परिवार

परिवार ओ लोकसभक एकटा समूह थिक् जे या तँ सजातीयता (मान्यता प्राप्त जन्मद्वारा) या आत्मीयता (विवाह या अन्य सम्बन्धसभद्वारा) सँ सम्बन्धित होइत् अछि। ई सामाजिक व्यवस्थाक आधार बनैत् अछि।[१] परिवारक उद्देश्य अपन सदस्यसभ आ समाजक आपसी सद्भाव या सौहार्दता बनाकें रखनाए अछि।[२]आदर्श रूपसँ, जेना-जेना सदस्य परिपक्व होइत् अछि आ समुदायमें भाग लेनाए सीखैत् अछि, परिवार पूर्वानुमान, संरचना आ सुरक्षा प्रदान करैत् अछि। ऐतिहासिक रूपसँ, अधिकांश मानव केर समाज परिवारकें लगाव, पालन-पोषण आ समाजीकरण के प्राथमिक केन्द्रकें रूपमें उपयोग करैत् अछि।[३][४][५][६]

सन् १८७० केरऽ एकटा भारतीय परिवार


मानव समाजकें भुतकाल आ वर्तमानकालकऽ आयामसभक अध्ययन केनिहार मानवविज्ञानी अधिकांश पारिवारिक संगठनसभ केर मातृसत्तात्मक (एकटा माँय आ ओकर बच्चासभ), पितृसत्तात्मक (एकटा बाप् आ ओकर बच्चासभ), वैवाहिक (बच्चासभक साथ एकटा विवाहित जोडी, जेकरा एकल परिवार सेहो कहल् जाइत् अछि), या विस्तारित (माँय-बाप् आ बच्चासभक बाहेक, दादा-दादी, चाची, चाचा या चाचा केर भाई सम्मिलित भऽ सकैत अछि) के रूप में वर्गीकृत करैत् अछि।

वंशावली के क्षेत्र केरऽ उद्देश्य इतिहासकऽ माध्यमसँ पारिवारिक वंश केर पत्ता लगेनाए अछि। पारिवारिक अर्थशास्त्रमें परिवार सेहो एकटा महत्वपूर्ण आर्थिक इकाई थिक् जेकर अध्ययन कएल जाइत् अछि। समुदाय, राष्ट्रवाद आ वैश्विक गाम जेहन अधिक समावेशी श्रेणीसभ बनावे कें लेल "परिवार" शब्द केरऽ उपयोग कएल जाऽ सकैत् अछि।


सामाजिक

आकार

प्रकार

बहु वंशानुगत परिवार

दाम्पत्य (एकल) परिवार

एकल अभिभावक परिवार

मातृसत्तात्मक परिवार

विस्तृत परिवार

मिश्रित परिवार

एकपत्नी परिवार

बहुपत्नी परिवार

भूमिकासभ

एकल परिवार

सम्पार्श्विक नाता

समग्र नाता

सन्दर्भ सामग्रीसभ

बाह्य जडीसभ

एहो सभ देखी