पर सबसे बड़ी भारतीय आईटी कंपनियां

राजस्व के हिसाब से 2022 में भारत की शीर्ष आईटी सर्विसेस कंपनियां.[24][25][26][27]

Rankआईटी सर्विसेस कंपनी का नामRevenue in 2022(US$ Billion)Revenue in 2022( करोड़)
1टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज27.5195,772
2इंफोसिस18.2123,936
3एचसीएल टेक्नोलॉजीज12.385,651
4विप्रो11.279,093
5टेक महिंद्रा6.538,642
6एलटीआईमाइंडट्री4.133,000

आईटी निर्यात में राज्यवार राजस्व

वित्त वर्ष 2023 तक आईटी निर्यात में राजस्व की राज्यवार सूची नीचे दी गई है।[28][29][30][31]

S.NoStateRevenue in IT Exports (US$ बिलियन)Revenue in IT exports ( करोड़)
1कर्नाटक65 बिलियन3.28 लाख
2महाराष्ट्र33 बिलियन2.45 लाख
3तेलंगाना32 बिलियन2.41 लाख
4तमिलनाडु22 बिलियन1.79 लाख

आईटी-बीपीएम कर्मचारियों की संख्या स्थान के अनुसार

भारत में आईटी-बीपीएम कर्मचारियों की संख्या
S.NoRegionEmployee Count in IT/ITES (as of FY23)
1बंगलौर15 लाख
2हैदराबाद9.05 लाख
3तमिलनाडु*10 लाख
4पुणे4 लाख
Note :* चेन्नई and कोयंबतूर शामिल है।

वर्तमान परिदृष्य एवं भविष्य

भारत के लिए बहुत अच्छी खबर है और बुरी भी। अच्‍छी इसलिए कि भारतीय प्रतिभाओं की नित नई खोज से विकसित सॉफ्टवेयर और कम्पयूटर सेवा उद्योग से भारतीय अर्थव्यवस्था के समृद्घशाली संसाधनों और उनसे आय के स्रोतों में तेजी से बढ़ोत्तरी सामने आ रही है। यह क्षेत्र तीस फीसदी सालाना से भी ज्यादा तेज दर से बढ़ रहा है। इस उद्योग को सन् दो हजार चार में करीब पचीस बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक का राजस्व मिला जिसमें करीब सत्रह बीस बिलियन डालर की आय अकेले निर्यात से प्राप्त हुई। भारतीयों को यह सुनकर कितना सुखद लगेगा कि इस उद्योग में एक मिलियन से भी अधिक लोग सीधे रोजगार पा रहे हैं जबकि 2.5 मिलियन से ज्यादा लोग अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। इस प्रकार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इस उद्योग का तीन फीसदी से भी ज्यादा योगदान है जबकि कुल निर्यात का बीस प्रतिशत आईटी उद्योग से आता है। बुरी खबर इसलिए है कि जिन प्रतिभाओं भारत को लाभ उठाना था, वे दूसरों की प्रग‌ति का जरिया बन रही हैं। भारत में जिस तरह से कुछ राजनीतिक दल ‌‌‌‌‌फिर‌‌‌‌ से आरक्षण-आरक्षण की रट लगा रहे हैं, उससे भारतीय प्रतिभाओं का पलायन रोका जाना संभव नहीं हो सकेगा।

