कांस्य युग

कांस्य युग उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने तांबे (ताम्र) तथा उसकी रांगे के साथ मिश्रित धातु कांसे का इस्तेमाल किया।[1] इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा लौह युग के बीच में पड़ता है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी और लौह युग में तांबा, कांसा और लोहे के अलावा मनुष्य कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था।
कांस्य युग की विशेषता यह है कि मनुष्य शहरी सभ्यताओं में बसने लगा और इसी कारण से विश्व की कई जगहों में पौराणिक सभ्यताओं का विकास हुआ। इस युग की एक और ख़ास बात यह है कि विभिन्न सभ्यताओं में अलग-अलग लिपिओं का विकास हुआ जिनकी मदद से आज के पुरातत्व शास्त्रियों को उस युग के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य हासिल होते हैं।

हड़प्पा सभ्यता से अर्ध-प्रतिमा, कांस्य युग की सबसे शुरुआती सभ्यताओं में से एक
कांस्य युग में युध्द में इस्तमाल किये जाने वाले चीजें, जो अब रोमेनिया के 'ऐउद इतिहास संग्रहालय' में स्थित है।

इतिहास

सम्पूर्ण युग की अवधि विश्व के विभिन्न madhar क्षेत्रों में कांसे को पूर्णतया इस्तेमाल से सम्बन्धित है, हालांकि अलग-अलग जगहों में यह घटना अलग-अलग दौर में हुयी।

सन्दर्भ

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