देल्हुआ

भारत के बिहार राज्य का एक गाँव

देल्हुआ (Delhua) भारत के बिहार राज्य के नवादा ज़िले में स्थित एक गाँव है।[1][2]

देल्हुआ
Delhua
{{{type}}}
देल्हुआ गाँव
देल्हुआ गाँव
देल्हुआ is located in बिहार
देल्हुआ
देल्हुआ
बिहार में स्थिति
निर्देशांक: 24°47′49″N 85°39′14″E / 24.797°N 85.654°E / 24.797; 85.654 85°39′14″E / 24.797°N 85.654°E / 24.797; 85.654
देश भारत
प्रान्तबिहार
ज़िलानवादा ज़िला
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, मगही

विवरण

देल्हुआ गाँव

देल्हुआ नवादा शहर से लगभग २० किलोमीटर दूर बसा हुआ एक सुन्दर गांव है। यह गोविंदपुर प्रखंड के सरकंडा पंचायत में आता है। यह गांव प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। गोविंदपुर से इस बाजार की दुरी लगभग ३ किलो मीटर है। एक तरफ सकरी नदी और दूसरी तरफ पहाड़ों की लंबी स्रिंखलाएँ हैं। यहाँ की जनसँख्या लगभग २००० है। यहाँ की अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है। यहां की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है। यहां धन और गेहूं के साथ - साथ शब्जियों और दाल की भी खेती होती है। यहाँ खेत छोटे छोटे हैं इसलिए यहाँ परंपरागत खेती होती है। यहाँ का मुख्य बाजार गोविंदपुर है। खरीदारी और बिक्री के लिए यहाँ के लोग गोविंदपुर बाजार ही जाते हैं।

इतिहास

देल्हुआ का काल्पनिक ऐतिहासिक चित्र

जैसा की सभी स्थान चाहे वो गाँव हो या कोई शहर, इन सभी के बसने या बसाने का एक इतिहास होता है ठीक उसी तरह देल्हुआ के बनने का भी इतिहास रहा है।

स्वर्गीय चेतु राम जी का वर्णन

बात उन दिनों की है जब भारत को आजाद हुए लगभग १० साल हो गए थे, आजादी का जश्न अभी तक लोगों के दिलों में छाया हुआ था। उस समय देल्हुआ का अस्तित्व न के बराबर था। जैसा की माना जाता है पुराने समय में कोई भी शहर हो या गाँव, उनको नदी के किनारे बसाया जाता था ताकि काफी जरूरतें नदी से पूरी हो जाए ठीक उसी तरह देल्हुआ गाँव भी सकरी नदी के किनारे बसा था। गावँ के नाम पर ७ से ८ फुश की झोपड़ियां थी। उस समय खेत ही जीवन यापन का जरिया था। सकरी नदी उस समय भी ऐसे ही बहती थी जैसे की वर्तमान में बह रही है। सकरी नदी के किनारे की मिट्टी बड़ी उपजाऊ पहले भी थी और आज भी है, इसलिए उस समय भी खाने योग्य फसल हो जाती थी। काफी सालों तक जिंदगी बसर ऐसे ही होता रहा। उस समय बस दो वक़्त का खाना मिल जाए यही जिंदगी होती थी। दूर दूर तक वीरान और जंगल ही दिखाई देते थे। दूर दूर तक कोई गाँव नहीं था।

उस समय शहर के नाम पर सिर्फ नवादा होता था जहां जाना आसान नहीं था। और जाए भी क्यों क्योंकि शहरों में जाने के लिए पैसा चाहिए और वो किसी के पास नहीं था, परंतु कभी अगर ज्यादा ही जरुरत पड़ जाए तो यहाँ के लोग पैदल जाया करते थे। गावँ से जाने और वापस आने में दो दिन तक का समय लग जाता था।

सकरी नदी आज की तरह पहले भी बरसाती ही नदी थी। हर साल बरसात में बाढ़ आना तय था परन्तु गाँव के लोगो को इससे फायदा नुकसान दोनों होता था। इस बाढ़ में इमारती लकड़ियां बह के आती थी तो उनको इकठ्ठा कर लिया जाता था और पूरे साल तक प्रयोग करते थे। नुकसान ये था की नदी फश्लें भी बहाकर ले जाती थी और जहरीले सांप छोड़ जाती थी। ऐसे ही हर साल होता चला आ रहा था। उस साल भी बरसाती रात थी सकरी नदी में बाढ़ आया हुआ था। पानी का स्तर अधिकतम सीमा तक आ चूका था और अब इसे कम होना था जैसा की हर साल होता चला आ रहा था।

