बरसाती (निर्माण)

कई इमारतों में घर की छत पर एक अलग कक्ष होता है, जो मुख्य इमारत से थोड़ा छोटा होता है या अलग से बनाया जाता है। इसे हिन्दी में बरसाती कहते हैं और इसे अंग्रेजी भाषा में पेंटहाउस कहा जाता है।

हेल्सिंकी, फ़िनलैंड का एक आधुनिक बरसाती।

भारतीय इतिहास

सतरहवीं सदी के विदेशी यात्री बर्नियर के अनुसार अमीरों के मकान बगीचों के बीच होते थे , ताकि चारों ओर से आने वाली हवा का आनंद लिया जा सके। एक बरसाती कमरा इन मकानों की छत पर जरूर बना होता था। शहरों में बने भवन मुख्यतः दो मंजिला व छज्जानुमा होते थे , छज्जा मंजिलों को दो भागों में बांटता था। इनकी छाया से ये भवन गर्मियों में ठंडे रहते थे। सभी महलों में गर्मियों में सोने के लिए गलियारे बने होते थे। गलियारे के साथ में ही कमरा होता था , ताकि वर्षा होने पर वहां ठहर सके। सर्दियों में वे उसे धूप संेकने के लिए प्रयोग करते थे। कुछ घरों में लंबा तथा चैड़ा गलियारा होता था। जिसमें बहार की तरफ जाली बनी होती थी , ताकि अंदर से बिना किसी को दिखाई दिए बाहर की तरफ देखा जा सके। पंखों से कमरों को ठंडा करने की विधि की नकल ईरानी महलों से की गई थी। अमीर वर्ग द्वारा आपातकाल में अपने घर को छोड़ने के लिए प्रयोग किए जाने वाले गुप्त रास्त को खिलसाह कहा जाता था। अमीरों के आवास अधिकांशतः नदियों के किनारे पर होते थे। इन आवासों में धूप और गर्मी से बचने के लिए तहखानों का भी निर्माण करवाया जाता था जिनमें लकड़ी के बने हुए बड़े - बड़े पंखे होते थे जिन पर मोटा कपड़ा बंधा होता था।[1]

सन्दर्भ

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