ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना (Triassic–Jurassic extinction event) पृथ्वी के ट्राइऐसिक युग को जुरैसिक कल्प से अलग करती है और यह आज से लगभग २०.१३ करोड़ वर्ष पूर्व घटी। अनुमान लगाया जाता है कि इस विलुप्ति घटना में उस समय पृथ्वी पर रह रही जातियों में से ५०% या उस से भी अधिक हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। अनुमान लगाया जाता है कि यह विलुप्ति घटना बहुत तेज़ी से घटी और १०,००० वर्षों के काल में यह जातियाँ विलुप्त हो चुकी थीं। यह माना जाता है कि इन विलुप्तियों से धरती पर कई पारिस्थितिक स्थान खुल गये जिसके कारण डायनासोरों को उभरकर विस्तृत होने का मौक़ा मिल गया।[1][2][3]
कारण
ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना का कारण आधिकारिक रूप से पहचाना नहीं जा सका है। इसके बाने में कई धारणाएँ हैं लेकिन उन सब में कुछ न कुछ मतभेद है। कुछ अनुमानित कारण इस प्रकार हैं:
धीमे-धीमे जलवायु बदलाव, समुद्रों का अम्लीकरण या समुद्री-सतह में उतार-चढ़ाव। लेकिन इस धारणा से १०,००० सालों के संक्षिपत समय में तेज़ी से हुई इतनी विलुप्तिओं को समझाया नहीं जा सकता।
क्षुद्रग्रह प्रहार। लेकिन कोई भी ऐसा प्रहार क्रेटर नहीं मिला हो जो इतने बड़े पैमाने पर विलुप्तियाँ करने में सक्षम भी रहा हो और ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना से समकालीन भी हो।
भयंकर ज्वालामुखीय विस्फोट जिन्होनें या तो कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ाने से पृथ्वी को बहुत गरम कर दिया हो या फिर वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड और धूल बढ़ाने से पृथ्वी को बहुत ठंडा कर दिया हो।[4]