ढूंढाड़ी भाषा
ढूंढाड़ी राजस्थानी भाषा की एक बोली है जो पूर्वोत्तर राजस्थान के ढूंढाड़ क्षेत्र में बोली जाती है। ढूंढाड़ी बोलने वाले मुख्य रूप से तीन जिलों – जयपुर, करौली, डीग, सवाई माधोपुर, दौसाऔर टोंक में रहते हैं।[1] इस नाम की व्युत्पत्ति दो मतों के अनुसार हो सकती है। पहले मत के अनुसार माना जाता है कि ढूंढाड़ी का नाम ढूंढ या ढूंढकृति पहाड़ से लिया गया है जो कि जयपुर जिले के जोबनेर में स्थित है। दूसरी राय यह है कि यह है नाम ढूंढ नदी के नाम से लिया गया है जो ढूंढाड़ क्षेत्र में बहती है।
ढूंढाड़ी | |
---|---|
बोलने का स्थान | भारत ( राजस्थान का ढूंढाड़ क्षेत्र) |
तिथि / काल | 2011 की जनगणना |
मातृभाषी वक्ता | 1,476,446 |
भाषा परिवार | |
राजभाषा मान्यता | |
नियंत्रक संस्था | कोई संगठन नहीं |
भाषा कोड | |
आइएसओ 639-3 | dhd |
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude। |
1991 की जनगणना के अनुसार, ढूंढाड़ी बोली बोलने वालों की कुल संख्या 965,008 है।
ढूंढाड़ी के वैकल्पिक नाम हैँ: ढूंढाली, ढूंढाडी, झडशाइ बोली, और काई-कुई बोली और जयपुरी।[2]
ढुंढाडी भाषा बोलने वाले मीणा मध्यप्रदेश के कुछ जिलों मे भी बोलते है और महाराष्ट्र के छत्रपती संभाजीनगर जालना जलगांव जिला मे भी मीणाओ के गांव-ढाणियों मे ढुंढाडी भाषा बोली जाती है, जिसे महाराष्ट्र में परदेशी भाषा से पहचानी जाती है। यह परदेशी भाषा ढुंढाडी क्षेत्र के बोली भाषा है, इसमे कुछ मराठी भाषा के शब्द की मिलावट देखने को मिलती है। जलगांव जिला मे आहीराणी भाषा के शब्द का मिश्रण हुआ, यहा के परदेशी से पहचान वाली मूल रुप से ढुंढाड क्षेत्र के मीणा है जो ढुंढाडी भाषा बोलते है।