हॉक-आई

हॉक-आई एक जटिल कंप्यूटर प्रणाली है जिसका प्रयोग क्रिकेट, टेनिस तथा अन्य खेलों में गेंद के पथ को अंकित करने व सांख्यिकी के आधार पर इसके आगे के पथ को चालित छवि के रूप में दर्शाने के लिए किया जाता है.[1] टेनिस जैसे कुछ खेलों में अब यह निर्णय प्रक्रिया का भाग है. क्रिकेट में कुछ मामलों में इसका इस्तेमाल किसी गेंद के आगामी मार्ग का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है. इसका विकास रोमसे के रोके मनोर रिसर्च लिमिटेड, हैम्पशायर, ब्रिटेन के इंजीनियरों द्वारा 2001 में किया गया था. डॉ॰ पॉल हॉकिन्स और डेविड शेरी द्वारा ब्रिटेन में इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया गया था पर फिर इसे वापस ले लिया गया था.[2] बाद में, यह प्रौद्योगिकी एक अलग कंपनी हॉक-आई इनोवेशंस लिमिटेड के पास चली गयी जो टेलिविज़न निर्माण कंपनी सनसेट + वाइन का संयुक्त उपक्रम थी और जिसे मार्च 2011 में सोनी द्वारा एकमुश्त खरीद लिया गया था.[3]

संचालन विधि

सभी हॉक-आई प्रणालियां खेल के स्थान के समीप अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए कम से कम चार तीव्र गति वीडियो कैमरों से प्राप्त दृष्यिक छवियों तथा सामयिक डेटा का प्रयोग करते हुए ट्राएन्ग्युलेशन सिद्धांतों पर आधारित होती हैं.[2] इनसे प्राप्त वीडियो फीड को यह प्रणाली तेजी से उच्च गति के वीडियो प्रोसेसरों तथा बॉल ट्रैकर की सहायता से संसाधित करती है. डेटा स्टोर में खेल के क्षेत्र का मॉडल पहले से संचित कर रखा जाता है तथा इसमें खेल के नियम भी शामिल रहते हैं.

प्रत्येक कैमरे से भेजे गए प्रत्येक फ्रेम में, यह प्रणाली बॉल की छवि से सम्बंधित पिक्सलों के समूह को पहचान लेती है. इसके पश्चात प्रत्येक फ्रेम के लिए बॉल की त्रिआयामी स्थिति की गणना की जाती है जो कि कम से कम दो अलग कैमरों से एक ही समय में प्राप्त छवियों के आधार पर की जाती है. इसके बाद आने वाले फ्रेमों से गेंद की गति के पथ का निर्माण किया जाता है. यह गेंद की उड़ान के पथ का "पूर्वानुमान" भी करते है तथा डेटाबेस में पहले से संचित खेल के क्षेत्र में किस वस्तु से गेंद टकराएगी यह भी बताती है. यह प्रणाली इन टकरावों का अध्ययन करके खेल के नियमों के उल्लंघन के विषय में भी बता सकती है.[2]

यह प्रणाली गेंद तथा खेल के क्षेत्र की ग्राफिक छवि उत्पन्न करती है, जिसका अर्थ यह होता है कि यह सूचना लगभग वास्तविक समय में निर्णायकों, टेलिविज़न दर्शकों तथा प्रशिक्षक कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जा सकती है.

शुद्ध ट्रैकिंग प्रणाली एक बैक-एंड डेटाबेस तथा आर्काइविंग क्षमता से जुडी रहती है ताकि किसी विशेष खिलाड़ी, खेल, गेंदों की तुलना आदि के लिए प्रवृत्ति तथा आंकड़े निकाले जा सकें.

हॉक-आई इनोवेशन्स लिमिटेड

सारी प्रौद्योगिकी तथा बौद्धिक संपदा को एक अलग कंपनी, विनचेस्टर, हैम्पशायर स्थित हॉक-आई इनोवेशन्स लिमिटेड की संपदा बना दिया गया.

