विश्लेषी दर्शन
पाश्चात्य दर्शन के सन्दर्भ में, विश्लेषी दर्शन (Analytic philosophy), दर्शन की उस नवीन शैली को कहते हैं जो २०वीं शताब्दी के आरम्भ में प्रबल हुई। इसके कई अर्थ हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख अर्थ ये हैं_
- (१) तर्कों की स्पष्टता एवं परिशुद्धता पर बल, विश्लेषी दर्शन की प्रमुख विशेषता है। विश्लेषी दर्शन प्रायः औपचारिक तर्कशास्त्र तथा संकल्पनात्मक विश्लेषण का उपयोग करता है और कभी-कभी गणित और प्राकृतिक विज्ञानों का भी उपयोग करता है।
- (२) ऐतिहासिक विकास के रूप में विश्लेषी दर्शन २०वीं शताब्दी में हुए कुछ परिवर्तनों को इंगित करता है जो वर्तमान दार्शनिक व्यवहार का पूर्ववर्ती है। इस ऐतिहासिक विकास के केन्द्र में बर्टराण्ड रसेल, लुडविग विट्गेंस्टाइन, जी ई मूर, गॉटलॉब फ्रेज तथा तार्किक प्रत्यक्षवादी थे।
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