एनरीक प्रात दा ला रीबा

एनरीक प्रात दा ला रीबा ई सर्रा (कैटलन: Enric Prat de la Riba i Sarrà; 29 नवम्बर 1870 – 1 अगस्त 1917) स्पेनी कातालोन्याई वकील, पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे। ये सेंटर एस्कोलार कातालानिस्ता (कैटलन: Centre Escolar Catalanista) के सदस्य बन गए थे, जहाँ कैटलन राष्ट्रवाद की नीव बोई गई थी। इन्हें उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में कैटलन राष्ट्रवाद से जुडी भावनाओं के पुनरुत्थान के लिए जाना जाता है। ये 6 अप्रैल 1914 को गठित हुए कातालोन्या राष्ट्रमंडल के प्रथम राष्ट्रपति थे।

एनरीक प्रात दा ला रीबा

एनरीक प्रात दा ला रीबा


बार्सिलोना प्रांतीय परिषद के अध्यक्ष
कार्यकाल
2 अप्रैल 1907 – 6 अप्रैल 1914
पूर्व अधिकारीजोएकुईम सोस्त्रेस ई रैई
उत्तराधिकारीजोआन वायेस ई पुजाओस

कातालोन्या राष्ट्रमंडल के राष्ट्रपति
कार्यकाल
6 अप्रैल 1914 – 1 अगस्त 1917
पूर्व अधिकारीनया पद
उत्तराधिकारीजोज़ेप पूज ई कादाफ़ाउक

जन्म29 नवम्बर 1870
कास्तेलतेर्सोल, कातालोन्या, स्पेन
मृत्यु1 अगस्त 1917 (47 वर्ष)
कास्तेलतेर्सोल, कातालोन्या, स्पेन
राष्ट्रीयताकातालोन्याई
राजनैतिक पार्टीक्षेत्रवादी दल
(कैटलन: Lliga Regionalista)
जीवन संगीजोज़ेपा दाक्स ई कार्नेत
विद्या अर्जनबार्सिलोना विश्वविद्यालय
मैड्रिड केन्द्रीय विश्वविद्यालय
व्यवसायवकील, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक
धर्मरोमन कैथोलिक

एनरीक प्रात दा ला रीबा ई सर्रा का जन्म कातालोन्या के कास्तेलतेर्सोल ग्रामीण कस्बे में एक समृद्ध रूढ़िवादी कैथोलिक परिवार में हुआ था। इन्होंने कानून की शिक्षा बार्सिलोना विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ इन्होंने पढ़ाई 1893 में खत्म करी और इसके पश्चात डिग्री मैड्रिड केन्द्रीय विश्वविद्यालय से ली। पढ़ाई के समय से ही ये कैटलन राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित होने लगे थे। 1887 में ये कातालिनिस्त विद्यालय शिक्षा केंद्र से जुड़े। 1891 में ये कातालिनिस्त यूनियन के सचिव चुने गए। यूनियन में रहते हुए इन्होंने एक वर्ष पश्चात 1892 में मनरेज़ा माँग सभा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई। 1899 में एक गुट की अगुवाई करते हुए ये यूनियन से अलग हो गए। यह गुट यूनियन से इसलिए अलग हुआ था क्योंकि इसके सदस्य चुनावों में हिस्सा और कैटलन राष्ट्रवादी केंद्र का गठन चाहते थे। अगले दो वर्ष प्रात दा ला रीबा ने दक्षिणपंथी 'क्षेत्रवादी दल' के गठन में बड़ी भूमिका अदा की। इस दल ने कातालोन्या के रुढ़िवादियो, ग्रामीण कैथोलिक परम्परावादियो और शहरी मध्य वर्ग के एक हिस्से को एक राजनितिक मुहैया कराया।

1905 में प्रात दा ला रीबा बार्सिलोना प्रांतीय परिषद के लिए चुने गए। दो वर्ष पश्चात ये परिषद के अध्यक्ष बन गए और कातालोन्या की चार प्रांतीय परिषदों का विलय कर एक बड़ी इकाई 'राष्ट्रमंडल' के निर्माण में जुट गए। दिसम्बर 1913 में इनकी मांगो को काफ़ी हद तक स्पेनी संसद ने स्वीकृति प्रदान कर दी थी। प्रात दा ला रीबा को 5 अप्रैल 1914 को कातालोन्या राष्ट्रमंडल के राष्ट्रपति चुने गए। अपनी मृत्यु तक ये इस पद पर काबिज रहे।