जून 14, 2006 को, विज्डन समूह की प्रेरणा से निवेशकों के एक समूह ने इस कंपनी को खरीद लिया,[4] इनमें मार्क गेटी भी शामिल थे जो संयुक्त राज्य अमेरिका के एक धनवान परिवार तथा व्यापारिक घराने से थे. यह अधिग्रहण क्रिकेट में विज्डन समूह की उपस्थिति को सुदृढ़ करने तथा इसे टेनिस तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय खेलों में प्रवेश दिलाने के लिए किया गया था, उस समय हॉक-आई बास्केट -बॉल के लिए एक प्रणाली लागू करवाने पर काम कर रहा था. हॉक-आई की वेबसाइट के अनुसार, यह प्रणाली टेलिविज़न पर दिखाई जाने वाली सामग्री से कहीं अधिक डेटा का सृजन करती है, जिसे इंटरनेट पर आसानी से देखा जा सकता है.

सितम्बर 2010 में बिक्री के लिए तैयार, इसे विशाल जापानी इलेक्ट्रौनिक कंपनी सोनी द्वारा मार्च 2011 में सम्पूर्ण इकाई के रूप में खरीद लिया गया.[3]

क्रिकेट

इस प्रौद्योगिकी का प्रथम प्रयोग चैनल 4 के द्वारा 21 मई 2001 को लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इंग्लैंड तथा पाकिस्तान के बीच खेले गए टेस्ट मैच में किया गया था. यह मुख्य रूप से अधिकांश टेलीविजन नेटवर्कों द्वारा उड़ान के दौरान गेंद की दिशा का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है. 2008/2009 की सर्दियों के मौसम में आईसीसी ने एक रेफरल प्रणाली का परीक्षण किया जहाँ हॉक-आई का प्रयोग किसी टीम के किसी एलबीडब्ल्यू के निर्णय से असहमत होने की दशा में तीसरे अम्पायर के विचारार्थ भेजने के लिए किया गया था. तीसरा अंपायर गेंद के बल्लेबाज से टकराने तक तो देख पाता था परन्तु टकराने के बाद गेंद की अनुमानित दिशा कैसी होनी चाहिए थी, यह नहीं देख पाता था.[5]

क्रिकेट प्रसारण में इसका प्रमुख उपयोग लेग बिफोर विकेट निर्णय के विश्लेषण के लिए किया जाता है, जहां गेंद के गति पथ को आगे बढ़ा कर यह पता लगाया जाता है कि बल्लेबाज के पैर से टकराने के पश्चात क्या यह स्टंप से टकरा पाती अथवा नहीं. लेग बिफोर विकेट निर्णय के लिए परंपरागत स्लो मोशन अथवा हॉक-आई का प्रयोग करते हुए, तीसरे अंपायर से परामर्श करने की, क्रिकेट में वर्तमान में अनुमति नहीं दी गयी है क्योकि क्रिकेट में इसकी सटीकता के विषय में अभी संशय है.[6]

गेंदबाजी की गति के इसके रियल-टाइम कवरेज के कारण, इन प्रणालियों का प्रयोग गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने के स्वरुप, जिसमें गेंद की लाइन व लेंथ अथवा स्विंग/टर्न भी शामिल हैं, को दर्शाने के लिए भी किया जाता है. किसी ओवर के समाप्त होने पर सभी छह गेंदों को एक साथ दिखा कर गेंदबाज द्वारा किये गए परिवर्तनों, जैसे धीमी गेंद, बाउंसर व लेग कटर आदि, को दर्शाया जाता है. किसी गेंदबाज का पूरा रिकार्ड भी किसी मैच के दौरान दिखाया जा सकता है.

बल्लेबाजों को भी हॉक-आईके विश्लेषण से लाभ होता है, जिन गेंदों पर उसने रन बनाये, उनका विश्लेषण भी दिखलाया जा सकता है. ये अक्सर एक बल्लेबाज के 2-डी छायाचित्र के रूप में तथा गेंदों को रंग-कूटंकित बिन्दुओं के रूप में दिखाए जाते हैं. सटीक स्थान जहां गेंद जमीन पर टकराई अथवा गेंदबाज के हाथ से निकलने पर गेंद की गति (बल्लेबाज की प्रतिक्रिया का समय मापने के लिए) आदि ऐसी जानकारियां हैं जिनका प्रयोग मैच के बाद के विश्लेषण के लिए किया जा सकता है.

