कुल्लियात

कुल्लियात (उर्दू: کلیات‎) शायरी में किसी शायर की रचनाओं के संग्रह को कहते हैं। मसलन ग़ालिब की ग़ज़लों और नज्मों के संकलन को 'कुल्लियात-ए-ग़ालिब' कहा जाता है। यह शब्द 'कुल' से आया है, यानि शायर का 'कुल' काम इस संग्रह में मौजूद होना चाहिए, लेकिन वास्तव में अगर शायर की कुछ-बहुत रचनाएँ भी उसमें सम्मिलित हों तो उसे कुल्लियात ही कहा जाएगा।

सन् १८७२ में छपा मिर्ज़ा सौदा की कुल्लियात का अंग्रेज़ी अनुवाद

पुराने ज़माने में कभी-कभी यह शब्द शायरी के अलावा और सन्दर्भों में भी प्रयोग हुआ करता था। उदाहरण के लिए अगर किसी पुस्तक में चिकित्सा (अरबी में 'तिब्ब') के बारे में बहुत कुछ लिखा हो तो उसे 'कुल्लियात-ए-तिब्बी' कह दिया जाता था। यही शब्द बिगड़कर अंग्रेज़ी में भी 'कॉलिजॅट' (Colliget) के रूप में आ गया।[1]

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सन्दर्भ

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