पारम्पारिक यथार्थवाद (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का सिद्धांत

पारम्पारिक यथार्थवाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति वाद में एर विचरधारा है। यथार्थवाद के पूर्वानुमान हैं कि - अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रणाली में मुख्य अभिनेता राज्य होते हैं, कोई उच्चराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकारी नहीं है, राज्य सदैव अपने हित में कार्य करते हैं, और राज्य आत्म-संरक्षण के लिए शक्ति चाहते हैं। [1] पारम्पारिक यथार्थवाद को अन्य यथार्थवाद के रूपों से अलग किया जा सकता है क्योंकि यह राज्य के व्यवहार एवं अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष को समझने में मानव स्वभाव और गृह-राजनीति को विशेष महत्वपूर्णता देता है। [2] [3] पारम्पारिक यथार्थवादी मानते हैं कि मनुष्य स्वार्थी हैं और भय या आक्रामकता के प्रभाव से कार्य करते हैं। [4] अंतर्राष्ट्रीय अराजकता के कारण यही स्वार्थी प्रकृति अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में दिखती है।

सन्दर्भ

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