प्रात दा ला रीबा ने ला नासियोनालितात कातालान नाम की किताब व राजनीतिक घोषणापत्र की रचना की थी। मई 1906 में प्रकाशित हुई इस किताब में कातालोन्या में स्वशासन पर जोर दिया गया है।

प्रारंभिक जीवन

एनरीक प्रात दा ला रीबा का जन्मगृह

एनरीक प्रात दा ला रीबा ई सर्रा का जन्म 29 नवम्बर 1870 को कातालोन्या के कास्तेलतेर्सोल नाम के ग्रामीण कस्बे में हुआ था। इनका नाम स्पेनी नामकरण रिवाज के अनुसार है जिसमें 'प्रात दा ला रीबा' पैतृक पारिवारिक नाम है और 'सर्रा' मातृ पारिवारिक नाम है। इनका परिवार समृद्ध रूढ़िवादी कैथोलिक था। इन्होंने कानून की शिक्षा बार्सिलोना विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ इन्होंने पढ़ाई 1893 में खत्म करी और इसके पश्चात डिग्री मैड्रिड केन्द्रीय विश्वविद्यालय से ली।[1][2]

राजनितिक जीवन

एनरीक प्रात दा ला रीबा का स्मारक

प्रात दा ला रीबा पढ़ाई के समय से ही कैटलन राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित होने लगे थे। इनकी रुढ़िवादी विचारधारा थी, जिसमें इनके धर्म, परिवार और विशेष रूप से पिता का अधिक प्रभाव था। 1887 में ये कातालिनिस्त विद्यालय शिक्षा केंद्र (कैटलन: Centre Escolar Catalanista) से जुड़े। 1891 में ये कातालिनिस्त यूनियन (कैटलन: Unió Catalanista) के सचिव चुने गए। यूनियन में रहते हुए इन्होंने एक वर्ष पश्चात 1892 में मनरेज़ा माँग (कैटलन: Bases de Manresa) सभा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई, जिसने कैटलन स्वायत्तता का ख़ाका तैयार किया था। 1899 में एक गुट की अगुवाई करते हुए ये यूनियन से अलग हो गए। यह गुट यूनियन से इसलिए अलग हुआ था क्योंकि इसके सदस्य चुनावों में हिस्सा और कैटलन राष्ट्रवादी केंद्र (कैटलन: Centre Nacional Català) का गठन चाहते थे। अगले दो वर्ष प्रात दा ला रीबा ने दक्षिणपंथी 'क्षेत्रवादी दल' (कैटलन: Lliga Regionalista) के गठन में बड़ी भूमिका अदा की। इस दल ने कातालोन्या के रुढ़िवादियो, ग्रामीण कैथोलिक परम्परावादियो और शहरी मध्य वर्ग के एक हिस्से (प्रमुख रूप से विनिर्माण क्षेत्र में लगे लोग) को एक राजनितिक मंच दिया।[2]

1905 में प्रात दा ला रीबा बार्सिलोना प्रांतीय परिषद (कैटलन: Diputació Provincial de Barcelona) के लिए चुने गए। दो वर्ष पश्चात ये परिषद के अध्यक्ष बन गए और कातालोन्या की चार प्रांतीय परिषदों का विलय कर एक बड़ी इकाई मैनकोम्युनिटाट (कैटलन: Mancomunitat, हिन्दी: राष्ट्रमंडल) के निर्माण में जुट गए जिससे कातालोन्या को और अधिक प्रशासनिक स्वायत्तता प्राप्त हो सके। दिसम्बर 1913 में इनकी मांगो को काफ़ी हद तक स्पेनी संसद ने स्वीकृति प्रदान कर दी थी। इस स्वीकृति में यह प्रावधान रखा गया कि नई इकाई 'राष्ट्रमंडल' सभी परिषदों को मिला कर बनेगा और पूर्व में इनके द्वारा लिए जाने वाले पृथक निर्णयों को स्वयं लेने में सक्षम होगा। प्रात दा ला रीबा को 5 अप्रैल 1914 को कातालोन्या राष्ट्रमंडल के राष्ट्रपति चुने गए। 1 अगस्त 1917 को कास्तेलतेर्सोल में अपनी मृत्यु तक ये इस पद पर काबिज रहे।[2]

प्रात दा ला रीबा ने ला नासियोनालितात कातालान (कैटलन: La nacionalitat catalana, हिन्दी: कैटलन राष्ट्रीयता) नाम की किताब व राजनीतिक घोषणापत्र की रचना की थी। मई 1906 में प्रकाशित हुई इस किताब में कातालोन्या में स्वशासन पर जोर दिया गया है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ



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