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फ़ख़रुद्दीन अहमद

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फख़रुद्दीन अहमद

फ़ख़रुद्दीन अहमद

वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में अहमद


कार्यकाल
12 जनवरी 2007 – 6 जनवरी 2009
राष्ट्रपतिइयाजुद्दीन अहमद
पूर्व अधिकारीफज्लुल हक (कार्यवाहक)
उत्तराधिकारीशेख हसीना

कार्यकाल
अक्टूबर 2001 – अप्रैल 2005
राष्ट्रपतिइयाजुद्दीन अहमद
पूर्व अधिकारीमोहम्मद फरशुद्दीन
उत्तराधिकारीसलेहुद्दीन अहमद

जन्म1 मई 1940 (1940-05-01) (आयु 84)
मुन्शीगंज, बंगाल प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत
राष्ट्रीयताब्रिटिश भारतीय (1940-1947)
पाकिस्तानी (1947-1971)
बांग्लादेशी (1971-अब तक)
राजनैतिक पार्टीIndependent
विद्या अर्जनढाका विश्वविद्यालय
विलियम्स काॅलेज
प्रिंस्टन विश्वविद्यालय

फखरुद्दीन अहमद, (बांग्ला:ফখরুদ্দীন আহমেদ, जन्म 1 मई 1940) एक बांग्लादेशी अर्थशास्त्री, नौकरशाह और बांग्लादेश बैंक (बांग्लादेश का केंद्रीय बैंक) के गवर्नर थे।

12 जनवरी 2007 को उन्हें, राजनीतिक संकट के बीच, निष्पक्ष अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर तकरीबन 2 वर्ष तक विराजमान रहे, जोकि साधारण कार्यकाल से कहीं अधिक है। तत्पश्चात 29 दिसंबर 2008 को साधारण चुनाव घोषित किए गए और अवामी लीग सत्ता पर काबिज हुई।

2007 का राजनैतिक संकट

सन 2007 का आम चुनाव विवाद का पात्र बन गए जब अवामी लीग और उसके घटक दलों ने राष्ट्रपति इयाज़ुद्दीन अहमद की सरपरस्ती वाली सामयिक सरकार, जो चुनावों के समय सरकारी कार्य के देखरेख की जिम्मेदार थी, पर खालिदा ज़िया के पक्ष में पक्षपात के आरोप तले, सरकार के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अवामी लीग की अध्यक्षा शेख हसीना क्यों यह मांग थी कि सामायिक सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति इयाज़ुद्दीन अहमद अपने पद का त्याग करें। तत्पश्चात 3 जनवरी 2007 को उन्होंने यह घोषणा की कि अवामी लीग और उसके गठबंधन दल चुनावों का बहिष्कार करेंगे।[1]

उसी महीने, सेना प्रमुख जनरल मोईनुद्दीन अहमद के नेतृत्व में, सेना ने हस्तक्षेप किया और राष्ट्रपति इयाज़ुद्दीन को मुख्य सलाहकार के अपने पद से त्यागपत्र देने के लिए कहा, एवं उन्हें आपातकाल की घोषणा भी करने के लिए कहा गया। डॉ फखरुद्दीन अहमद की मुख्य सलाहकारी में एक नई सेना-नियंत्रित सामयिक सरकार गठित की गई और पूर्व निर्धारित चुनावों को टाल दिया गया।

12 जनवरी 2007 को इयाज़ुद्दीन अहमद ने फकरुद्दीन अहमद को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई। फकरुद्दीन अहमद की सरकार का सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही उनकी स्थापित तंत्र के विरुद्ध भ्रष्टाचार विरोधी अभियान। उनके इस अभियान की जाँच तले करीब 160 वरिष्ठ राजनीतिज्ञों समेत अनेक सरकारी नौकर और सुरक्षा अधिकारियों को आर्थिक अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।[2]

इसके अलावा, इस जांच के जाल में दो प्रमुख राजनीतिक दलों के कई पूर्व मंत्रीगण, जिनमें, पूर्व सलाहकार फज्लुल हक़, पूर्व प्रधानमंत्री, खालिदा जिया और शेख हसीना भी शामिल थे, भी फसे थे।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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