एक आर्थिक रिपोर्ट से पता चलता है कि इसका ब्रिटेन जैसे देशों को बहुत फायदा हुआ है। इन फायदों में कंप्यूटर सेवाओं की भारतीय उप महाद्वीप में आउटसोर्सिंग से होने वाली बचत भी शामिल है। भारतीय साफ्टवेयर कंपनियां विदेशों में होने वाले निवेश की अगुआई करती रही हैं। जिससे इनमें ज्यादातर निवेश विलय और अधिग्रहण के जरिए होते हैं। देखा जाए तो भारतीय आईटी उद्योग सही मायने में देश का पहला वैश्विक व्यवसाय बनने की दिशा में बढ रहा है। ब्रिटेन में प्रमुख कंप्यूटर प्रदाता कंपनी के रूप में भारत की टाटा कंसलटेंसी को ही ले लीजिए जिसने इस क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। सूचना प्रोद्योगिकी के लचीले व्यवसायिक नियमों के कारण आज कई कंपनियां ज्यादा कुशलतापूर्वक अपना काम कर रही हैं। इनमें टाटा ने दुनियां की दस बड़ी कंपनियों में अपने को स्थापित कर लिया है। तीस वर्ष से टाटा कंसलटेंसी भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले व्यवसाय के अनुरूप परिवर्तन की प्रक्रिया अपनाए हुए हैं।पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय प्रतिभाओं की भारी मांग ने भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज गति से विकास करने वाला सूचना प्रोद्योगिकी बाजार बना दिया है। भारतीय साफ्टवेयर और आईटीईएस उद्योग का पिछले छह वर्ष के दौरान करीब 30 प्रतिशत के सीएजीआर की दर से विकास सामने आया है। उपभोक्ताओं की उभरती आवश्यकताओं का प्रबंधन बेहतर रूप से करने के लिए, बहुउद्देशीय सेवा प्रदायी क्षमताओं के लाभ और कुछ नई सेवाओं की प्रदायगी एक छोर से दूसरे छोर तक करने की भारतीय प्रतिभाओं की क्षमता को स्वीकार करते हुए भारतीय कंपनियां हरित क्षेत्र प्रयासों क्रास-बार्डर एमएण्डए, स्थानीय उद्योगों के साथ भागीदारी और गठबंधन के माध्यम से अपनी सेवाएं बढ़ा रही हैं।

माइक्रोसाफ्ट, ओरेकल, एसएपी जैसे साफ्टवेयर उत्पादों की बड़ी कंपनियों ने अपने विकास केंद्र भारत में स्थापित किये हैं। सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में भारत का रिकार्ड अधिकांश देशों से बेहतर माना जा रहा है। भारत के प्राधिकारी देश में सूचना सुरक्षा के परिवेश को और मजबूत करने पर गहन रूप से बल दे रहे हैं। इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों में सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम में संशोधन, समीक्षा, उद्योगों के प्रबंध वर्गों के बीच आपसी संपर्क में वृद्घि के बारे में जागरुकता बढ़ाई जा रही है। भारत की अधिकांश कंपनियों ने आईएसओ, सीएमएम, सिक्स सिगमा जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और व्यवहारों को पहले ही शामिल कर लिया है, जिस कारण भारत को एक भरोसेमंद सोर्सिंग गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायता मिली है।

एक अधिकृत रिपोर्ट के अनुसार भारत की बड़ी कंपनियों ने पांच सौ से ज्यादा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र प्राप्त किये हैं जो विश्व के किसी भी देश से अधिक हैं। दूर संचार, विद्युत निर्माण कार्य, सुविधा प्रबंध, सूचना प्रोद्योगिकी, परिवहन, खानपान और अन्य सेवाओं सहित वेंडरों पर इसका असर दिखाई देने लगा है। गनीमत है कि सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में मूलभूत गुणवत्ता सुधार को प्राथमिकता दी है और इस संदर्भ में साधारण जनता के जीवन से जुड़े क्षेत्रों में ई-शासन को बडे़ पैमाने पर बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया है। इसके अनुसार एक राष्ट्रीय ई-शासन योजना तैयार की गयी है जिसमें यह विचार मुख्य रूप से प्रस्तुत किया गया है कि इसका उद्देश्य साधारण जनता को सभी सरकारी सेवाएं उसी के इलाके में आजीवन, एकल बिन्दु केन्द्र के माध्यम से उपलब्ध होंगी। साधारण जनता की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसी सेवाओं के लिए कम लागत पर कुशलता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होनी जरूरी है। जिस प्रकार इसके घटक राज्यव्यापी एरिया नेटवर्क सामान्य सेवा केन्द्र, क्षमता निर्माण, इंटरनेट संवर्द्धन, रूट सरवरों की स्थापना, मीडिया लैब एशिया, सूचना सुरक्षा, अनुंसधान एवं विकास में जैसों खबू काम चल रहा है उसके लिए यह बहुत जरूरी है और यह इस बात का प्रमाण कहा जा सकता है कि आईटी के क्षेत्र में भारत ने जो प्रगति की है, उसका संबंध सीधे प्रतिभाओं के उच्च स्तरीय प्रयोग से है।