टेनिस

2004 के यूएस ओपन में सेरेना विलियम्स की जेनिफर कैप्रियाती के द्वारा पराजय प्राप्त करने वाले मैच में विलियम द्वारा कुछ निर्णयों पर विरोध व्यक्त किया गया था, टीवी रिप्ले ने दर्शाया कि उनमें से कुछ वास्तव में गलत थे. हालांकि उन निर्णयों को पलटा नहीं गया, परन्तु मुख्य अम्पायर मरियाना अल्वेस को इस टूर्नामेंट तथा इसके बाद होने यूएस ओपेंस से बर्खास्त कर दिया गया. इन त्रुटियों के कारण ही लाइन कालिंग असिस्टेंस के विषय में चर्चा होने लगी, विशेष रूप से ऑटो-रेफ प्रणाली के रूप में, जिसे यूएस ओपन के द्वारा उस समय परखा जा रहा था तथा इसे बहुत सही पाया गया था.[7]

2005 के अंत तक हॉक-आई का न्यूयॉर्क सिटी में इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (आईटीएफ (ITF)) के द्वारा परीक्षण किया गया था और इसे पेशेवर प्रयोग के लिए पारित किया गया था. हॉक-आई के अनुसार न्यूयॉर्क में हुए परीक्षणों में 80 शॉटों को आईटीएफ के उच्च-गति वाले कैमरों से मापा गया था, यह एक उपकरण था जो मैककैम (MacCAM) जैसा ही था.इस प्रणाली के प्रारंभिक परीक्षणों के दौरान ऑस्ट्रेलिया में एक प्रदर्शन टेनिस टूर्नामेंट खेला गया (जिसे स्थानीय टीवी पर दिखाया गया), इस मैच में एक घटना हुई जिसमें गेंद को दिखाया गया "आउट" जबकि साथ ही शब्द प्रदर्शित हुआ "इन". [उद्धरण चाहिए] इसको एक त्रुटि माना गया, टेनिस गेंद का चित्रमय प्रदर्शन वृत्त के रूप में था, जिसे दीर्घवृत्त के रूप में होना चाहिए था. [उद्धरण चाहिए] इसको फ़ौरन सही कर लिया गया.

हॉक-आई का प्रयोग अनेक बड़े टेनिस टूर्नामेंटों के टेलिविज़न प्रसारण में किया गया है, इनमें विम्बलडन, क्वींस में स्टेला आर्टॉइस, ऑस्ट्रेलियन ओपन, डेविस कप व टेनिस मास्टर्स कप शामिल हैं. यूएस ओपन टेनिस चैम्पियनशिप ने घोषणा की कि वे इस प्रौद्योगिकी का 2006 के यूएस ओपन में आधिकारिक प्रयोग करेंगे जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी को प्रत्येक सेट में दो चैलेंज प्राप्त होंगे.[8] इसका प्रयोग पौइंट ट्रैकर (PointTracker) नाम के बड़े टेनिस सिम्युलेशन में भी किया जाता है, जिसे आईबीएम (IBM) ने बनाया है.

पर्थ, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में 2006 का हॉपमैन कप पहला मुख्य टेनिस टूर्नामेंट था जहां खिलाडियों को पौइंट-एंडिंग लाइन काल्स को चुनौती देने की व्यवस्था की गयी थी, जिसे इसके बाद रेफरियों द्वारा हॉक-आई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पुनरवलोकन किया जाता था. यह गेंद की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए कंप्यूटरों को 10 कैमरों से प्राप्त छवियां उपलब्ध कराता था.

मार्च 2006 में, नैसडैक-100 ओपन में हॉक-आई का प्रयोग पहली बार आधिकारिक तौर पर किसी टेनिस टूर इवेंट में किया गया था. इस वर्ष बाद में, यूएस ओपन पहला ग्रैंड स्लैम बना जिसमें इस प्रणाली का उपयोग खिलाड़ियों के लिए लाइन-कालों को चुनौती देने के लिए किया गया.

