प्रवेशद्वार:धर्म और आस्था
प्रवेशद्वार:धर्म और आस्था पर आपका हार्दिक स्वागत है! धर्म अर्थात पंथ निर्दिष्ट व्यवहारों और प्रथाओं, नैतिकता, विश्व साक्षात्कार, ग्रंथों, पवित्र स्थानों, भविष्यवाणियों, नैतिकता या संगठनों का एक सामाजिक-सांस्कृतिक तंत्र है, जो मानवता को अलौकिक, पारलौकिक और आध्यात्मिक तत्वों से संबंधित करता है। हालाँकि, इस बात पर कोई विद्वता सर्वसम्मति नहीं है कि वास्तव में एक धर्म क्या है विभिन्न धर्मों में दैवीय, पवित्र चीजें, विश्वास, एक अलौकिक प्राणी या अलौकिक प्राणी या "कुछ प्रकार की अल्टिमेसी और पारगमन से लेकर विभिन्न तत्व हो सकते हैं या हो सकते हैं जो जीवन के बाकी हिस्सों के लिए आदर्श और शक्ति प्रदान करेंगे"। धार्मिक प्रथाओं में अनुष्ठान, उपदेश, स्मरण या वंदना (देवताओं और / या संतों का), बलिदान, पर्व, त्यौहार, दीक्षा, अंतिम संस्कार सेवाएं, वैवाहिक सेवा, ध्यान, प्रार्थना, संगीत, कला, नृत्य, सार्वजनिक सेवा, या शामिल हो सकते हैं। मानव संस्कृति के अन्य पहलू। विश्व भर में अनुमानित 10,000 अलग-अलग धर्म हैं। दुनिया की आबादी का लगभग 84% ईसाई धर्म, इस्लाम, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म या लोक धर्म के किसी न किसी रूप से जुड़ा हुआ है। धार्मिक रूप से अप्रभावित जनसांख्यिकी में वे लोग शामिल हैं जो किसी विशेष धर्म, नास्तिक और अज्ञेयवाद की पहचान नहीं करते हैं। जबकि धार्मिक रूप से असंबद्ध विश्व स्तर पर विकसित हुए हैं, धार्मिक रूप से असंबद्ध कई अब भी विभिन्न धार्मिक विश्वास हैं। | ||
चयनित लेख कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के क्षत्रिय वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान् युद्ध का उस समय के महान् ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। अधिक पढ़ें… | चयनित धर्म यहूदी धर्म या यूदावाद विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से है, तथा यह एक इब्राहीमी एकेश्वरवादी धर्म है जो कि इस्राइल का राजधर्म भी है। इस धर्म में ईश्वर और उसके नबी यानि पैग़म्बर की मान्यता प्रधान है। इनके धार्मिक ग्रन्थों में तनख़, तालमुद तथा मिद्रश प्रमुख हैं। यहूदी मानते हैं कि यह सृष्टि की रचना से ही विद्यमान है। यहूदियों के धार्मिक स्थल को मन्दिर व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहते हैं। ईसाई धर्म व इस्लाम का आधार यही परम्परा और विचारधारा है। बाबिल (बेबीलोन) के निर्वासन से लौटकर इज़रायली जाति मुख्य रूप से येरूसलेम तथा उसके आसपास के यूदा नामक प्रदेश में बस गया था, इस कारण इज़रायलियों के इस समय के धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को यूदावाद कहते हैं। उस समय येरूसलेम का मंदिर यहूदी धर्म का केंद्र बना और यहूदियों को मसीह के आगमन की आशा बनी रहती थी। निर्वासन के पूर्व से ही तथा निर्वासन के समय में भी यशयाह, जेरैमिया, यहेजकेल और दानिएल नामक नबी इस यूदावाद की नींव डाल रहे थे। वे यहूदियों को याहवे के विशुद्ध एकेश्वरवादी धर्म का उपदेश दिया करते थे और सिखलाते थे कि निर्वासन के बाद जो यहूदी फिलिस्तीन लौटेंगे वे नए जोश से ईश्वर के नियमों पर चलेंगे और मसीह का राज्य तैयार करेंगे। अधिक पढ़ें… | |
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