नज्द

नज्द (अंग्रेज़ी: Najd, अरबी: نجد) अरबी प्रायद्वीप के मध्य भाग का नाम है। यह एक पठारी इलाक़ा है।

तुवइक़​ पहाड़ियाँ - क्षितिज के पार आधुनिक साउदी अरब की राजधानी रियाध है
साउदी अरब (सफ़ेद रंग) के नक़्शे में नज्द क्षेत्र (लाल रंग में)
नज्दी स्त्रियों की पारम्परिक पोशाक
नज्द का एक और नज़ारा

सीमाएँ

अरबी भाषा में 'नज्द' का मतलब ऊँचा क्षेत्र होता है और यह नाम अरबी प्रायद्वीप के बहुत से ऊँचे क्षेत्रों के लिए प्रयोग किया जाता था। लेकिन इनमें सबसे जाना-माना इस प्रायद्वीप के बीच का भूभाग है जिसके पश्चिम में हिजाज़ और येमेन के पहाड़, पूर्व में बहरीन का ऐतिहासिक इलाक़ा और उत्तर में इराक़ और सीरिया स्थित हैं।[1]

मध्यकालीन मुस्लिम भूगोलशास्त्री हिजाज़ और नज्द प्रदेशों के बीच की सीमा पर बहुत विवाद किया करते थे लेकिन आमतौर पर यह सरहद वहीं समझी जाती है जहाँ पश्चिमी पहाड़ और लावा की चट्टानें पूर्व की ओर ढलान शुरू करती हैं। नज्द की पूर्वी सरहद अल-दहना रेगिस्तान के लाल रेतीले टीलों में मानी जाती है जो आधुनिक रियाध शहर से १०० किमी पूर्व में हैं। नज्द की दक्षिण सीमा रुब अल-ख़ाली के रेगिस्तान में मानी जाती है। नज्द की उत्तरी सीमा को लेकर हमेशा मतभेद रहा है। इस्लाम के शुरू होने पर यह फ़ुरात नदी के पास मानी जाती थी जहाँ ईरान के सासानी साम्राज्य ने अपने राज्य की सुरक्षा की कोशिश करते हुए इराक़ और अरबी प्रायद्वीप के बीच 'ख़ुसरो की दीवारें' बनवाई थी।[2] आधुनिक प्रयोग में 'अल-यमामा' का क्षेत्र नज्द का हिस्सा माना जाता है, हालांकि पहले ज़माने में यह नज्द से बाहर समझा जाता था।

भूगोल

नज्द के पठार की ऊँचाई ७०० मीटर से १,४०० मीटर (२,५०० फ़ुट से ५,००३ फ़ुट) तक है। इस पूरे पठार में पश्चिम से पूर्व की हलकी ढलान है। यह पठार अतिप्राचीन युग में ज्वालामुखियों से उगले गए जमे हुए लावा का बना है, जिसमें जगह-जगह पर रेत एकत्रित है।[3] इसका पूर्वी भाग, जिसे अल-यमामा कहते हैं, अपने अन्दर बहुत से नख़लिस्तान (ओएसिस) समेटे हुए हैं जहाँ खेती और व्यापार चलता है, जबकि पश्चिमी भाग में अधिक शुष्की है और वहाँ ख़ानाबदोश बदुइन लोग रहते हैं। नज्द की कुछ मुख्य भौगोलिक चीज़ें इस प्रकार हैं:

  • उत्तर में हाइल के नख़लिस्तानी नगर के पास अजा और सलमा नामक पहाड़ियाँ
  • जबल शम्मार नामक ऊँचा क्षेत्र जिसके बीचो-बीच उत्तर-से-दक्षिण तुवइक़​ पहाड़ियों के घाट चलते है
  • बहुत सी शुष्क वादियाँ, जैसे कि रियाध के पास वादी हनीफ़ा, दक्षिण में वादी नाआम और उत्तर के अल-क़स्सीम​ प्रान्त में स्थित वादी अद-दवासिर

नज्द क्षेत्र के बहुत से गाँव-बस्तियाँ इन्ही सूखी वादियों में बसे हैं क्योंकि यहाँ अति-शुष्क वातावरण में कभी-कभार पड़ने वाली बारिश का पानी इनमें बचाया जा सकता है (जबकि ऊँचे क्षेत्रों से यह बहकर खोया जाता है)। भूवैज्ञानिक सोचते हैं कि यह वादियाँ वास्तव में उन अतिप्राचीन नदियों के फ़र्श हैं जो कभी इस पूरे क्षेत्र में बहा करती थी लेकिन जो अब, कभी-कभी भारी वर्षा होने से पानीग्रस्त होने के अलावा, सालभर सूखी ही रहती हैं।[4]

ऐतिहासिक नज्दी प्रान्त

नज्द को ऐतिहासिक रूप से प्रान्तों में बांटा जाता है। हर प्रान्त क़स्बों, बस्तियों और गावों का छोटा सा समूह होता था जिसमें से एक राजधानी हुआ करती थी। हर प्रान्त का नज्दी उपभाषा बोलने का अपना अलग लहजा होता था और हर प्रान्त के कुछ विशेष रीति-रिवाज थे। इन प्रान्तों में कुछ प्रसिद्ध प्रान्त इस प्रकार थे:

  • अल-अरीध - जिसमें आधुनिक रियाध और ऐतिहासिक साउदी राजधानी दिरियाह आती है
  • अल-क़स्सीम - जिसकी राजधानी बुरैदाह है
  • सुदाइर - जिसका केंद्र अल-मजमाह था
  • अल-वश्म - जिसका केंद्र शक़रा था
  • जबल शम्मार - जिसकी राजधानी हाइल है

आधुनिक साउदी अरब में नज्द को पुनर्संगठित करके तीन प्रान्तों में बांटा गया है: हाइल, अल-क़स्सीम और रियाध।[5] इन तीन प्रान्तों में सामिलित नज्द का कुल इलाक़ा ५५४,००० वर्ग किमी है (यानि लगभग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जुड़े क्षेत्रफल के बराबर)। रियाध नज्द का और पूरे साउदी अरब का सबसे बड़ा शहर है और २००९ में यहाँ लगभग ४७ लाख लोग रहते थे।

इन्हें भी देखें

सदर्भ

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