2007 का ऑस्ट्रेलियाई ओपन 2007 का पहला ग्रैंड स्लैम बना जिसमें प्रत्येक टेनिस खिलाड़ी को 2 गलत चुनौतियां देने की व्यवस्था की गयी, टाईब्रेकर की स्थिति में एक अतिरिक्त चुनौती भी प्राप्त होती थी. किसी एडवांटेज अंतिम सेट की स्थिति में, प्रत्येक 12 गेमों में खिलाड़ी के लिए चुनौतियां पुनः 2 हो जाती थीं, उदाहरण के लिए 6 ऑल, 12 ऑल. कभी-कभी हॉक-आई द्वारा गलत आउटपुट उत्पन्न किये जाने पर विवादों का जन्म हुआ. 2008 में, टेनिस खिलाड़ियों प्रति सेट 3 गलत चुनौतियों की अनुमति दी गई. बची हुई चुनौतियां अगले सेट में प्रयोग नहीं की जा सकती थीं. एक बार एमेली मॉरेस्मो के एक मैच में उसने एक गेंद को चुनौती दी जिसे इन कहा गया था, हॉक-आई ने दर्शाया कि गेंद एक मिमी से भी कम से आउट थी, परन्तु इसके इन होने का निर्नान्य दिया गया. इस प्रकार उस पॉइंट को पुनः खेला गया व मॉरेस्मो को गलत चुनौती नहीं खोनी पड़ी.

प्रभाव के साथ गेंद की तुलना.

हॉक-आई प्रौद्योगिकी का प्रयोग 2007 के दुबई टेनिस चैंपियनशिप में किया गया था जहां कुछ विवाद उत्पन्न हुए थे. पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर रहे चैंपियन राफेल नडाल ने आरोप लगाया कि इस प्रणाली ने गलत निर्णय लेते हुए एक आउट गेंद को इन दिखाया जिसकी वजह से वह खेल से बाहर हो गया. अंपायर ने गेंद को आउट करार दिया; मिखाइल यूज्ह्नी ने इस निर्णय को चुनौती दी, हॉक-आई के अनुसार यह 3 मिमी इन थी.[9] बाद में यूज्ह्नी ने कहा कि उसने खुद सोचा कि निशान व्यापक हो सकता है लेकिन फिर प्रौद्योगिकी की उपलब्धता के कारण ऐसी गलती किसी भी लाइन मैन व अम्पायर से हो सकती है. नडाल ने सिर्फ कंधे उचकाये, उसने कहा यह प्रणाली गलत है, गेंद के चिन्ह से देखा जा सकता है कि यह प्रणाली गलत है.[10] हार्ड कोर्ट पर गेंद से बना निशान गेंद के कोर्ट के संपर्क में आने वाले क्षेत्र का भाग था (ऐसा निशान बनाने के लिए कुछ दबाव की आवश्यकता होती है) [उद्धरण चाहिए].

2007 की विम्बलडन टेनिस चैंपियनशिप में भी हॉक-आई का प्रयोग एक आधिकारिक सहायता के रूप में सेंटर कोर्ट व कोर्ट 1 में किया गया था, तथा प्रत्येक टेनिस खिलाड़ी को प्रति सेट 3 गलत चैलेंजेस की अनुमति दी गयी थी. अगर सेट में टाई ब्रेकर हो जाता, तो प्रत्येक खिलाड़ी को एक अतिरिक्त चुनौती प्राप्त होती थी. इसके अतिरिक्त, अंतिम सेट में (महिलाओं अथवा मिश्रित मैचों में तीसरा, पुरुषों के मैच में पांचवा), जिसमें कोई टाई ब्रेक नहीं हो सकता, प्रत्येक खिलाड़ी को खेल का स्कोर 6-6 अथवा 12-12 पहुंचने पर चुनौतियों की संख्या पुनः तीन हो जाती थी. टेमुराज़ गाबेश्विली ने रोजर फेडरर के विरुद्ध पहले चरण के मैच में सेंटर कोर्ट में सर्वप्रथम हॉक-आई चुनौती दी. इसके अतिरिक्त, फाइनल के दौरान राफेल नडाल ने फेडरर के विरुद्ध खेलते हुए, नडाल ने आउट कहे गए एक शॉट को चुनौती दी. हॉक-आई ने गेंद को इन दिखाया, बस लाइन को छूते हुए. इस उलटाव से काफी उत्तेजित फेडरर ने अम्पायर से अनुरोध किया (यह असफल रहा) कि हॉक-आई प्रौद्योगिकी को मैच के शेष भाग में बंद कर दिया जाये.[11]

