कीवयाई रूस
कीवयाई रूस (रूसी: Киевская Русь, अंग्रेज़ी: Kievan Rus') मध्यकालीन यूरोप का एक राज्य था। यह 9वीं से 13वीं शताब्दी ईसवी तक अस्तित्व में रहा और 1237-1240 के मंगोल आक्रमण से ध्वस्त हो गया। अपने शुरूआती काल में इसे 'रूस ख़ागानत' के नाम से जाना जाता था। सन् 882 में 'रूस' नाम की एक वाइकिंग उपजाति ने इसे ख़ज़रों की अधीनता से आज़ाद करवाया और इसकी राजधानी नोवगोरोद से हटाकर कीव कर दी।[1] 11वीं सदी में इस राज्य की सीमाएँ दक्षिण में कृष्ण सागर, पूर्व में वोल्गा नदी, पश्चिम में पोलैंड राज्य और लिथुएनिया महान ड्यूक-राज्य तक विस्तृत थीं।
व्लादीमीर महान (980-1015) और यारोस्लाव प्रथम उर्फ़ यारोस्लाव बुद्धिमान (1019-1054) के राजकाल मो कीवयाई रूस का सुनहरा युग समझा जाता है। इस दौरान इस राज्य का ईसाईकरण हुआ और प्रथम लिखित पूर्वी स्लाव क़ानूनी प्रणाली बनाई गई। इस प्रणाली को 'रूसी न्याय' या रूस्काया प्रावदा ( Правда русьская, Pravda Rus'skaya) कहा जाता था।[2] 11 वीं सदी के अंत में वाइकिंगों का काल जब अस्त होने को था तो कीवयाई रूस राज्य भी बिखरने लगा और छोटे, झगड़ते राज्यों में टूट गया। ऊपर से कुस्तुंतुनिया और बीज़ान्टिन सल्तनत के कमज़ोर पड़ने से कीवयाई रूस का व्यापार और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा। 1230 के दशक में मंगोल आक्रमणों को यह सहन नहीं कर पाया और उनके अधीन हो गया। आगे चलकर 18वीं सदी में भिन्न पूर्वी स्लावी राज्यों को रूसी साम्राज्य ने फिर एक साम्राज्य में एकत्रित किया। आधुनिक रूस, बेलारूस और युक्रेन राष्ट्र तीनों अपनी ऐतिहासिक पहचान कीवयाई रूस राज्य से लेते हैं।