राष्ट्रमण्डल के प्रमुख

राष्ट्रमण्डल के प्रमुख, का पद, ५३ राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल का एक औपचारिक अध्यक्षात्मक पद है। राष्ट्रमण्डल या राष्ट्रकुल, ५३ मुख्यतः राष्ट्रों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो पूर्वतः यूनाइटेड किंगडम के उपनिवेश या परिराज्य हुआ करते थे। यह पद केवल एक रितिस्पद पद है, जिसके पदाधिकारी का इस संगठन के दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं है। इस पद के कार्यकाल की कोई समय-सीमा नहीं है, और परंपरागत रूप से इस पद को ब्रिटिश संप्रभु पर निहित किया गया है।

राष्ट्रमण्डल के प्रमुख

एलिज़ाबेथ द्वितीय का व्यक्तिगत ध्वज
पदाधिकारी
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय

6 फ़रवरी 1952से 
सम्बोधन उनकी महिमा
कार्यकाल जीवन भर
पहली बार पद संभालने वाले जॉर्ज सष्टम
पद की उत्पत्ति 28 अप्रैल 1949
अधिकारिक वेबसाइट thecommonwealth.org


राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के रूप में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करती हुई महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय; पर्थ; २०११

ब्रिटिश संप्रभु को पूर्वतः, राष्ट्रमण्डल के सारे देशों के शासक होने का दर्जा प्राप्त था, परंतु भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारत ने स्वयं को एक गणराज्य घोषित कर दिया, और भारत के सम्राट के पद को खत्म कर दिया गया। बहरहाल, भारत ने राष्ट्रमण्डल का एक सदस्य रहना स्वीकार किया। इसके पश्चात, राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के इस पद को एक गैर-राजतांत्रिक, औपचारिक अध्यक्षात्मक उपदि के रूप में स्थापित किया गया था। कथित तौर पर, राष्ट्रमण्डल के प्रमुख को, "स्वतंत्र सदस्य राष्ट्रों की मुक्त सहचार्यता का प्रतीक" माना गया है।

उपादि

इस उपादि को १९४८ में राष्ट्रमंडल के प्रधमंत्रियों की बैठक के बाद, लंदन घोषणा में प्रकल्पित किया गया था।[1] और १९५३ से, यह, प्रत्येक प्रदेश में एक शाही खिताब के रूप में उपयोग किया जाता है। इस ख़िताब के विभिन्न रूप या अनुवाद, राष्ट्रमंडल देशों में एक पद के रूप में, तथा उन समस्त देशों में, जिनमे ब्रिटिश संप्रभु शासक का स्थान रखते हैं (जिन्हें राष्ट्रमंडल प्रजाभूमि या राष्ट्रमंडल राजभूमि कहा जाता है) में संप्रभु (वर्त्तमान में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय) के शाही ख़िताब की तरह उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए कनाडा में संप्रभु का सम्पूर्ण शाही ख़िताब, अंग्रेज़ी में पूर्ण शाही ख़िताब है:

Elizabeth the Second, by the Grace of God of the United Kingdom, Canada and of Her other Realms and Territories Queen, Head of the Commonwealth, Defender of the Faith

तथा उसका फ़्रांसिसी भाषा का संस्करण है:

Elizabeth Deux, par la grâce de Dieu Reine du Royaume-Uni, du Canada et de ses autres royaumes et territoires, Chef du Commonwealth, Défenseur de la Foi[2]

अर्थात, हिंदी में:

एलिज़ाबेथ द्वितीय, ईश्वर की कृपा से यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और अपनी अन्य प्रदेशों और क्षत्रों की रानी, राष्ट्रमण्डल की प्रमुख, धर्म की रक्षक

विभिन्न भाषाओँ में इसके विभिन्न संस्करण हैं जो राष्ट्रमंडल के विभिन्न देशों में आधिकारिक तौरपर उपयोग किये जाते हैं:

विभिन्न भाषाओं में प्रयोग
भाषाउपादिउपयोग
अफ्रिकान भाषाHoof van die Statebond (शाब्दिक अर्थ 'महासंघ के प्रमुख')दक्षिण अफ़्रीका
चीनी भाषा共和联邦元首(Gònghé Liánbāng Yuánshǒu)[n 1] (शाब्दिक अर्थ 'गणराज्य परिसंघ के प्रमुख')सिंगापुर
अंग्रेज़ी भाषाअंग्रेज़ी: Head of the Commonwelthअनेक
फ़्रांसिसी भाषाChef du Commonwealthकैमरून, कनाडा, सेशेल्स, वानुअतु, तथा जर्सी और ग्वेर्नसे
यूनानीΑρχηγός της सायप्रस गणराज्य
हिंदीराष्ट्रमंडल के प्रमुखभारत
लैटिन भाषाConsortionis Populorum Princepsविभिन्ननन देशों में, ओरंपरिक उपदि के रूप में[n 2][3])
मलय भाषाKetua Komanwelब्रूनेई, मलेशिया, सिंगापुर
मोलतिज़ भाषाKap tal-Commonwealthमाल्टा
माओरी भाषाUpoko o Nga Herenga ki Ingarangi[4]न्यूज़ीलैण्ड
पुर्तगाली भाषाChefe da Commonwealthमोज़ाम्बीक

पृष्ठभूमि व इतिहास

ब्रिटिश साम्राज्य, १९२१
वर्त्तमान राष्ट्रमण्डल प्रमंडल

१८ वीं और १९वीं सदी के दौरान ब्रिटेन के औपनिवेशिक विस्तार द्वारा, ब्रिटेन ने विश्व के अन्य अनेक भू-भागों वे क्षेत्रों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया। जिनमें से अधिकतर देशों ने मध्य २०वीं सदी तक ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल कर ली। हालाँकि उन सभी देशों ने यूनाइटेड किंगडम की सरकार की अधिपत्यता को नकार दिया, परंतु उनमें से कई राष्ट्र, ब्रिटिश शासक को अपने अधिराट् के रूप में मान्यता देते हैं। ऐसे देहों राष्ट्रमण्डल प्रदेश या राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि कहा जाता है। वर्त्तमान काल में, यूनाइटेड किंगडम के अधिराट् केवल यूनाइटेड किंगडम के ही नहीं बल्कि उसके अतिरिक्त कुल १५ अन्य राष्ट्रों के अधिराट् भी हैं। हालांकि इन राष्ट्रों में भी उन्हें लगभग सामान पद व अधिकार प्राप्त है जैसा की ब्रिटेन में, परंतु उन देशों में, उनका कोई वास्तविक राजनीतिक या पारंपरिक कर्त्तव्य नहीं है, शासक के लगभग सारे कर्त्तव्य उनके प्रतनिधि के रूप में उस देश के महाराज्यपाल(गवर्नर-जनरल) पूरा करते हैं। ब्रिटेन की सरकार का राष्ट्रमण्डल प्रदेशों की सरकारों के कार्य में कोई भी भूमिका या हस्तक्षेप नहीं है। ब्रिटेन के अलावा राष्ट्रमण्डल आयाम में: एंटीगुआ और बारबुडा, ऑस्ट्रेलिया, बहामा, बारबाडोस, बेलिज, ग्रेनेडा, जमैका, कनाडा, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप, सेंट लूसिया, सेंट किट्स और नेविस, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस और तुवालु जैसे देश शामिल हैं।

पूर्वतः राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के सारे देश राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि के हिस्सा हुआ करते थे, परंतु १९५० में भारत ने स्वतंत्रता के पश्चात स्वयं को गणराज्य घोषित किया, और ब्रिटिश राजसत्ता की राष्ट्रप्रमुख के रूप में संप्रभुता को भी खत्म कर दिया। परंतु भारत ने राष्ट्रमण्डल की सदस्यता बरक़रार राखी। उसके बाद से, राष्ट्रमण्डल देशों में, ब्रिटिश संप्रभु को (चाहे राष्ट्रप्रमुख हों या नहीं) "राष्ट्रमण्डल के प्रमुख" का पद भी दिया जाता है, जो राष्ट्रमण्डल के संगठन का नाममात्र प्रमुख का पद है। इस पद का कोई राजनैतिक अर्थ नहीं है।[5]

धारकों की सूची

चित्रनामजन्मतिथीमृत्युतिथीपदग्रहण की तिथीपदत्याग की तिथीपूर्व पदग्रही से संबंध
( विवरण)
महाराज जाॅर्ज (षष्ठम)14 दिसंबर 18956 फ़रवरी 195228 अप्रैल 19496 फऱवरी 1952निःशून्य
(प्रथम धारक)
महारानी एलिज़ाबेथ (द्वितीय)[6]21 अप्रैल 19266 फ़रवरी 1952पदस्थजॉर्ज षष्ठम की पुत्री

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

नोट

बाहरी कड़ियाँ

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