रोहे
रोहे या कुकरे (अंग्रेज़ी: ट्रैकोमा), 'क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस' नामक जीवाणु[1] के कारण से होने वाला एक संक्रामक रोग है। [2] यह संक्रमण पलकों के भीतरी सतह पर खुरदुरापन पैदा करता है। इस खुरदुरेपन की वजह से आँखों में दर्द, आँखों के बाहरी सतह या कॉर्निया (नेत्रगोलक का ऊपरी स्तर) का टूटना और संभवत: अंधता हो सकती है।[2] इसे ग्रैनुलर कंजक्टिवाइटिस, इजिप्शियन ऑप्थैल्मिया,[3] एवं ब्लाइंडिंग ट्रैकोमा भी कहा जाता है।
रोहे वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
रोहे की वजह से अन्दर की ओर मुड़ी पलक एवं बरौनी | |
आईसीडी-१० | A71. |
आईसीडी-९ | 076 |
डिज़ीज़-डीबी | 29100 |
मेडलाइन प्लस | 001486 |
ईमेडिसिन | oph/118 |
एम.ईएसएच | D014141 |
कारण
यह रोग जिस विषाणु की वजह से होता है वह प्रभावित व्यक्ति की आँखों या नाक के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संपर्क से फैल सकता है। [2] अप्रत्यक्ष संपर्क में कपड़े अथवा प्रभावित व्यक्ति की आँख अथवा नाक के संपर्क में आयीं मक्खियाँ शामिल हैं। [2] आमतौर पर कई सालों दौरान हुए कई संक्रमणों के बाद जाकर ही पलकों का घाव इतना बढ़ता है कि बरौनियाँ आँखों से रगड़ खाने लगती हैं। [2] यह रोग बड़ों की अपेक्षा बच्चों में अधिक होता है। [2] गंदगी, भीड़भाड़ वाली रिहाइश एवं साफ़ पानी व ट्वायलेट की अपर्याप्तता भी रोग को फैलाती है। [2]
रोकथाम एवं उपचार
इस रोग की रोकथाम के लिए किये जाने वाले प्रयासों में साफ़ पानी की उपलब्धता बढ़ाना, जैवप्रतिरोधियों (Antibiotic/एण्टीबायोटिक) से उपचार द्वारा संक्रमित लोगों की संख्या को कम करना शामिल है।[2] इसमें उन लोगों के समूहों का एक साथ इलाज करना शामिल हैं जिनमें जाना यह बीमारी आम है। [4] धोना अपने आपमें इस रोग की रोकथाम के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन अन्य उपायों के साथ यह उपयोगी हो सकता है।[5] उपचार के विकल्पों में ओरल (मुँह के द्वारा) अज़ीथ्रोमाइसिन अथवा टॉपिकल (स्थानिक) टेट्रासाइक्लाइन शामिल हैं। [4] अज़ीथ्रोमाइसिन को वरीयता दी जाती है क्योंकि यह एक ओरल खुराक में इस्तेमाल की जा सकती है।[6] पलक में घाव होने के बाद बरौनियों की स्थिति सही करने के लिए एवं अन्धता से बचने के लिए शल्यक्रिया (सर्जरी) की आवश्यकता पड़ सकती है।[2]
जानपदिक रोगविज्ञान
दुनिया भर में करीब 8 करोड़ लोगो को सक्रिय संक्रमण है।[7] कुछ क्षेत्रों में यह संक्रमण 60-90 प्रतिशत बच्चों में मौजूद हो सकता है और बच्चों के क़रीबी संपर्क में रहने की वजह से यह महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित करता है [2] यह रोग 22 लाख लोगों में दिखाई देने की क्षमता कम होने का कारण है जिनमें से 12 लाख लोग पूरी तरह से अंधे हैं। [2] यह रोग अफ्रीका, एशिया,केन्द्रीय एवं दक्षिण अमेरिका के 53 देशों में आम तौर पर होता है जहाँ लगभग 23 करोड़ लोग ख़तरे में हैं। [2] इसके कारण प्रतिवर्ष 80 लाख अमेरिकी डालर की आर्थिक हानि होती है। [2] यह उपेक्षित उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) रोग के नाम से जाने जाने वाले रोगों के समूह में शामिल है। [7]