तांग राजवंश

थाङ राजवंश (चीनी: 唐朝, थाङ छाउ) चीन का एक राजवंश था, जिसका शासनकाल सन् ६१८ ईसवी से सन्न ९०७ ईसवी तक चला। इनसे पहले सुई राजवंश का ज़ोर था और इनके बाद चीन में पाँच राजवंश और दस राजशाहियाँ नाम का दौर आया। थाङ राजवंश की नीव 'ली' (李) नामक परिवार ने रखी जिन्होनें सुई साम्राज्य के पतन काल में सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिए। इस राजवंश के शासन में लगभग १५ साल का एक अंतराल आया था, जो ८ अक्टूबर ६९० से ३ मार्च ७०५ तक चला, जिसमें दुसरे झोऊ राजवंश की महारानी वू ज़ेतियाँ ने कुछ समय के लिए राजसिंहासन पर नियंत्रण हासिल कर लिया।[2][3]

थाङ राजवंश
唐朝
साम्राज्य
[[सुई राजवंश|]]
६१८–९०७
Tang dynasty का मानचित्र में स्थान
७०० ईसवी में थाङ राजवंश द्वारा नियंत्रिक क्षेत्र का नक़्शा
राजधानी६१८–९०४    


चांगआन
६८४–७०५
and ९०४–०७
 लुओयांग

भाषाएँमध्यकालीन चीनी
धार्मिक समूह
शासनराजतन्त्र
सम्राट
 - ६१८–६२६ (first)सम्राट गोज़ु
 - ९०४–९०७ (last)Emperor Ai
इतिहास
 - Established१८ जून, ६१८
 - Usurped
by Wu Zetian
६९०–७०५a
 - An Lushan rebellion७५५–७६३b
 - Abdication in favour of the Later Liang१ जून, ९०७
क्षेत्रफल
 - ७१५[1]54,00,000 किमी ² (20,84,952 वर्ग मील)
 - ८६६37,00,000 किमी ² (14,28,578 वर्ग मील)
जनसंख्या
 - ७ वी सदी est.5,00,00,000 
 - ९ वी सदी est.8,00,00,000 
मुद्राChinese coin
Chinese cash
आज इन देशों का हिस्सा है:
a October 8, 690 – March 3, 705.
b December 16, 755 – February 17, 763.

थाङ साम्राज्य ने शिआन के शहर को अपनी राजधानी बनाया और इस समय शिआन दुनिया का सब से बड़ा नगर था। इस दौर को चीनी सभ्यता की चरम सीमा माना जाता है। चीन में पूर्व के हान राजवंश को इतनी सम्मान से याद किया जाता है कि उनके नाम पर चीनी जाति को हान चीनी बुलाया जाने लगा, लेकिन तांग राजवंश को उनके बराबर का या उनसे भी महान वंश समझा जाता है। ७वीं और ८वीं शताब्दियों में तांग साम्राज्य ने चीन में जनगणना करवाई और उन से पता चलता है कि उस समय चीन में लगभग ५ करोड़ नागरिकों के परिवार पंजीकृत थे। ९वीं शताब्दी में वे जनगणना पूरी तो नहीं करवा पाए लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि देश में समृद्धि होने से आबादी बढ़कर ८ करोड़ तक पहुँच चुकी थी। इस बड़ी जनसंख्या से तांग राजवंश लाखों सैनिकों की बड़ी फौजें खड़ी कर पाया, जिनसे मध्य एशिया के क्षेत्रों में और रेशम मार्ग के बहुत मुनाफ़े वाले व्यापारिक रास्तों पर यह वंश अपनी धाक जमाने लगी। बहुत से क्षेत्रों के राजा तांग राजवंश को अपना मालिक मानने पर मजबूर हो गए और इस राजवंश का सांस्कृतिक प्रभाव दूर और व्यापक में कोरिया, जापान और वियतनाम पर भी महसूस किया जाने लगा।

थाङ दौर में सरकारी नौकरों को नियुक्त करने के लिए प्रशासनिक इम्तिहानों को आयोजित किया जाता था और उस आधार पर उन्हें सेवा में रखा जाता था। योग्य लोगों के आने से प्रशासन में बेहतरी आई। संस्कृति के क्षेत्र में इस समय को चीनी कविया का सुनहरा युग समझा जाता है, जिसमें चीन के दो सब से प्रसिद्ध कवियों - ली बाई और दू फ़ू - ने अपनी रचनाएँ रची। हान गान, झांग शुआन और झऊ फ़ंग जैसे जाने-माने चित्रकार भी थाङ युग में ही रहते थे। इस युग के विद्वानों ने कई ऐतिहासिक साहित्य की पुस्तकें, ज्ञानकोश और भूगोल-प्रकाश लिखे जो आज तक पढ़े जाते हैं। इसी दौरान बौद्ध धर्म भी चीन में बहुत फैला और विकसित हुआ। थाङ राजवंश के काल में काफी विकास हुआ और स्थिरता आई चीन में, सिवाय अन लुशान विद्रोह और केन्द्रीय सत्ता के कमजोर होने के बाद जो के साम्राज्य के अंतिम वर्षो में हुआ। थाङ शासकों ने जिएदूशी नाम के क्षेत्रीय सामंतो को नियुक्त किया अलग अलग प्रान्तों में पर ९वी सदी के अंत तक इन्होने थाङ साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया और खुदके स्वतंत्र राज्य स्थापित किए।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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