पर इस साल नदी का मिजाज कुछ बदला-बदला सा लग रहा था। पानी का स्तर कम होने के बजाए बढ़ता चला जा रहा था। गाँव के सभी लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। पर इस बार यह नदी रुकने वाली नहीं थी, पानी का स्तर और अधिक बढ़ता जा रहा था। अब इस गाँव में लोग ज्यादा देरी तक नहीं रुक सकते थे। क्योंकि पानी अब घरों में भी आ चूका था। कुछ ही समय में त्राहि त्राहि मचने लगी। शोर बढ़ने लगा। भगदड़ मचने लगी। क्योंकि थोड़ा ही समय था गाँव के डूबने में तो जो हो सका सबने पोटली में बांधा और वहां से चलने लगे। लगभग आधे घंटे में सभी रोते बिलखते देल्हुआ पहाड़ी की तलहटी में रुके और वही रात गुजारने का फैसला लिया। जो बचा हुआ खाना लाए थे वो बच्चों को खिलाया गया। सभी लोग सारी रात जागते रहे और भगवान से मनाते रहे की हमारा घर सही सलामत हो। जैसे ही सुबह हुई सब की निगाहें अपने घरों पर थी जो की अब दिखाई देना बंद हो चूका था। सभी भागे भागे उस जगह गए जहां देल्हुआ गाँव था, सबकी ऑंखें नम थी क्यों की सभी घर उस भयंकर बाढ़ में बह चुके थे। वहां बस घर होने के निशानियां थी। और उसमे भी जहरीले सांपों ने अपना बसेरा बना लिया था।

अब सब कुछ ख़त्म हो चूका था। कुछ दिनों तक सभी अपने उजड़े हुए गाँव की याद के सहारे देल्हुआ पहाड़ी की तलहटी में ही रहने लगे। परंतु अब इस तरह से सभी नहीं रह सकते थे, कोई न कोई फैसला करना था की क्या देल्हुआ गाँव फिर से उसी जगह बसाया जाए जहाँ पहले था या कही और किसी सुरक्षित स्थान जहाँ नदी का पानी ना पहुँच पाए. सबसे राय माँगा गया। कुछ लोग इस पक्ष में थे की गाँव यही बसाया जाए और कुछ लोग दूसरे पक्ष में, काफी नोंक झोंक के बाद ये फैसला लिया गया की गाँव यहाँ बसाना सही नहीं रहेगा, फिर अगले साल इसी तरह तबाह हो जाएगा।

अब देल्हुआ कहां बसाया जाए उस जगह को ढूँढना था, तो कुछ लोगों को नयी जगह ढूंढने का काम दिया गया। जहाँ अभी देल्हुआ गाँव है वहां उस समय खतरनाक जंगल था। जिसमे शेर से लेकर हर तरह के जंगली जानवर रहते थे। शाम तक वो सभी लोग जो जगह ढूंढने गए थे वो वापस आ गए और उन्होंने बताया की यहाँ से एक कोष की दुरी पर बिच जंगल में एक समतल इलाका है निशानी के तौर पर वहां एक पुराना करम का पेड़ है जो काफी बड़ा है। वहां जंगली काँटों की झाड़ियां हैं, अगर हम उन्हें साफ कर देंगे तो वहां हम अपने रहने के लिए घर बना सकते हैं।

वहां पानी की भी सुविधा है, लगता है बिच जंगल में कोई तालाब है तो उसी से पानी बह रहा होगा। वहां जंगली जानवरों का खतरा है परंतु सकरी नदी का पानी वहां तक नहीं आएगा।

अगली सुबह सभी लोग उस जगह के लिए रवाना हुए. उस जगह को गाँव के अधिकतर लोगों ने नहीं देखा था क्यों की उस समय जनसँख्या कम होने के कारण जलावन के लिए लकड़ियां पास में ही मिल जाती थी। लगभग २ से ३ घंटे की मसक्त के बाद जंगली काँटों को हटाते हुए उसी करम के पेड़ के पास पहुचे. चारों तरफ घना जंगल था। देरी न करते हुए लोग आस पास के जंगली झाड़ियों को साफ करने लगे, अब इतनी जगह साफ हो चुकी थी की सभी अपनी अपनी झोपडी बना सकते थे। जंगल की लकड़ियों को काटकर, ताड और केले के पतों का प्रयोग करके टुटा फुटा सभी लोगो ने अपने रहने के लिए झोपड़ियां तैयार कर ली। अँधेरा हो चूका था। नयी और ऐसे खतरनाक जगह पर सोना सबके लिए आसान नहीं था। जैसे तैसे काफी लोगों ने डर के साए में रात जागकर ही गुजारा. यहाँ से नए देल्हुआ के बनने की शुरुआत हो चुकी थी। समय बीतता गया और वह जगह जो सबके लिए अजनबी सा था अब अपना लगने लगा था। धीरे धीरे आस पास के जंगल और साफ होते गए। अब देल्हुआ गाँव पहले से बड़ा और सुन्दर दिखने लगा था। लोग अपनी घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए और घने जंगलों से लकड़ियां लाने लगे। देल्हुआ यहाँ से विकास करने लगा था।