2009 के ऑस्ट्रेलियाई ओपन के चौथे दौर में रोजर फेडरर तथा थॉमस बरडाइक के मैच के दौरान बरडाइक ने एक आउट कॉल को चुनौती दी. उस समय हॉक-आई प्रणाली संभवतः कोर्ट पर किसी छाया के कारण उपलब्ध नहीं थी. परिणामस्वरुप वास्तविक निर्णय को बनाये रखा गया.[12]

2009 में इंडियन वेल्स मास्टर्स क्वार्टर फाइनल में इवान लुबिकिक एवं एंडी मरे के बीच मैच में, मरे ने एक आउट कॉल को चुनौती दी. हॉक-आई प्रणाली ने संकेत दिया कि गेंद लाइन के केन्द्र पर आई, हालाँकि प्रसारण को पुनः देखने पर यह स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि गेंद आउट थी. बाद में यह पता चला कि हॉक-आई प्रणाली ने गेंद को पहली उछाल के स्थान पर दूसरी उछाल से देखा था, जो कि लाइन पर थी.[13] मैच के तुरंत बाद, मरे ने कॉल के लिए लुबिकिक से माफी मांगी और स्वीकार किया है कि पौइंट आउट था.

हॉक-आई प्रणाली को मूल रूप से टीवी प्रसारण के कवरेज के लिए रिप्ले प्रणाली के रूप में विकसित किया गया था. मूल रूप से शुरुआत में यह स्वयं इन अथवा आउट काल नहीं दे पाती थी, सिर्फ ऑटो-रेफ प्रणाली लाइन इन/आउट काल दे पाती थी क्योंकि इसे त्वरित लाइन कालिंग के लिए ही बनाया गया था. दोनों ही प्रणालियों रिप्ले उत्पन्न कर सकती हैं.

हॉक-आई इनोवेशंस की वेबसाइट[14] पर कहा गया है कि यह प्रणाली 3.6 मिमी की औसत त्रुटि के साथ कार्य करती है. एक मानक टेनिस गेंद का व्यास 67 मिमि होता है, इस प्रकार गेंद व्यास के सापेक्ष त्रुटि 5% होती है. यह मोटे तौर पर गेंद पर फ्लफ के बराबर है.

नियमों का एकीकरण

मार्च 2008 तक, अंतर्राष्ट्रीय टेनिस महासंघ (आईटीएफ (ITF)), एसोसिएशन ऑफ टेनिस प्रोफेशनल्स (एटीपी (ATP)), महिला टेनिस एसोसिएशन (डब्ल्यूटीए (WTA)), ग्रैंड स्लैम समिति, तथा कई अन्य व्यक्तिगत टूर्नामेंट हॉक-आई पर परस्पर विरोधी नियमों का प्रयोग कर रहे थे. इसका एक प्रमुख उदाहरण प्रत्येक सेट में खिलाडी को प्राप्त होने वाली चुनौतियों की संख्या थी, जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में अलग थी.[15] कुछ टूर्नामेंट एक खिलाड़ी को अधिक त्रुटियों की अनुमति देते थे, खिलाड़ी मैच के दौरान असीमित बार चुनौती दे सकते थे.[15] अन्य टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों को दो या तीन प्रति सेट चुनौतियां प्राप्त होती थीं.[15] 19 मार्च 2008 को उपर्लिखित संस्थाओं ने मानकीकृत नियमों की घोषणा की: प्रति सेट तीन असफल चुनौतियां, टाईब्रेक की स्थिति में एक अतिरिक्त चुनौती. नियमों के मानकीकरण के बाद अगला पुरुष एवं महिला टूर 2008 का सोनी एरिक्सन ओपन था जिनमें इन नियमों का पालन हुआ.[16]

