जॉर्ज पंचम

1910 से 1936 तक यूनाइटेड किंगडम के राजा
(जार्ज पंचम से अनुप्रेषित)

जॉर्ज पंचम (जॉर्ज फ़्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट; 3 जून 186520 जनवरी 1936) प्रथम ब्रिटिश शासक थे जो विंडसर राजघराने से संबंधित थे। यूनाइटेड किंगडम एवं अन्य राष्ट्रमंडल समूह के महाराजा होने के साथ साथ, जॉर्ज भारत के सम्राट एवं स्वतन्त्र आयरिश राज्य के राजा भी थे। जॉर्ज ने सन 1910 से प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) के दौरान और बाद में 1936 में अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया।

जॉर्ज पंचम
'HM हिज़ मैजेस्टी द किंग
हिज़ रॉयल हाइनेस प्रिंस ऑफ वेल्स
द ड्यूक ऑफ कॉर्नवाल एण्ड यॉर्क
HRH द ड्यूक ऑफ यॉर्क
HRH प्रिंस जॉर्ज ऑफ वेल्स
महाराजा (किंग) जॉर्ज पंचम
यूनाइटेड किंगडम और ब्रिटिश स्वायत्त्योपनिवेश देशों के राजा,
भारत के सम्राट
शासनावधि6 मई 191020 जनवरी 1936
राज्याभिषेक22 जून 1911
पूर्ववर्तीएडवर्ड सप्तम
उत्तरवर्तीएडवर्ड अष्टम
जन्म3 जून 1865
लंदन
निधन20 जनवरी 1936(1936-01-20) (उम्र 70)
जीवनसंगीटैक की मैरी
पूरा नाम
जॉर्ज फ्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट
पिता=एडवर्ड सप्तम
माताडेनमार्क की एलेक्ज़ेंड्रा


जॉर्ज के पिता महाराज एडवर्ड सप्तम की १९१० में मृत्यु होने पर, वे महाराजा बने। वे एकमात्र ऐसे सम्राट थे, जो कि अपने स्वयं के दिल्ली दरबार में, अपनी भारतीय प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए, जहां उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने सारी जर्मन उपाधियां, वापस कर दीं। इनके शासन ने फासीवाद, नाजीवाद, समाजवाद इत्यादि देखे; एवं प्रथम मजदूर मंत्रालय भी, जिन सभी घटनाओं ने राजनैतिक क्रम को बदल दिया। जॉर्ज को उनके अंतिम दिनों में प्लेग व अन्य बीमारियों ने घेर लिया था; जब उनकी मृत्यु पर उनके ज्येष्ठ पुत्र एडवर्ड अष्टम ने राजगद्दी संभाली।

जीवन एवं शिक्षा

जॉर्ज का जन्म 3 जून, 1865 को लंदन के मार्लबोरो हाउस में हुआ था। इनके पिता प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में एडवर्ड सप्तम, यूनाइटेड किंगडम के महाराजा थे, जो महारानी विक्टोरिया एवं सैक्से-कोबर्ग एवं गोथा के प्रिंस अल्बर्ट के पुत्र थे। इनकी माता राजकुमारी ऑफ वेल्स बाद में क्वीन एलेक्ज़ेंड्रा, डेनमार्क बनीं, जो डेनमार्क के महाराजा क्रिस्टियन नवम की ज्येष्ठ पुत्री थीं। महारानी विक्टोरिया के पौत्र, जॉर्ज को जन्म से ही, “हिज़ रॉयल हाइनेस प्रिंस जॉर्ज ऑफ वेल्स” कहा गया।

इनका बैप्टाइज़ेशन विंडसर चैपल में 7 जुलाई, 1865 को हुआ था[1]। प्रिंस ऑफ वेल्स के कनिष्ठतम पुत्र होने के कारण, जॉर्ज के महाराजा बनने के बिलकुल भी आसार नहीं थे। इनके ज्येष्ठ भ्राता प्रिंस अल्बर्ट विक्टर, महाराजा पद के प्रबल दावेदार थे।

