ग्रह
सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण। इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस। प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने तारों और ग्रहों के बीच में अन्तर इस तरह किया- रात में आकाश में चमकने वाले अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की दिशा से उठते हैं, एक निश्चित गति प्राप्त करते हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा कहा गया। पर कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्डों के सापेक्ष में कभी आगे जाते थे और कभी पीछे - यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet[1] एक लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ होता है इधर-उधर घूमने वाला। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया। शनि के परे के ग्रह दूरबीन के बिना नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए प्राचीन वैज्ञानिकों को केवल पाँच ग्रहों का ज्ञान था, पृथ्वी को उस समय ग्रह नहीं माना जाता था।
ज्योतिष के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग है। भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। ग्रह दो प्रकार के होते है। आंतरिक ग्रह और बाह्य ग्रह। आंतरिक ग्रह में बुध शुक्र पृथ्वी मंगल,और बाह्य ग्रह में बृहस्पति शनि अरुण और वरुण है।मंगल और बृहस्पति के कश्चाओ के मध्य एस्टेरॉयड चक्कर लगाते है। [1]
*बुध[2] | *शुक्र[3] | *पृथ्वी[4] | *मंगल[5] | °बृहस्पति[6] | °शनि[7] | °युरेनस[8] | °नेप्चून[9] | ||
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खगोलीय चिन्ह[q] | |||||||||
सूर्य से औसत दूरी | कि.मी. AU | 57,909,175 0.38709893 | 108,208,930 0.72333199 | 149,597,890 1.00000011 | 227,936,640 1.52366231 | 778,412,010 5.20336301 | 1,426,725,400 9.53707032 | 2,870,972,200 19.19126393 | 4,498,252,900 30.06896348 |
भूमध्यरेखीय व्यास | कि.मी. | 2,439.64 0.3825 | 6,051.59 0.9488 | 6,378.1 1 | 3,397.00 0.53226 | 71,492.68 11.209 | 60,267.14 9.449 | 25,557.25 4.007 | 24,766.36 3.883 |
पृष्ठ क्षेत्र | कि.मी.2 | 75,000,000 0.1471 | 460,000,000 0.9010 | 510,000,000 1 | 140,000,000 0.2745 | 64,000,000,000 125.5 | 44,000,000,000 86.27 | 8,100,000,000 15.88 | 7,700,000,000 15.10 |
आयतन | कि.मी.3 | 6.083×1010 0.056 | 9.28×1011 0.87 | 1.083×1012 1 | 1.6318×1011 0.151 | 1.431×1015 1,321.3 | 8.27×1014 763.59 | 6.834×1013 63.086 | 6.254×1013 57.74 |
द्रव्यमान | कि.ग्रा. | 3.302×1023 0.055 | 4.8690×1024 0.815 | 5.9742×1024 1 | 6.4191×1023 0.107 | 1.8987×1027 318 | 5.6851×1026 95 | 8.6849×1025 14 | 1.0244×1026 17 |
घनत्व | ग्राम / से.मी.3 | 5.43 | 5.24 | 5.515 | 3.940 | 1.33 | 0.70 | 1.30 | 1.76 |
भूमध्यरेखीय गुरुत्व | मीटर /सेकण्ड 2 | 3.70 | 8.87 | 9.81 | 3.71 | 23.12 | 8.96 | 8.69 | 11.00 |
पलायन वेग | कि.मी./सेकण्ड | 4.25 | 10.36 | 11.18 | 5.02 | 59.54 | 35.49 | 21.29 | 23.71 |
घूर्णन काल | दिन | 58.646225 | −243.0187[h] | 0.99726968 | 1.02595675 | 0.41354 | 0.44401 | −0.71833[h] | 0.67125 |
कक्षीय काल | वर्ष | 0.2408467 | 0.61519726 | 1.0000174 | 1.8808476 | 11.862615 | 29.447498 | 84.016846 | 164.79132 |
औसत कक्षीय वेग | कि.मी./सेकण्ड | 47.8725 | 35.0214 | 29.7859 | 24.1309 | 13.0697 | 9.6724 | 6.8352 | 5.4778 |
उत्केंद्रता (Eccentricity) | 0.20563069 | 0.00677323 | 0.01671022 | 0.09341233 | 0.04839266 | 0.05415060 | 0.04716771 | 0.00858587 | |
आनति (झुकाव) | कोण | 7.00 | 3.39 | 0[4] | 1.85 | 1.31 | 2.48 | 0.76 | 1.77 |
धुरीय झुकाव | कोण | 0.0 | 177.3 | 23.44 | 25.19 | 3.12 | 26.73 | 97.86 | 29.58 |
औसत पृष्ठ तापमान | केल्विन | 440 - 100 | 730 | 287 | 227 | 152 [j] | 134 [j] | 76 [j] | 72 [j] |
औसत वायु तापमान | केल्विन | 288 | 165 | 135 | 76 | 73 | |||
वायुमंदालीय संयोजन | He Na+ P+ | CO2 N2 | N2 O2 | CO2 N2 Ar | H2 He | H2 He | H2 He CH4 | H2 He CH4 | |
ज्ञात उपग्रहों की संख्या | 0 | 0 | 1 | 2 | 79 | 62 | 27 | 13 | |
वलय | No | No | No | No | Yes | Yes | Yes | Yes | |
Planetary discriminant[l][o] | 9.1×104 | 1.35×106 | 1.7×106 | 1.8×105 | 6.25×105 | 1.9×105 | 2.9×104 | 2.4×104 |
अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने वर्ष २००६ में नई परिभाषा दी जिसके अनुसार, ग्रह उन्हीं आकाशीय पिंडों को माना जायेगा जो -
१. अपनी निश्चित कक्षा में परिक्रमा करते हों।२. ऐसे खगोलीय पिंड जो अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से अपनी कक्षा के आस पास अवस्थित अन्य पिंडों को या तो खुद में समाहित कर ले या कक्षा से पूर्णतया बाहर कर दे या कुछ उनमें से चंद्रमा बन जाए।३. ऐसे खगोलीय पिंड जिनसे पर्याप्त द्रव्यमान हो ताकि वह अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के माध्यम से अपने लगभग गोलाकार स्वरूप को संतुलित रख सकें।
सन्दर्भ
सौर मण्डल |
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सूर्य · बुध · शुक्र · पृथ्वी · मंगल · सीरीस · बृहस्पति · शनि · अरुण · वरुण · यम · हउमेया · माकेमाके · एरिस |
ग्रह · बौना ग्रह · उपग्रह - चन्द्रमा · मंगल के उपग्रह · क्षुद्रग्रह · बृहस्पति के उपग्रह · शनि के उपग्रह · अरुण के उपग्रह · वरुण के उपग्रह · यम के उपग्रह · एरिस के उपग्रह |
छोटी वस्तुएँ: उल्का · क्षुद्रग्रह (क्षुद्रग्रह घेरा) · किन्नर · वरुण-पार वस्तुएँ (काइपर घेरा/बिखरा चक्र) · धूमकेतु (और्ट बादल) |