द्रुमाकृतिक प्रतिरुप

द्रुमाकृतिक प्रतिरुप अथवा वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप (अंग्रेज़ी: Dendritic drainage pattern) एक तरह का अपवाह प्रतिरूप है जिसमें नदी की मुख्य धारा में उसकी शाखायें इस तरह से आकर जुड़ती हैं कि उनसे बनने वाला ज्यामितीय प्रतिरूप किसी पेड़ की शाखाओं की तरह का होता है। आमतौर पर यह अपवाह प्रतिरूप ऐसे इलाकों में पाया जाता है जहाँ स्थलाकृति सपाट हो और क्षेत्र में चट्टानों में कोई ख़ास विविधता न हो।[1][2] उदाहरण के लिए उत्तर भारत की नदियाँ, जो समतल मैदानों में बहती हैं, इस किस्म का प्रतिरूप बनाती हैं। मध्य गंगा का मैदान इसी प्रकार का अपवाह प्रतिरूप प्रदर्शित करता है[3] और कृष्णा तथा गोदावरी जैसी नदियाँ भी इसी तरह का प्रतिरूप दर्शाती हैं।[4]

यारलुंग सांग पो नदी का हिस्सा, उपग्रह चित्र में, जिसमें पेड़ की शाखाओं की तरह जुड़ रही सहायिका नदियाँ और जल्धारायें दिख रहीं
वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप का उदाहरण। यारलुंग त्सांग पो नदी का हिस्सा।

अंग्रेजी शब्द डेंड्राइटिक का प्रयोग पहली बार इस तरह के अपवाह प्रतिरूप के लिए आइ॰सी॰ रसेल (1898) द्वारा किया गया।[2]

सन्दर्भ

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