जॉर्ज, युवा बालक रूप में, 1870

क्योंकि जॉर्ज अपने भ्राता प्रिंस ऑफ विक्टर से मात्र पंद्रह महीने ही छोटे थे, दोनों राजकुमारों की शिक्षा का एक साथ ही प्रबंध तय हुआ। जॉन नीयल डाल्टन को इनका शिक्षक नियुक्त किया गया, हालांकि दोनों ही भाई शिक्षा में खास प्रवीण नहीं थे।[2] सितंबर 1877 में दोनों भाईयों ने एचएमएस ब्रिटानिया पर नौसैनिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।[3]१८७९ में ब्रिटिश साम्राज्य का भ्रमण किया। उन्होंने नोर्फोक में वर्जीनिया, कैरिबियन सागर में ब्रिटिश उपनिवेश, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भूमध्य सागर क्षेत्र, दक्षिण अमरीका, सुदूर पूर्व एवं मिस्र की यात्राएं कीं। जापान में जॉर्ज ने अपनी बांह पर एक नीले व लाल रंग का अज़दहा (ड्रैगन) भी गुदवाया।[4] डाल्टन ने इस यात्रा का वृतांत भी लिखा है, जो “द क्रूज़ ऑफ एच.एम.एस. बेशैंत” के नाम से है।[5] अपनी इंगलैंड वापसी पर दोनों भाइयों को अलग किया गया, जिसमें अल्बर्ट विक्टर को ट्रिनिटी कालिज, कैम्ब्रिज भेजा गया, व जॉर्ज को शाही नौसेना में जारी रहने को कहा गया। वे यहां 1891 तक रहे, व उच्च पदस्थ भी हुए, जो कि सम्मान के साथ, मात्र था।

विवाह

वे अपने नौसैनिक अंकल अल्फ्रेड, एडिनबरा के ड्यूक की बेटी मैरी से प्रेम करने लगे। इस रिश्ते को विवाह की स्वीकृति इनके सभी पैतृक संबंधियों, एवं अंकल ने दी, किन्तु इन दोनो की मांओं, राजकुमारी ऑफ वेल्स एवं डचेस ऑफ एडिनबोरो ने भरसक विरोध किया। दोनों एक दूसरे के देशों की कट्टर विरोधी थीं (इंगलैंड व जर्मनी)। जॉर्ज के प्रस्ताव को मैरी ने ठुकरा दिया। वह बाद में रोमानिया की रानी बनी।[6]

सन 1891 में इनका रिश्ता राजकुमारी विक्टोरिया मैरी ऑफ टैक से तय हुआ, जो प्रिंस फ्रांसिस, ड्यूक ऑ टैक तथा राजकुमारी मैरी ऐडलेड ऑफ कैम्ब्रिज, की इकलौती पुत्री थी, व जिन्हें इनके परिवार की प्रथानुसार नाम में मैरी के बाद जन्म का मास जोड़ा जाता था, तो ये मे (मई महीना) कहलाती थीं। इस सगाई के छह सप्ताह के भीतर ही अल्बर्ट विक्टर की मृत्यु न्यूमोनिया के कारण हो गयी। इस कारण जॉज का राजगद्दी को रास्ता स्पष्ट हो गया। इससे जॉर्ज का नौसैनिक पेशा समाप्त हो चला, क्योंकि अब उन्हें राजनीति में छवि निखारनी थी।[7]

महारानी विक्टोरिया अब भी राजकुमारी मे के पक्ष में थीं। उनके आग्रह से जॉर्ज ने मे को प्रणय-प्रस्ताव किया, जो कि एक आजीवन सफल विवाह में परिणामित हुआ।[8]

जॉर्ज संग मे का विवाह 6 जुलाई, 1893 को शैफल (चैपल) रॉयल, सेंट जेम्स पैलेस, लंदन में सम्पन्न हुआ। इस विवाह में, अंग्रेज़ी दैनिक “द टाइम्स" के अनुसार जॉर्ज को लोगों ने उनकी दाढ़ी व वेशभूषा के कारण रूस के निकोलस द्वितीय (बाद में ज़ार बने) समझा।[9] केवल उनके चेहरे की शक्ल अलग थी, जो कि केवल निकट से ही दृश्य थी।[10]