देल्हुआ गाँव में उस समय काफी तरह के लोग थे कोई मेहनती तो कोई बुद्धिमान तो कोई बलवान, उन्ही लोगों में से एक थे श्री चेतु राम जी, जो बुद्धिमान होने के साथ साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे. उनकी बातों में एक दम था. जो वो कहते थे गाँव के लोग मानते भी थे. उनका रुतबा गावँ में आदर के योग्य था. जब सकरी नदी की बाढ़ में पुराने देल्हुआ का अंत हुआ और नए देल्हुआ की शुरुआत हुई तो उस समय गाँव के लोगों के सामने मुख्य समस्या खाने की थी. बाढ़ में सब कुछ बह चूका था, खाने के लिए जंगली बेर के अलावा कुछ भी नहीं था. उस समय यही श्री चेतु राम जी पैदल नवादा जिला गए थे और एक दिन बाद वहां से कलेक्टर के आदेश से बैल गाड़ी पर अनाज लदवाकर ले थे. उसी अनाज के बलबूते देल्हुआ फिर से खड़ा हुआ और आज यहाँ तक पंहुचा।

पर्व-त्यौहार

दीवाली, दुर्गापूजा, होली, छठ आदि लोकप्रियतम पर्वो में से है। दुर्गा पूजा यहाँ के लोगों के लिए सबसे खाश है क्योंकि सरकंडा पंचायत में देल्हुआ ही एक गांव है जहां मेला लगता है। आस पास के सभी गांव के लोग यहां मेला देखने आते हैं और खरीदारी भी करते हैं।

सड़क मार्ग

देल्हुआ में सड़क

इस गांव को दो सड़कें नवादा शहर से जोड़ती हैं। एक रास्ता बकसोती होकर और दूसरा रोह होकर. पहले रास्ते में नदी को पैदल पर करना पड़ता है।

धार्मिक स्थल

वैसे तो यहां कई मन्दिर हैं पर शिव मन्दिर यहां का बहुत प्रशिद्ध है। यह मन्दिर मुरली पहाड़ की चोटी पर है। यहां हर शनिवार को बड़े धूम धाम से पूजा की जाती है। शिवरात्रि के दिन यहां बड़ी पूजा होती है। होलिका दहन इसी मन्दिर के पास होता है। यह मन्दिर देल्हुआ गांव का गौरव है। पुरानी मान्यता है कि ( इस पहाड़ के हर पत्थर के नीचे बिछुओं का वास् था, इसी कारन शिव मन्दिर को बनाया गया था ). कुछ हद तक ये बात आज भी सच माना जाता है। आज भी इस पहाड़ी के पत्थरों के नीचे बिछुओं का वास है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

🔥 Top keywords: सट्टासुनील छेत्रीक्लियोपाट्रा ७मुखपृष्ठविशेष:खोजभारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेशपृथ्वीराज चौहानभारत के प्रधान मंत्रियों की सूचीस्वाति मालीवालभारतीय आम चुनाव, 2019ब्लू (2009 फ़िल्म)भारतीय आम चुनाव, 2024नरेन्द्र मोदीभारत का संविधानलोक सभारासायनिक तत्वों की सूचीहिन्दी की गिनतीलोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूचीकबीरभीमराव आम्बेडकरहिन्दीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसभारतमिस्रमहात्मा गांधीबिहार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रखाटूश्यामजीमिया खलीफ़ाभारत का प्रधानमन्त्रीमाधवराव सिंधियासंज्ञा और उसके भेदराहुल गांधीप्रेमचंदभारत के राजनीतिक दलों की सूचीभारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की सूचीतुलसीदासश्रीमद्भगवद्गीताभारतीय जनता पार्टीबिहार के जिले