विकृत पदार्थ
विकृत पदार्थ (degenrate matter) ऐसे पदार्थ को कहते हैं जिसका घनत्व इतना ज़्यादा हो कि उसके दाब (प्रॅशर) का अधिकतम भाग पाउली अपवर्जन नियम (Pauli exclusion principle) से उत्पन्न हो।[1]
विवरण
आम तौर से किसी भी पदार्थ में (चाहे वह ठोस, द्रव या गैस हो) तापमान के कारण परमाणु उत्तेजित रहते हैं और इस उत्तेजना से उनका एक ऊष्मीय दाब होता है। इसके अतिरिक्त परमाणुओं के नाभिक (न्यूक्लियस) एक दूसरे के लिए प्रतिकर्षण (रिपल्शन) रखते हैं और इस से भी दाब पैदा होता है। एक तीसरा दाब पाउली अपवर्जन नियम से आता है जो दो फर्मियानों को एक ही क्वांटम अवस्था में होने से वर्जित करता है। इस दाब को विकृत दाब कहते हैं। आम तौर पर विकृत दाब ऊष्मीय दाब और नाभिक प्रतिकर्षण दाब से बहुत कम होता है। अगर उस पदार्थ को इस भयंकरता से दबाया जाए कि उसका विकृत दाब बढ़कर बाक़ी दाबों से अधिक हो जाए तो ऐसे पदार्थ की अवस्था को भी विकृत कहा जाता है। उदाहरण के लिए यह स्थिति धातु हाइड्रोजन में देखी जाती है जिसमें हाइड्रोजन के नाभिक एक दूसरे से बोर त्रिज्या (साधारण हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक और इलेक्ट्रॉन से भी क़रीब लाए जा चुकें हों।[2]