एडोल्फ़ हिटलर की मृत्यु
1933 से 1945 तक जर्मनी के चांसलर और तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में जमीन से 50 फुट नीचे बने अपने बंकर में बंदूक की गोली से आत्महत्या कर ली।[1][2] उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह स्पष्ट हो चूका था कि सोवियत संघ की सेनाएँ बर्लिन तक पहुँच जाएंगी। इससे यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया। उनकी एक दिन पहले बनी पत्नी एवा ब्राउन ने भी सायनाइड खाकर आत्महत्या कर ली।[3] हिटलर के पूर्व लिखित और मौखिक निर्देशों के अनुसार, उस दोपहर उनके अवशेषों को सीढ़ियों से ऊपर ले जाया गया और बंकर के आपातकालीन निकास के माध्यम से बाग़ान ले जाया गया। जहां उन्हें पेट्रोल डालकर जला दिया गया।[4] अगले दिन 1 मई को जर्मन रेडियो पर हिटलर की मौत की खबर की घोषणा की गई।
हिटलर एवं एवा ब्राउन, 1942 | |
तिथि | 30 अप्रैल 1945 |
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स्थान | बर्लिन, नाज़ी जर्मनी |
सोवियत संघ के बर्लिन पहुँचने पर हिटलर की मृत्यु की सूचनाओं को जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। फिर हिटलर की मौत के बारे में कई परस्पर विरोधी रिपोर्टें जारी की गईं। इतिहासकारों का कहना है कि जोसेफ स्टालिन द्वारा हिटलर की मौत के बारे में भ्रम पैदा करने के लिए जानबूझकर गलत सूचना अभियान चलाया गया। सोवियत रिकॉर्ड के अनुसार जले हुए हिटलर और एवा के अवशेष बरामद किए गए।[5] जबकि चश्मदीद गवाहों के अनुसार वे लगभग पूरी तरह से राख में बदल गए थे। जून 1945 में, सोवियत संघ ने दो विरोधाभासी आख्यानों का बीजारोपण शुरू किया: पहला कि हिटलर साइनाइड लेने से मर गया और दूसरा कि वह बच गया और दूसरे देश भाग गया।[4] व्यापक समीक्षा के बाद, पश्चिम जर्मनी ने 1956 में एक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया। हिटलर की मृत्यु के बारे में कई षड्यंत्र सिद्धांत अभी भी बने हुए हैं।[6]