गिलगित-बल्तिस्तान

पाकिस्तान प्रशासित लद्दाख और कश्मीर का क्षेत्र

गिलगित-बल्तिस्तान (उर्दू: گلگت بلتستان‎, बलती: གིལྒིཏ་བལྟིསྟན), पाकिस्तान प्रशासित लद्दाख के भीतर एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है जिसे पहले उत्तरी क्षेत्र या शुमाली इलाक़े (شمالی علاقہ جات‎, शुमाली इलाक़ाजात) के नाम से जाना जाता था। यह पाकिस्तान की उत्तरतम राजनैतिक इकाई है। इसकी सीमायें पश्चिम में खैबर-पख़्तूनख्वा से, उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वख़ान कॉरिडोर से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में पाकिस्तान प्रशासित आज़ाद कश्मीर और दक्षिणपूर्व में भारत प्रशासित जम्मू - कश्मीर राज्य से लगती हैं। गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी (28,174 मील²) और अनुमानित जनसंख्या लगभग दस लाख है। इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2,50,000 है।

गिलगित-बल्तिस्तान
گلگت - بلتستان
གིལྒིཏ་བལྟིསྟན
प्रशासनिक इकाई
गिलगित-बल्तिस्तान का झंडा
ध्वज
गिलगित-बल्तिस्तान का आधिकारिक सील
सील
गिलगित-बल्तिस्तान is located in पृथ्वी
गिलगित-बल्तिस्तान
गिलगित-बल्तिस्तान
नक़्शे में गिलगित-बल्तिस्तान (लाल) की स्थिति
देश पाकिस्तान
स्थापित1 जुलाई 1970
राजधानीगिलगित
सबसे बड़ा शहरगिलगित
शासन
 • प्रणालीस्वायत्तशासी क्षेत्र
 • सभाविधानसभा
 • राज्यपालशमा खालिद[1]
 • मुख्यमंत्रीसैय्यद महदी शाह[2]
क्षेत्र72971 किमी2 (28,174 वर्गमील)
जनसंख्या (2008; (अनुमानित))
 • कुल1,800,000
समय मण्डलPKT (यूटीसी+5)
प्रमुख भाषाएँ
विधानसभा में सीटें33[3]
ज़िले7
शहर7
वेबसाइटgilgitbaltistan.gov.pk

1970 में "उत्तरी क्षेत्र” नामक यह प्रशासनिक इकाई, गिलगित एजेंसी, लद्दाख़ वज़ारत का बल्तिस्तान ज़िला, हुन्ज़ा और नगर नामक राज्यों के विलय के पश्चात अस्तित्व में आई थी। पाकिस्तान इस क्षेत्र को विवादित भूतपूर्व रियासत जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र से पृथक क्षेत्र मानता है जबकि भारत और यूरोपीय संघ के अनुसार यह भूतपूर्व रियासत जम्मू और कश्मीर के वृहत विवादित क्षेत्र का ही हिस्सा है। लद्दाख का यह वृहत क्षेत्र सन 1947 के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का विषय है।

इतिहास

काराकोरम राजमार्ग

काराकोरम राजमार्ग के साथ साथ हुन्ज़ा और शतियाल के बीच लगभग दस मुख्य स्थानों पर पत्थरों के काट कर और चट्टानों को तराश कर बनाये गये लगभग 20000 कला के नमूने मिलते हैं। इनको मुख्यत इस व्यापार मार्ग का प्रयोग करने वाले हमलावरों, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के साथ साथ स्थानीय लोगों ने भी उकेरा है। इन कला के नमूनों में सबसे पुराने तो 5000 और 1000 ईसापूर्व के बीच के हैं। इनमें अकेले जानवरों, त्रिकोणीय पुरुषों और शिकार के दृश्यों को जिनमें जानवरों का आकार अमूमन शिकारी से बड़ा है, को उकेरा गया है। पुरातत्वविद कार्ल जेटमर ने इन कला के नमूनों के माध्यम से इस पूरे इलाके के इतिहास को अपनी पुस्तक रॉक कार्विंग एंड इंस्क्रिपशन इन द नॉर्दन एरियास ऑफ पाकिस्तान में दर्ज किया है। इसके बाद उन्होने अपनी एक दूसरी पुस्तक बिटवीन गंधारा एंड द सिल्क रूट–रॉक कार्विंग अलोंग द काराकोरम हाइवे को जारी किया।