ड्यूक ऑफ यॉर्क

24 मई,1892 को महारानी विक्टोरिया ने जॉर्ज को ड्यूक ऑफ यॉर्क, अर्ल ऑफ इन्वर्नेस तथा बैरन किल्लार्ने घोषित किया |<ref name="creation">"Yvonne's Royalty: Peerage". मूल से 4 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2007.</ref>। जॉर्ज से विवाहोपरांत मे भी डचेस ऑफ यॉर्क कहलायीं।

यह युगल मुख्यतः यॉर्क कॉटेज में ही रहते थे।[11] जो कि नोर्फोक में स्थित एक अपेक्षाकृत छोटा निवास था।

जॉर्ज एक जाने माने डाक-टिकट संग्रहकर्ता भी थे।[12] जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी यहां 1926 तक रहे।

चर्चिल के अनुसार, जॉर्ज एक सख्त पिता थे, कि उनके बच्चे उनसे बहुत डरते थे। जॉर्ज एवं मैरी के पाँच पुत्र व एक पुत्री थी।

प्रिंस ऑफ वेल्स

महारानी विक्टोरिया की 22 जनवरी,1901 को मृत्यु के बाद, जॉर्ज के पिता एडवर्ड सप्तम ने गद्दी संभाली। जॉर्ज को ड्यूक ऑ कॉर्नवाल व ड्यूक ऑफ रोदेसे की उपाधि मिलीं। आगे के कई वर्षों तक वे ड्यूक ऑफ कॉर्नवाल एण्ड यॉर्क ही कहलाये थे। 1901 में, इस युगल ने ब्रिटिश साम्राज्य की यात्रा की, जब वे ऑस्ट्रेलिया भी गये। वहां उन्होंने संसद के प्रथम सत्र का आरम्भ किया। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया को राष्ट्रमंडल देश में शामिल किया। इसके बाद वे दक्षिण अमेरीका, कनाडा, न्यूजीलैंड भी गये।

9 नवंबर, 1901 को इन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स व अर्ल ऑफ चैस्टर, बनाया गया।[13] एडवर्ड सप्तम चाहते थे, कि जॉर्ज राजकाज के कार्यों में भी रुचि ले, जिसके विपरीत, महारानी विक्टोरिया ने कभी एडवर्ड को राजकाज में सम्मिलित नहीं किया था।[7]

1901 में जॉर्ज ने भारत की यात्रा की। यहां उन्होंने प्रजातीय भेदभाव देखा, जिससे उन्हें अपार घृणा हुई। उन्होंने भारतीय लोगों को भारत सरकार में शामिल करने का अभियान चलाया।[14][15]

महाराजा एवं सम्राट

6 मई,1910 को एडवर्ड सप्तम की मृत्यु हुई। इसके बाद जॉर्ज को महाराजा जॉर्ज पंचम घोषित किया गया। इसके साथ ही मे को भी महारानी मैरी बनाया गया[16]। इनका तिलक वेस्टमिनिस्टर अबे में 22 जून,1911 को हुआ था।[7]

अगले वर्ष 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी ने भारत की यात्रा की। यहां उनके तिलक हेतु दिल्ली दरबार सजा, जहां उन दोनों को भारत के सम्राट व सम्राज्ञी घोषित किया गया। जॉर्ज ने नव-निर्मित भारत का इम्पीरियल मुकुट पहना। तब इस युगल ने पूरे भारत की यात्रा की।

प्रथम विश्व युद्ध

1914 से 1918 तक ब्रिटेन जर्मनी के साथ युद्ध में संलग्न था। जर्मन शासक कैसर विलियम द्वितीय, जॉर्ज का कज़न भाई था। महारानी मैरी, हालांकि अपनी मां के समान ब्रिटिश थी, किन्तु ड्यूक ऑफ टैक, जो जर्मन वंश से थे, की पुत्री थीं।

महाराजा के कई वंशज व रिश्तेदार, जर्मनी से थे। उनके वंश नाम भी जर्मन थे। इस युद्ध के कारण 17 जुलाई,1917 को जॉर्ज ने जर्मन नाम _हाउस ऑफ सैक्से कोबर्ग_ से बदल कर हाउस ऑफ विंडसर करने का आदेश निकाला। उसने स्वयं अपना व आगे आने वाले वंशजों का जातिनाम (सरनेम) विंडसर रखा। केवल बाहर विवाहित महिलायें अपवाद रखीं।[17]

