घासभूमि

ऐसे विस्तृत क्षेत्र जहाँ दूर-दूर तक घास और छोटे झाड़ फैले हुए हों।

घासभूमि या विहारभूमि या चमनज़ार ऐसे विस्तृत क्षेत्र को कहते हैं जहाँ दूर-दूर तक घास और छोटे झाड़ फैले हुए हों। ऐसी जगहों पर जहाँ-तहाँ वृक्ष भी हो सकते हैं लेकिन भूमि के अधिकतर हिस्से पर घास ही बिछी हुई होती है। अंटार्कटिका को छोड़कर घासभूमियाँ हर महाद्वीप पर पाई जाती हैं और अक्सर स्थानीय नामों से जानी जाती हैं। दक्षिणी अफ़्रीका में इसे 'वॅल्ड', उप-सहारवी अफ़्रीका में 'सवाना', यूरोपएशिया में 'स्तेपी', उत्तर अमेरिका में 'प्रेरी' और दक्षिण अमेरिका में 'पाम्पास' के नाम से जाना जाता है।[1] भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में घासभूमि के छोटे क्षेत्रों को 'मर्ग' कहा जाता है। वह घासभूमि जिसका प्रयोग जानवर चराने के लिये किया जाता हो, उसे अक्सर चारागाह भी कहा जाता है। विश्व के अलग भागों की घासभूमियों में घास की जातियों में भी अंतर होता है। दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग और दक्षिण अफ़्रीका की घासभूमियों में घासों की सबसे अधिक जातीय विविधता पाई गई है।[2]पम्प्पास घास रहित मैदान होते है

मंगोलिया में स्तेपी

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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