पाकिस्तान की स्वतंत्रता और 1947 में भारत के विभाजन से पहले, महाराजा हरि सिंह ने अपना राज्य गिलगित और बल्तिस्तान तक बढ़ाया था। विभाजन के बाद, संपूर्ण जम्मू और कश्मीर, एक स्वतंत्र राष्ट्र बना रहा। 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध के अंत में संघर्ष विराम रेखा (जिसे अब नियंत्रण रेखा कहते हैं) के उत्तर और पश्चिम के कश्मीर के भागों को के उत्तरी भाग को उत्तरी क्षेत्र (72,971 किमी²) और दक्षिणी भाग को आज़ाद कश्मीर (13,297 किमी²) के रूप में विभाजित किया गया। उत्तरी क्षेत्र नाम का प्रयोग सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर के उत्तरी भाग की व्याख्या के लिए किया। 1963 में उत्तरी क्षेत्रों का एक छोटा हिस्सा जिसे शक्स्गम घाटी कहते हैं, पाकिस्तान द्वारा अनंतिम रूप से जनवादी चीन गणराज्य को सौंप दिया गया।

पाकिस्तान सरकार ने 1974 में गिलगित-बाल्टिस्तान में राज्य विषय नियम (एसएसआर) को समाप्त कर दिया,[4] जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुए।[5][6] वर्तमान में गिलगित-बल्तिस्तान, सात ज़िलों में बंटा हैं, इसकी जनसंख्या लगभग दस लाख और क्षेत्रफल 28,000 वर्ग मील है। इसकी सीमायें पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और भारत से मिलती हैं। इस दूरदराज के क्षेत्र के लोगों को जम्मू और कश्मीर के पूर्व राजसी राज्य के डोगरा शासन से 1 नवम्बर 1947 को बिना किसी भी बाहरी सहायता के मुक्ति मिली और वे एक छोटे से समयांतराल के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक बन गए। इस नए राष्ट्र ने स्वयं के एक आवश्यक प्रशासनिक ढांचे के आभाव के फलस्वरूप पाकिस्तान की सरकार से अपनी सरकार के मामलों के संचालन के लिए सहायता मांगी। पाकिस्तान की सरकार ने उनके इस अनुरोध को स्वीकारते हुए उत्तरपश्चिम सीमांत प्रांत से सरदार मुहम्मद आलम खान जो कि एक अतिरिक्त सहायक आयुक्त थे, को गिलगित भेजा। इसके पहले नियुक्त राजनीतिक एजेंट के रूप में, सरदार मुहम्मद आलम खान ने इस क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।

स्थानीय, उत्तरी लाइट इन्फैंट्री, सेना की इकाई है और माना जाता है कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इसने पाकिस्तान की सहायता की और संभवत: पाकिस्तान की ओर से युद्ध में भाग भी लिया। कारगिल युद्ध में इसके 500 से अधिक सैनिक मारे गये, जिन्हें उत्तरी क्षेत्रों में दफन कर दिया गया। ललक जान, जो यासीन घाटी का एक शिया इमामी इस्माइली मुस्लिम (निज़ारी) सैनिक था, जिसे कारगिल युद्ध के दौरान उसके साहसी कार्यों के लिए पाकिस्तान के सबसे प्रतिष्ठित पदक निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया गया।

स्वायत्त स्थिति और वर्तमान गिलगित-बल्तिस्तान

29 अगस्त 2009 को गिलगित-बल्तिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश 2009, पाकिस्तानी मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था और फिर इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए गए। यह आदेश गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों को एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी विधानसभा के माध्यम से स्वशासन की आज्ञा देता है। पाकिस्तानी सरकार के इस कदम की पाकिस्तान, भारत के अलावा गिलगित-बल्तिस्तान में भी आलोचना की गयी है साथ ही पूरे इलाके में इसका विरोध भी किया गया है।