अमरीका और यूरोप के बाद जापानी कंपनियां भी भारतीय इंजीनियरों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। जापान में तो इंजीनियरों की संख्या में भारी कमी है इसलिए जापान ने इसे पूरा करने के लिए भारत और वियतनाम जैसे देशों के इंजीनियरों को अपने यहां शानदार अवसर दिए हैं। जापान की डिजीटल टेक्नॉलाजी के लिए उसे भारी संख्या में इंजीनियरों की आवश्यकता है यह अचरज की बात है कि जापान में तकनीकी विषयों की प्रतिभाओं में अच्छी खासी कमी आई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका कारण जापान में अत्यधिक आराम पसंद होना और गुढ़ विषयों की माथापच्ची से बचना है इसलिए यहां के छात्र विज्ञान से किनारा करते पाए गए हैं। जापान में यूं तो भारतीय इंजीनियरों के लिए भाषा की एक बड़ी समस्या है लेकिन पता चला है कि जापान की सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए भी अपने यहां एशियन टेलेंट फंड का निर्माण किया है। जापान सरकार अपने यहां के प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने में कोई कमी नहीं छोड़ती है लेकिन यहां की प्रतिभाओं का जापान तकनीकी क्षेत्र में पलायन नहीं रोक पा रहा है। भारत में मेहनतकश लोगों की कमी नहीं है। यहां की प्रतिभाएं जिस क्षेत्र में जुटती हैं उसमें वह काफी कमाल दिखाती हैं। इसे अमरीका, जापान, ब्रिटेन, रूस जैसे देशों ने माना है। भारत के औद्योगिक राजघराने की अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय प्रतिभाओं को काफी आकर्षित किया है। इन कंपनियों ने भारतीय प्रतिभाओं को विदेशों में ही अवसर देने के रास्ते खोल दिए हैं जिससे विदेशी कंपनियों में भारतीय प्रतिभाओं का न केवल महत्व बढ़ गया है अपितु उन्हें दिया जाने वाला पैकेज भी भारी भरकम हो गया है।

इस कारण इस क्षेत्र में प्रतिभाओं का जितना प्रवेश दिखायी पड़ रहा है, उतना भारत की अखिल भारतीय सेवाओं में भी नहीं दिखता है। गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने के कारण विश्व के दूसरे देशों ने भारतीय आईटी प्रतिभाओं को जो मान्यता दी है, उससे आने वाले समय में भारतीय प्रतिभाओं की और भी ज्यादा आवश्यकता होगी। आने वाले समय में अब दुनिया में केवल प्रतिभाओं की मांग होगी और इसके दूसरे पक्षों को दरकिनार कर दिया जायेगा। यही कारण है कि आज पूरी दुनिया की नजर भारत की तरफ है। भारत के कुछ अशांत क्षेत्रों में विघटनकारी गतिविधियों और आरक्षण जैसी मांगों का भी सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार पर कोई विपरीत असर नहीं दिखायी पड़ता है। विश्व समुदाय मानता है कि भारत में आईटी के क्षेत्र में प्रतिभाओं की अद्भुत खोज हुई है। एक समय बाद भारतीय प्रतिभाएं दुनिया के लिए बड़ी मजबूरी बन जाएंगी, क्‍योंकि भारत के पास यही एक दौलत है, जिसके बूते पर प्रतिभाओं के क्षेत्र में भी सदियों से उसका इकबाल कायम है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

🔥 Top keywords: जय श्री रामराम नवमीश्रीरामरक्षास्तोत्रम्रामक्लियोपाट्रा ७राम मंदिर, अयोध्याहनुमान चालीसानवदुर्गाअमर सिंह चमकीलामुखपृष्ठहिन्दीभीमराव आम्बेडकरविशेष:खोजबड़े मियाँ छोटे मियाँ (2024 फ़िल्म)भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेशभारतीय आम चुनाव, 2024इंडियन प्रीमियर लीगसिद्धिदात्रीमिया खलीफ़ाखाटूश्यामजीभारत का संविधानजय सिया रामसुनील नारायणलोक सभाहनुमान जयंतीनरेन्द्र मोदीलोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूचीभारत के प्रधान मंत्रियों की सूचीगायत्री मन्त्ररामायणअशोकप्रेमानंद महाराजभारतीय आम चुनाव, 2019हिन्दी की गिनतीसट्टारामायण आरतीदिल्ली कैपिटल्सभारतश्रीमद्भगवद्गीता