सॉकर

एसोसिएशन फुटबॉल में हॉक-आई का प्रयोग प्रस्तावित किया गया है लेकिन अभी तक खेल के प्रमुख संचालकों से सामान्य अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है. इंग्लैंड के शासी निकाय फुटबॉल एसोसिएशन ने प्रणाली के सम्बन्ध में घोषणा की है कि यह "फीफा द्वारा निरीक्षण के लिए तैयार है", परीक्षणों से पता चला है कि गोल-लाइन सम्बन्धी घटना को रेफरी को आधे सेकण्ड के अन्दर दिखाया जा सकता है (आईएफएबी (IFAB), जो खेल के नियमों के लिए शासी निकाय है, का आग्रह है कि गोल की सूचना फ़ौरन दी जाने चाहिए अर्थात पांच सेकण्ड के भीतर).[17]

फीफा के महासचिव जेरोम वाल्के मानते हैं कि हॉक-आई गोल-लाइन प्रौद्योगिकी को लागू किया जायेगा यदि इसके डेवलपर्स सफलता की 100 प्रतिशत गारंटी लें. फुटबॉल के शासी निकाय पूर्व में पिच विवादों के निपटान करने के लिए वीडियो प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर अनिच्छुक रहे हैं. फुटबॉल में हॉक-आई की उपयुक्तता की जांच जारी रखे जाने की उम्मीद है और डॉ॰ पॉल हॉकिन्स, जो इस प्रणाली के अविष्कारक हैं, के अनुसार प्रीमियर लीग में इसका परीक्षण किया जा सकता है. हॉकिन्स कहते हैं, "हम अगले सप्ताह फीफा से विस्तार में बात करेंगे, पर मुझे लगता है कि यह सकारात्मक होगा".[18]

स्नूकर

2007 की विश्व स्नूकर चैम्पियनशिप में बीबीसी ने टेलीविजन प्रसारण में खिलाड़ी का दृष्टिकोण, विशेष रूप से संभावित स्नूकर को दर्शाने के लिए, हॉक-आई का प्रयोग किया. इसको खिलाड़ी द्वारा इच्छित शॉट्स प्रदर्शित करने के लिए भी प्रयोग किया गया जबकि वास्तविक शॉट गलत हो गया हो. अब इसको बीबीसी द्वारा हर विश्व चैंपियनशिप के साथ ही कुछ अन्य प्रमुख टूर्नामेंट में भी प्रयोग किया जाता है. बीबीसी इस प्रणाली का कई मायनों उपयोग करता है, उदाहरण के लिए वेम्बली में 2009 के मास्टर्स में हॉक-आई ज्यादा से ज्यादा एक या दो बार प्रति फ्रेम इस्तेमाल किया गया. टेनिस के विपरीत, हॉक-आई का प्रयोग स्नूकर में रेफरी के निर्णय की सहायता के लिए कभी नहीं किया गया.

गेलिक खेल

आयरलैंड में, हॉक-आई के लिए गेलिक एथलेटिक एसोसियेशन द्वारा गेलिक फुटबॉल एवं हर्लिंग में प्रयोग पर विचार किया जा रहा है. 2 अप्रैल 2011 को डबलिन के क्रोक पार्क में एक परीक्षण सुनिश्चित किया गया है. डबल हेडर डबलिन एवं डाउन के बीच फुटबॉल तथा डबलिन एवं किल्केनी के बीच हर्लिंग प्रदर्शित करेगा.[19]