गिलगित-बल्तिस्तान संयुक्त-आंदोलन ने इस आदेश को खारिज करते हुए नए पैकेज की मांग की है, जिसके अनुसार गिलगित-बल्तिस्तान की एक स्वतंत्र और स्वायत्त विधान सभा, भारत पाकिस्तान हेतु संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCIP)-प्रस्ताव के अनुसार स्थापित एक आधिकारिक स्थानीय सरकार के साथ बनाई जानी चाहिए, जहां गिलगित-बल्तिस्तान के लोग अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खुद चुनेंगे।

सितम्बर 2009 की शुरुआत में, पाकिस्तान ने चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और इसके अनुसार चीन गिलगित-बल्तिस्तान में एक बड़ी ऊर्जा परियोजना लगाएगा जिसके अंतर्गत अस्तोर जिले में बुंजी पर 7,000 मेगावाट के बांध का निर्माण किया जायेगा। इस परियोजना का भारत ने विरोध किया है पर पाकिस्तान ने इस विरोध को यह कह कर खारिज कर दिया कि, भारत सरकार के विरोध का कोई वैधानिक आधार नहीं है।

सबडिवीजन

गिलगित-बल्तिस्तान का मानचित्र इसके पुराने छह जिले और तहसीलों की सीमायें दर्शाते हुये। हाल ही में बनाये गये नये जिले हुन्जा-नगर और अब पहले से छोटे हो गये गिलगित जिले के बीच की सीमा वही है जो पहले गिलगित तहसील की थी। हुन्जा-नगर जिले का प्रशासनिक केन्द्र सिकन्दराबाद इस मानचित्र में नहीं दिखाया गया है।

गिलगित-बल्तिस्तान को प्रशासनिक रूप से दो डिवीजनों और इन डिवीजनों को सात जिलों में विभाजित किया गया है।[7] इन सात जिलों मे से दो ज़िले बल्तिस्तान और पांच जिले गिलगित डिवीजन में आते है। राजनीति के मुख्य केन्द्र गिलगित और स्कर्दू हैं।

डिवीजनजिलाक्षेत्रफल (किमी²)जनसंख्या (1998)मुख्यालय
बल्तिस्तानगान्चे9,40088,366खपलू
स्कर्दू18,000214,848स्कर्दू
गिलगितगिलगित39,300383,324गिलगित
दिआमेर10,936131,925चिलास
ग़िज़र9,635120,218गाहकुच
अस्तोर8,65771,666गौरीकोट
हुन्ज़ा-नगरसिकन्दराबाद
गिलगित-बल्तिस्तान योग7 जिले72,971970,347गिलगित

भूगोल

गिलगित एक बहुत ही सुंदर स्थान वाला क्षेत्र है। जहां 4900 फुट की ऊंचाई वाले कराकोरम की छोटी बड़ी पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। यहाँ सिंधु नदी भारत के लद्दाख से निकलती हुई बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है। गिलगित-बाल्टिस्तान के उत्तर में अफगानिस्तान का वख़ान कॉरिडोर बॉर्डर, उत्तरी क्षेत्र में ही चीन के झिनझियांग प्रान्त का उइगर क्षेत्र, इसके दक्षिण-दक्षिणपूर्व में भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर क्षेत्र, दक्षिण में ही पाक अधिकृत आजाद कश्मीर का क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र में पाकिस्तान की सीमाएं लगती हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक सुप्रसिद्ध ग्लेशियर भी है। कराकोरम क्षेत्र पर ही हिंद्कुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंची पर्वत भी हैं जो दुनिया की 33वीं ऊँची पर्वत श्रृंखला हैं। गिलगित में ही गिलगित घाटी भी है जो सुंदर झरनों, फूलों की सुंदर घाटियां भी हैं।

वनस्पति एवं प्राणी

बाहरी कड़ियाँ

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