और अंततः उसने अपने बहुत से अंबंधियों की ओर से सभी जर्मन नाम, उपाधियां व शैलियां त्यागीं, व ब्रिटिश नाम रखे।

इस युद्ध के अंत के दो माह बाद, जॉर्ज का छोटा पुत्र तेरह वर्शः की आयु में, खराब स्वास्थ्य से मृत्यु को प्राप्त हुआ।

साँचा:Infobox British Monarch Styles

पूर्वज

वंशज

NameBirthDeathNotes
Edward, Prince of Wales
एडवर्ड ८
23 जून 189428 मई 1972later the Duke of Windsor; married Wallis Simpson; no issue
Prince Albert, Duke of York
Later George VI
14 दिसम्बर 18956 फ़रवरी 1952married Lady Elizabeth Bowes-Lyon; had issue (including Elizabeth II)
Mary, Princess Royal
Later Princess Royal and Countess of Harewood
25 अप्रैल 189728 मार्च 1965married Henry Lascelles, 6th Earl of Harewood; and had issue
Prince Henry, Duke of Gloucester31 मार्च 190010 जून 1974married Lady Alice Montagu-Douglas-Scott; had issue
Prince George, Duke of Kent20 दिसम्बर 190225 अगस्त 1942married Princess Marina of Greece and Denmark; had issue
Prince John12 जुलाई 190518 जनवरी 1919Died from seizures

नोट्स

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

जॉर्ज पंचम
विंडसर घराना
Cadet branch of the House of Wettin
जन्म: 3 जून 1865 मृत्यु: 20 जून 1936
राजसी उपाधियाँ
पूर्वाधिकारी
Edward VII
King of the United Kingdom
of Great Britain and Ireland
and of the British Dominions

1910 – 1927
Name of title changed by the
Royal and Parliamentary Titles Act 1927
Emperor of India
1910 – 1936
उत्तराधिकारी
Edward VIII
नया पद
Name of title changed by the
Royal and Parliamentary Titles Act 1927
King of Great Britain, Ireland
and the British Dominions

1927 – 1936
उत्तराधिकारी
Edward VIII
British royalty
पूर्वाधिकारी
Albert Edward, Prince of Wales
later became King Edward VII
Heir to the Throne
as heir apparent
1901 – 1910
उत्तराधिकारी
Edward, Prince of Wales
later became King Edward VIII
Honorary titles
पूर्वाधिकारी
Prince George, Duke of Cambridge
Grand Master of the Order of
St Michael and St George

1904 – 1910
खाली
Title next held by
Edward, Prince of Wales
पूर्वाधिकारी
The Lord Curzon of Kedleston
Lord Warden of the Cinque Ports
1905 – 1907
उत्तराधिकारी
The Earl Brassey
Peerage of the United Kingdom
पूर्वाधिकारी
Prince Albert Edward, Duke of Cornwall
later became King Edward VII
Prince of Wales
1901 – 1910
उत्तराधिकारी
Prince Edward, Duke of Cornwall
later became King Edward VIII
नई रचनाDuke of York
6th creation
1892 – 1910
Merged in the Crown
🔥 Top keywords: सट्टासुनील छेत्रीक्लियोपाट्रा ७मुखपृष्ठविशेष:खोजभारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेशपृथ्वीराज चौहानभारत के प्रधान मंत्रियों की सूचीस्वाति मालीवालभारतीय आम चुनाव, 2019ब्लू (2009 फ़िल्म)भारतीय आम चुनाव, 2024नरेन्द्र मोदीभारत का संविधानलोक सभारासायनिक तत्वों की सूचीहिन्दी की गिनतीलोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूचीकबीरभीमराव आम्बेडकरहिन्दीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसभारतमिस्रमहात्मा गांधीबिहार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रखाटूश्यामजीमिया खलीफ़ाभारत का प्रधानमन्त्रीमाधवराव सिंधियासंज्ञा और उसके भेदराहुल गांधीप्रेमचंदभारत के राजनीतिक दलों की सूचीभारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की सूचीतुलसीदासश्रीमद्भगवद्गीताभारतीय जनता पार्टीबिहार के जिले