सक्या

तिब्बती बौद्ध संम्प्रदाय

सक्या (Sakya, तिब्बती: ས་སྐྱ་) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, कग्यु, जोनंग, गेलुग और बोन हैं। इनमें से सक्या, गेलुग और कग्यु को वज्रयान का नवप्रसार (New Transmission) या सारमा (གསར་མ) कहा जाता है, क्योंकि यह तिब्बत में बौद्ध धर्म के फैलाव की द्वितीय शृंख्ला में उत्पन्न हुए। न्यिंगमा, सक्या और कग्यु लाल टोपी सम्प्रदाय हैं क्योंकि औपचारिक समारोहों पर इनके अनुयायी लाल रंग की टोपियाँ पहनते हैं।[1]

सक्या गुरु वंश-वृक्ष

नामार्थ

तिब्बती भाषा में "सक्या" का अर्थ "हल्के रंग की मिट्टी" है। इस सम्प्रदाय का आरम्भ और पहला मठ तिब्बत के शिगात्से विभाग के पोनपोरी पहाड़ी क्षेत्र में हुआ था जहाँ की मिट्टी हल्के रंग की है।[2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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