संदेह

हॉक-आई अब दुनिया भर के खेल प्रशंसकों के लिए जिस प्रकार के दृश्य यह क्रिकेट और टेनिस जैसे खेल में लाता है, के लिए परिचित है. हालांकि इस नई तकनीक को अधिकांश भागों में अपनाया गया है, हाल ही में कुछ लोगों द्वारा आलोचना भी की गयी है, विशेष रूप से कुछ विशिष्ट, उच्च प्रोफ़ाइल कॉल के मामलों में[उद्धरण चाहिए]. आस्ट्रेलियाई मीडिया क्रिकेट में एंड्रयू सायमंड्स की बल्लेबाजी के समय अनिल कुंबले द्वारा की गयी एक विशेष एलबीडब्ल्यू अपील के विषय में आलोचनात्मक था. हॉक-आई द्वारा दिखाया गया कि गेंद विकेट की और जा रही है, परन्तु नग्न आंखों से यह पूरी तरह बाहर दिख रही थी.[20] 2008 में विम्बलडन फाइनल में नडाल-फेडरर मैच में, आउट गेंद को 1 मिमी से इन कहा गया था, यह त्रुटी विज्ञापित त्रुटि सीमा के अन्दर थी.[21] कुछ टिप्पणीकारों द्वारा प्रणाली की 3.6 मिमी की सान्खियिकी त्रुटि सीमा को बहुत अधिक बताया गया.[22] दूसरों ने उल्लेख किया कि 3.6 मिमी असाधारण रूप से सही है, त्रुटि की इस सीमा को गेंद गति के लिए ही सही माना गया है. प्रसारण में इसका प्रयोग गेंद का प्रक्षेपपथ निकालने के लिए, जबकि यह बल्लेबाज से न टकराई हो, अधिक विश्वसनीय नहीं है, विशेष रूप से ऐसी परिस्थितियों में जबकि सतह की स्थिति इसके आगामी प्रक्षेपपथ को प्रभावित कर सकती हो, अर्थात जब गेंद जमीन से टकराए अथवा एक छोटी उछाल के बाद ही बज्जेबाज तक पहुंच जाए.[23] वर्तमान में, आधिकारिक तौर पर इस प्रणाली को ऐसी परिस्थितियों में उपयोग नहीं किया जाता है, हालांकि यह टेलीविजन प्रसारण और विश्लेषण में प्रयोग की जाती है.

2008 में, एक पियर-समीक्षित जर्नल के एक लेख में[24] ऐसे कई संदेहों को एकत्रित किया गया. लेखकों ने प्रणाली का महत्व स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि यह शायद अविश्वसनीय है और सटीक चित्रण में त्रुटि की एक सीमा विफलता की घटनाओं को संदिग्ध बनाती है. लेखकों ने यह भी तर्क दिया कि इसकी सटीकता की सीमा खिलाड़ियों, अधिकारियों, टिप्पणीकारों या दर्शकों के द्वारा स्वीकृत नहीं है, ये वे लोग हैं जो इसको अविवाद्य सत्य मानते हैं. उदाहरण के लिए, उन्होंने तर्क दिया कि हॉक-आई क्रिकेट की गेंद के घुमावदार पथ की भविष्यवाणी करने के लिए कठनाई महसूस कर सकता है: गेंद के उछल कर बल्लेबाज तक पहुंचने का समय इतना कम होता है कि इसमें तीन फ्रेम (कम से कम) उत्पन्न करना कठिन है और इसके बिना गेंद के पथ को सही तरह से नहीं दर्शाया जा सकता है. लेख में यह तर्क भी दिया गया है कि टेनिस में लाइन निर्णय के हॉक-आई चित्रण में इनको अनदेखा कर दिया गया है, जैसे कि गेंद की उछाल की विकृति एवं अपूर्ण परिशुद्धता जिसके द्वारा कोर्ट में लाइनें चित्रित की जाती हैं. हॉक-आई के निर्माताओं ने दृढ़ता से इन दावों का खंडन किया, परन्तु लेखकों ने इन्हें वापस नहीं लिया.

कंप्यूटर गेम में प्रयोग

हॉक-आई ब्रांड एवं निरूपण का लाइसेंस कोडमास्टर्स के पास उनके वीडियो खेल ब्रायन लारा इंटरनेश्नल क्रिकेट 2005 के लिए था जिससे कि खेल को टेलिविज़न प्रसारण की तरह बनाया जा सके, इसके बाद उन्होंने ब्रायन लारा इंटरनेश्नल क्रिकेट 2007, एशेज़ क्रिकेट 2009 तथा इंटरनेश्नल क्रिकेट 2010 भी बनाये. इस प्रणाली के जैसी ही एक व्यवस्था एक्सबॉक्स 360 (Xbox 360) के स्मैश कोर्ट टेनिस 3 संस्करण में भी की गयी, परन्तु अभी यह पीएसपी (PSP) संस्करण में नहीं है, हालांकि इसमें गेंद को चुनौती देने की व्यवस्था है, परन्तु ऐसा करने के लिए हॉक-आई का प्रयोग नहीं करता है.

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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