काक (कार्टूनिस्ट)

(काक-कार्टूनिस्ट से अनुप्रेषित)

कार्टूनिस्ट काक[1] (मूल नाम : हरिश्चन्द्र शुक्ल) देश के उन दुर्लभ कार्टूनिस्टों में से हैं जो मूलतः हिंदी भाषी प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका इत्यादि से ही जुड़ें रह कर कार्टून जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। व्यंग की अपनी अनोखी शैली के चलते काक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय और जटिल राजनीतिक विषयों को बहुत ही सरलता से आम आदमी से जोड़कर अपने व्यंगचित्रों में प्रस्तुत करते हैं। एक हिंदी कहावत के अनुसार काक अर्थात पक्षी कौवा जो किसी के झूठ पर अपनी कर्कश ध्वनि से आवाज़ उठाता है।[2]

काक (हरिश्चन्द्र शुक्ल)
जन्म 16 मार्च 1940 (1940-03-16) (आयु 84)
गाँव : पूरा, जिला : उनाव, उत्तर प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता  भारत
पेशा कार्टूनिस्ट
कार्यकाल 1967–वर्तमान
हस्ताक्षर
वेबसाइट
kaakdrishti.com

जीवनी

काक का जन्म १६ मार्च १९४० को उत्तरप्रदेश के उनाव जिले में हुआ। लगभग दो दर्जन से ज्यादा समाचारपत्र और पत्रिकाओं के फ्रीलांस कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य कर चुके काक के कार्टूनिस्ट जीवन की शुरुआत १९६७ में दैनिक जागरण में छपे पहले कार्टून से हुई। दिनमान, शंकर्स वीकली, साप्ताहिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता जैसे प्रमुख समाचारपत्रों के लिए कार्टून बना चुके काक वर्तमान में प्रभासाक्षी डॉट कॉम के लिए कार्टून बना रहे हैं।.[3]
काक कार्टूनिस्ट्स क्लब ऑफ इंडिया के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं।[4]जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं के बारे में उनकी शानदार समझ की वजह से काक को जनता के कार्टूनिस्ट (cartoonist of masses) के रूप में भी जाना जाता है।[5] लक्ष्मण के आम आदमी के विपरीत, काक का आम आदमी एक मूक दर्शक नहीं है बल्कि एक मुखर टीकाकार है जो बोलने का कोई भी मौका चूकता नहीं।[6]

आम आदमी पात्र

पुरस्कार एवं सम्मान

  • २००३: हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा काका हाथरसी सम्मान २००२-०३ [7]
  • २००९: एर्नाकुलम (कोच्चि) में कार्टून शिविर के दौरान केरल ललित कला अकादमी और केरल कार्टून अकादमी द्वारा सम्मानित
  • २००९: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स, बेंगलूर द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड[8]
  • २०११: कार्टून वाच के तत्वावधान में कार्टून महोत्सव, नई दिल्ली में डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित[9]
  • २०१७: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पत्रकारिता में उत्कृष्टता हेतु २०१६ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार [10]

किताबें

  • १९८८ : नज़रिया, रूपा एंड कंपनी द्वारा प्रकाशित, विनोद भरद्वाज द्वारा चयन[11]
  • १९९९ : कारगिल कार्टून्स, भारतीय रक्षा बलों को समर्पित कार्टूनों के एक संग्रह का संकलन[12]
  • २००० : Laugh as you Travel : काक और शेखर गुरेरा द्वारा भारतीय रेल के 150 गौरवशाली साल पूरा करने के अवसर पर बनाये कार्टूनों का एक संकलन[13]

टिप्पणियां एवं साक्षात्कार

  • चार्ली ब्राउन की ही तरह काक की अपील में भी मानव मूर्खता पर हंस सकने और शर्म महसूस करवाने की अभूतपूर्व क्षमता है : मृणाल पांडे (संपादक : दैनिक हिंदुस्तान)[14]
  • मैं महज पांच सौ सदस्यों के साथ लोकसभा की स्पीकर (संसद) हूँ जबकि काक लाखों में सदस्यों की लोक सभा के स्पीकर हैं : बलराम जाखड़ (लोकसभाअध्यक्ष, १६ दिसम्बर 1986, हरिद्वार)[15]

बाहरी कड़ियाँ


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