सोनभद्र जिला

उत्तर प्रदेश का जिला
सोनभद्र जिला
मानचित्र जिसमें सोनभद्र जिला हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी :{{{capital}}}
क्षेत्रफल :6,788 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
18,62,559
 270/किमी²
उपविभागों के नाम:तहसील[1]
उपविभागों की संख्या:घोरावल, दुद्धी, ओबरा, राबर्ट्सगंज
मुख्य भाषा(एँ):हिन्दी, भोजपुरी


सोनभद्र जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। ज़िले का मुख्यालय राबर्ट्सगंज है।[2][3]

विवरण

सोनभद्र जिला, मूल मिर्जापुर जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या 14,63,519 है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।

सोन नदी जिले में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसकी सहायक नदी रिहन्द जो छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के पठार से निकलती है सोन में जिले के केन्द्र में मिल जाती है। रिहन्द नदी पर बना गोवन्दि वल्लभ पंत सागर आंशिक रूप से जिले में तथा आंशिक रूप से मध्य प्रदेश में आता है। यहीं पर सोनभद्र से 8 किमी की दूरी पर कंडाकोट नामक, ऋषि कण्व की तपोस्थली है। में दो भौगोलिक क्षेत्र हैं जिनमें से क्षेत्रफल में हर एक लगभग 50 प्रतिशत है। पहला पठार है जो विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र गंगा घाटी से 400 से 1,100 फिट ऊंचा है। दूसरा भाग सोन नदी के दक्षिण में सोन घाटी है जिसमें सिंगरौली तथा दुध्दी आते हैं। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात हैं।

स्वतंत्रता मिलने के लगभग 10 वर्षों तक यह क्षेत्र (तब मिर्जापुर जिले का भाग) अलग-थलग था तथा यहां यातायात या संचार के कोई साधन नहीं थे। पहाड़ियों में चूना पत्थर तथा कोयला मिलने के साथ तथा क्षेत्र में पानी की बहुतायत होने के कारण यह औद्योगिक स्वर्ग बन गया। यहां पर देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट फैक्ट्रियां, बिजली घर (थर्मल तथा हाइड्रो), एलुमिनियम एवं रासायनिक इकाइयां स्थित हैं। साथ ही कई सारी सहायक इकाइयां एवं असंगठित उत्पादन केन्द्र, विशेष रूप से स्टोन क्रशर इकाइयां, भी स्थापित हुई हैं।

क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के चौथे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है तथा यहां का 'सलखन फॉसिल पार्क' दुनिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क है जिसे लोग पूरी दुनिया से यहां देखने व घुमने आते हैंं। भारत के सर्वप्रथम प्रधानमन्त्री [[जवाहर लाल नेहरु ने इस जिले को "भारत का स्विटजर लैण्ड" बनाने का सपना देखा था, तत्कालिन सिस्टम ने इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया और यह सपना ही रह गया,लेकिन भविष्य में इस सपने को साकार करने के लिए इस पर अमल किया जा सकता है। यह जिला औद्योगिक स्वर्ग है। यहां एल्युमीनियम इकाई, रासायनिक इकाई, देश कि सबसे बड़ी डाला सिमेन्ट फैक्ट्री(800 टन प्रतिदिन), अनपरा व रिहन्द विद्युत इकाई (थर्मल व हाईड्रा), स्टोन थ्रशर इकाई, आदित्य बिड़ला केमिक्लस, एन.टी.पी.सी. इत्यादि मिलकर इस जिले को भारत का पावर हब बनाते हैं,तथा इसी दृष्टी इसे 'मिनी मुम्बई' भी कहा जाता है। तथा इसे एक केन्द्र शासित प्रदेश भी बनाया जा सकता है।

औद्योगिक इतिहास

  • 1956 : चुर्क सीमेंट कारखाना, 800 टन प्रतिदिन
  • 1961 : रिहन्द बांध, पिपरी, 300 MW विद्युत, शक्ति संयंत्रों के लिये जलभंडार
  • 1962 : हिन्डाल्को अलुमिनियम कारखाना, रेनुकूट, 1145000 टन प्रतिवर्ष एलुमिनियम सुद्धिकरण,24200 टन प्रतिवर्ष एलुमिनियम उत्पादन[उद्धरण चाहिए]
  • 1965 : आदित्य बिड़ला केमिकल्स,रेनुकूट,एसीटैल्डिहाइड उत्पादन-10000 प्रतिवर्ष
  • 1971 : डाला सीमेंट फैक्टरी सीमेंट कारख़ाना

नदियां

सोनभद्र प्रायः सोन नदी के किनारे बसा हुआ है। सोन के अलावा रिहन्द , कनहर , पांगन आदि नदिया भी अपनी छटा बिखेरती हुई सोनभद्र की धरती को पखारती हुई जाती हैं।

जलवायु

सोनभद्र में आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु (कोप्पन जलवायु वर्गीकरण Cwa के अनुसार) है जिसके संग यहां ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु ऋतुओं के तापमान में बड़े अंतर हैं। ग्रीष्म काल अप्रैल के आरंभ से अक्टूबर तक लंबे होते हैं, जिस बीच में ही वर्षा ऋतु में मानसून की वर्षाएं भी होती हैं। हिमालय क्षेत्र से आने वाली शीत लहर से यहां का तापमान दिसम्बर से फरवरी के बीच शीतकाल में गिर जाता है। यहां का तापमान ३२° से. – ४६°C (९०° फै. – ११५°फै.) ग्रीष्म काल में, एवं ५°से. – १५°से. (४१°फै. – ५९°फै.) शीतकाल में रहता है। औसत वार्षिक वर्षा १११० मि.मी. (४४ इंच) तक होती है। ठंड के मौसम में कुहरा सामान्य होता है और गर्मी के मौसम में लू चलना सामान्य होता है।

यहां निरंतर बढ़ते जल प्रदूषण और निर्माण हुए बांधों के कारण स्थानीय तापमान में वृद्धि दर्ज हुई है।इस जिले में पानी का जलस्तर इतना गिर गया है कि इंडिया मार्क-२ जैसे हैंडपंप भी कई बार चलाने के बाद भी पानी की एक बूंद भी नहीं निकाल पाते।यहा पर पत्थर खदानो मे अवैध खनन करने वाले द्वारा भूमि गत जल का दोहन कर नालों /नदियों मे बहाने का कार्य खुुुब हुुुआ ।

शिक्षा

सोनभद्र के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन (आई.सी.एस.ई), केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई) या उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यू.पी.बोर्ड) से सहबद्ध हैं।[उद्धरण चाहिए]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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