संगरोध

लोगों और सामानों की आवाजाही पर प्रतिबंध का महामारी संबंधी हस्तक्षेप, जिसका उद्देश्य संक्रामक रो

संगरोध या क्वारंटीन (Quarantine),में संक्रामक रोगों या नाशीजीवों (pest) के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से लोगों या सामान की आवाजाही और दूसरों से घुलने-मिलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है। संगरोध करने का उद्देश्य संक्रामक रोगों से ग्रसित अथवा संक्रामक रोगियों के सम्पर्क में आए लोगों के आवागमन को अत्यन्त सीमित करना होता है।

'येलो जैक' नामक यह ध्वज जिस जहाज पर लगा होता है, उसके संगरोधित होने की सूचना देता है।
सन २०१९-२० की कोरोनावाइरस विश्वमारी के लिए संगरोध व्यवस्था का एक दृष्य

व्युत्पत्ति

क्वारंटीन लैटिन मूल का शब्द है। इसका मूल अर्थ चालीस है। पुराने समय में में जिन जहाजों में किसी यात्री के रोगी होने अथवा जहाज पर लदे माल में रोग प्रसारक कीटाणु होने का संदेह होता तो उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग को रोकने के प्रयास के रूप में इस व्यवस्था का आरम्भ हुआ। उसी व्यवस्था के अनुसार इस शब्द का प्रयोग पीछे ऐसे मनुष्यों, पशुओं और स्थानों को दूसरों से अलग रखने के सभी उपायों के लिये होने लगा जिनसे किसी प्रकार के रोग के संक्रमण की आशंका हो। क्वारंटीन का यह काल अब रोग विशेष के रोकने के लिये आवश्यक समय के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

परिचय

अंतर्राष्ट्रीय क्वारंटीन की जाँच बंदरगाहों, हवाई अड्डों और दो देशों के बीच सीमास्थ स्थानों पर होता है। विदेश से आनेवाले सभी जहाजों की क्वारंटीन संबंधी जाँच होती है। जाँच करनेवाले अधिकारी के सम्मुख जहाज का कप्तान अपने कर्मचारियों और यात्रियों का स्वास्थ्य विवरण प्रस्तुत करता है। जहाज के रोगमुक्त घोषित किए जाने पर ही उसे बंदरगाह में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। यदि जहाज में किसी प्रकार का कोई संक्रामक रोगी अथवा रोग फैलानेवाली वस्तु मौजूद हो तो जहाज को बंदरगाह से दूर ही रोक दिया जाता है और उस पर क्वारंटीन काल के समाप्त होने तक पीला झंडा फहराता रहता है। रोग संबंधी गलत सूचना देने अथवा सत्य बात छिपाने के अपराध में कप्तान को कड़ा दंड मिल सकता है। क्वारंटीन व्यवस्था के अंतर्गत आनेवाले रोगों में हैजा, ज्वर, चेचक टायफायड, कुष्ट, प्लेग प्रमुख हैं।

वायुयान से यात्रा करनेवाले यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान जाने तो दिया जाता है पर रोगग्रस्त व्यक्ति पर स्वास्थ्य विभाग की निगरानी रहती है ताकि रोग का संक्रमण न हो सके। अनेक देशों में कतिपय रोगों का टीका लगा लेने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है। इस प्रकार के प्रवेश पत्र की जाँच वायुयान से उतरकर बाहर जाने के पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी करते हैं।

रोग के संक्रमण को रोकने के निमित्त नगरों, स्थानों, मकानों अथवा व्यक्ति विशेष का भी अनेक देशों में क्वारंटीन होता है। इसके लिए प्रत्येक देश के अपने अपने नियम और कानून हैं। यूरोप और अमेरिका में जिस घर में किसी संक्रामक रोग का रोगी होता है उसके द्वार पर इस आशय की नोटिस लगा दी जाती है। कहीं कहीं रोगी के साथ डाक्टर और नर्स भी अलग रखे जाते हैं। जहाँ डाक्टर या नर्स अलग नहीं रखे जाते उन्हें विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है।

मनुष्यो के अतिरिक्त

वृक्ष और पशुओं का भी क्वारंटीन होता है।अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में इसका पालन बड़ी कठोरता के साथ होता है। यहाँ तक कि यदि किसी यात्री के पास ऐसा कोई फल है जिसके माध्यम से वृक्षों का रोग फैलानेवाले कीड़े आ सकते हों, तो वह फल कितना भी अच्छा क्यों न हो तत्काल नष्ट कर दिया जाता है। इसी प्रकार कुछ निर्धारित के निर्दोष लकड़ी के बक्सों में पैक किया माल ही इन देशों में प्रवेश कर सकता है। पैकिंग के बक्से के रोगी किस्म की लकड़ी से बना होने का संदेह होने पर माल सहित बक्से को नष्ट कर दिया जाता है।[1][2] [3][4][5]

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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