चौपाये
चतुष्पाद उन प्राणियों का महावर्ग है जो पृथ्वी पर चार पैरों पर चलने वाले सर्वप्रथम कशेरुकी प्राणियों के वंशज हैं। इसमें सारे वर्तमान और विलुप्त उभयचर, सरीसृप, स्तनधारी, पक्षी और कुछ विलुप्त मछलियाँ शामिल हैं। यह सभी आज से लगभग ३९ करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी के डिवोनी कल्प में उत्पन्न हुई कुछ समुद्री लोब-फ़िन मछलियों से क्रम-विकसित हुए थे।[1] चौपाये सब से पहले कब समुद्र से निकल कर ज़मीन पर फैलने लगे, इस बात को लेकर अनुसंधान व बहस जीवाश्मशास्त्रियों में जारी है।[2]
चतुष्पाद सामयिक शृंखला: Late Devonian–Present,[1] 367.5–0 मिलियन वर्ष PreЄ Є O S D C P T J K Pg N | |
---|---|
कुछ आधुनिक चतुष्पाद, ऊपर-बाएँ से दक्षिणावर्त मण्डूक, होआतज़िन (पक्षी), स्किंक, चूहा | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | प्राणी |
संघ: | रज्जुकी |
उपसंघ: | कशेरुकी |
अधःसंघ: | हनुमुखी |
अधिवर्ग: | चतुष्पाद गुडरिच, १९३० |
उपसमूह | |
हालांकि वर्तमान में अधिकतर चौपाई जातियाँ धरती पर रहती हैं, पृथ्वी की पहली चौपाई जातियाँ सभी समुद्री थीं। उभयचर अभी-भी अर्ध-जलीय जीवन व्यतीत करते हैं और उनका आरम्भ पूर्णतः जल में रहने वाले मछली-रूपी बच्चें से होता है। लगभग ३४ करोड़ वर्ष पूर्व ऐम्नीओट उत्पन्न हुये, जिनके शिशुओं का पोषण अंडों में या मादा के गर्भ में होता है। इन ऐम्नीओटों के वंशजों ने पानी में अंडे छोड़ने-वाले उभयचरों की अधिकतर जातियों को विलुप्त कर दिया हालांकि कुछ वर्तमान में भी अस्तित्व में हैं। आगे चलकर यह ऐम्नीओट भी दो मुख्य शाखाओं में बंट गये। एक शाखा में छिपकलियाँ, डायनासोर, पक्षी और उनके सम्बन्धी उत्पन्न हुए, जबकि दूसरी शाखा में स्तनधारी और उनके अब-विलुप्त सम्बन्धी विकसित हुए। जहाँ मछलियों में क्रम-विकास से चार-पाऊँ बनकर चौपाये बने थे, वहीं सर्प जैसे कुछ चौपायों में क्रम-विकास से ही यह पाऊँ ग़ायब हो गये। कुछ ऐसे भी चौपाये थे जो वापस समुद्री जीवन में चले गये, जिनमें ह्वेल शामिल है। फिर-भी जीववैज्ञानिक दृष्टि से चौपायों के सभी वंशज चौपाये ही समझे जाते हैं, चाहें उनके पाँव हो या नहीं और चाहे वे समुद्र में रहें या धरती पर।[3]
इन्हें भी देखें
- सार्कोप्टरिजियाए (लोब-फ़िन मछलियाँ)
- ऐम्नीओट
- क्रम-विकास (इवोल्यूशन)