अमृतसर

पंजाब, भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में प्रसिद्ध शहर

अमृतसर (Amritsar), जिसका ऐतिहासिक नाम रामदासपुर (Ramdaspur) और जिसे आम बोलचाल में अम्बरसर (Ambarsar) कहा जाता है, भारत के पंजाब राज्य का (लुधियाना के बाद) दूसरा सबसे बड़ा नगर है और अमृतसर ज़िले का मुख्यालय है। यह पंजाब के माझा क्षेत्र में है और एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, धार्मिक, यातायात और आर्थिक केन्द्र है। यह सिख धर्म का सबसे पवित्र नगर है और यहाँ सबसे बड़ा गुरद्वारा, स्वर्ण मंदिर, स्थित है। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का हृदय माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर चण्डीगढ़ से 217 किमी (135 मील) पश्चिमोत्तर, नई दिल्ली से 455 किमी (283 मील) पश्चिमोत्तर, पाकिस्तान के लाहौर नगर से 47 किमी (29.2 मील) पूर्वोत्तर और अटारी-वाहगा की भारत-पाक सीमा बिन्दु से 28 किमी (17.4 मील) दूर स्थित है।[2][3][4][5]

अमृतसर
Amritsar
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
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ऊपर से दक्षिणावर्त: हरमन्दिर साहिब, हेरिटेज स्ट्रीट, राम बाग, आईवीआर मॉल, विभाजन संग्रहालय, गुरुद्वारा बाबा अटल
अमृतसर is located in पंजाब
अमृतसर
अमृतसर
पंजाब में स्थिति
निर्देशांक: 31°38′N 74°52′E / 31.64°N 74.86°E / 31.64; 74.86 74°52′E / 31.64°N 74.86°E / 31.64; 74.86
देश भारत
राज्यपंजाब
ज़िलाअमृतसर ज़िला
संस्थापकगुरु राम दास
शासन
 • प्रणालीनगरपालिका
 • सभाअमृतसर नगर निगम
 • महापौरकरमजीत सिंह (आप)
 • डिप्टी कमिश्नरगुरप्रीत सिंह खैरा[1]
क्षेत्र240 किमी2 (90 वर्गमील)
जनसंख्या (2011)
 • शहर15,83,961
 • महानगर19,93,809
भाषा
 • प्रचलितपंजाबी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड143001
दूरभाष कोड+91-183
वाहन पंजीकरणPB-01 (व्यापारिक), PB-02
वेबसाइटamritsar.nic.in
खालसा कालज अमृतसर

इतिहास

स्वर्ण मन्दिर

अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृतसर की गरिमा बरकरार है।

अमृतसर लगभग साढ़े चार सौ वर्ष से अस्तित्व में है। सबसे पहले गुरु रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवर के बीच में बना हुआ है। यहां का बना तंदूर बड़ा लजीज होता है। यहां पर सुन्दर कृपाण, आम पापड, आम का आचार और सिक्खों की दस गुरूओं की खूबसूरत तस्वीरें मिलती हैं। अमृतसर में पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा। अमृतसर के पास उसके गौरवमयी इतिहास के अलावा कुछ भी नहीं है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अलावा देखने लायक कुछ है तो वह है अमृतसर का पुराना शहर। इसके चारों तरफ दीवार बनी हुई है। इसमें बारह प्रवेश द्वार है। यह बारह द्वार अमृतसर की कहानी बयान करते हैं। अमृतसर दर्शन के लिए सबसे अच्छा साधन साईकिल रिक्शा और ऑटो हैं। इसी प्रचालन को आगे बढ़ाने और विरासत को सँभालने के उद्देश से पंजाब पर्यटन विभाग ने फाजिल्का की एक गैर सरकारी संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का से मिलकर, फाजिल्का से शुरू हुए इकोफ्रेंडली रिक्शा ने नए रूप, "ईको- कैब" को अमृतसर में भी शुरू कर दिया है। अब अमृतसर में रिक्शा की सवारी करते समय ना केवल पर्यटकों की जानकारी के लिए ईको- कैब में शहर का पर्यटन मानचित्र है, बल्कि पीने के लिए पानी की बोतल, पढ़ने के लिए अख़बार और सुनने के लिए एफ्फ़ एम्म रेडियो जैसे सुविधाएं भी है।

मुख्य आकर्षण

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर अमृतसर का सबसे बड़ा आकर्षण है। इसका पूरा नाम हरमंदिर साहब है लेकिन यह स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्वत में उस तालाब के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु रामदास ने अपने हाथों से कराया था।

सिक्ख केवळ भगवान में विश्वास करते। उनके लिए गुरु ही सब कुछ हैं। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिर के सामने सर झुकाते हैं, फिर पैर धोने के बाद सीढ़ियों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं। सीढ़ियों के साथ-साथ स्वर्णमंदिर से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है। स्वर्ण मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था की गई है। सिक्खों के लिए स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपुर्ण है। सिक्खों के अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहां आते हैं। उनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटूट आस्था है।

हरमंदिर साहब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दिवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरु बानी की स्वर लहरियां गुंजती रहती हैं। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा हुआ है।

जलियांवाला बाग

जलियांवाला बाग स्मारक

13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। यह सभा ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध थी। इस सभा को बीच में ही रोकने के लिए जनरल डायर ने बाग के एकमात्र रास्ते को अपने सैनिकों के साथ घेर लिया और भीड़ पर अंधाधुंध गोली बारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में बच्चों, बुढ़ों और महिलाओं समेत लगभग 300 लोगों की जान गई और 1000 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक माना जाता है।

जलियां वाला बाग हत्याकांड इतना भयंकर था कि उस बाग में स्थित कुआं शवों से पूरा भर गया था। अब इसे एक सुन्दर पार्क में बदल दिया गया है और इसमें एक संग्राहलय का निर्माण भी कर दिया गया है। इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जलियांवाला बाग ट्रस्ट की है। यहां पर सुन्दर पेड लगाए गए हैं और बाड़ बनाई गई है। इसमें दो स्मारक भी बनाए गए हैं। जिसमें एक स्मारक रोती हुई मूर्ति का है और दूसरा स्मारक अमर ज्योति है। बाग में घुमने का समय गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 10 बजे से शाम 5 तक रखा गया है।

अन्य दर्शनीय स्थल

गुरुद्वारे

अमृतसर की दक्षिण दिशा में संतोखसर साहब और बिबेसर साहब गुरूद्वार है। इनमें से संतोखसर गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर से भी बड़ा है। महाराजा रणजीत सिंह ने रामबाग पार्क में एक समर पैलेस बनवाया था। इसकी अच्छी देखरेख की गई जिससे यह आज भी सही स्थिति में हैं। इस महल की बाहरी दीवारों पर लाल पत्थर लगे हुए हैं। इस महल को अब महाराजा रणजीत सिंह संग्राहलय में बदल दिया गया है। इस संग्राहलय में अनेक चित्रों और फर्नीचर को प्रदर्शित किया गया है। यह एक पार्क के बीच में बना हुआ है। इस पार्क को बहुत सुन्दर बनाया गया है। इस पार्क को लाहौर के शालीमार बाग जैसा बनाया गया है। संग्राहलय में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया है। यह सोमवार को बंद रहता है।

दुर्ग्याणा मंदिर

प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित हैं। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर है। इस मंदिर को हरमंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर के जलाशय के मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बना हुआ है। दुर्गीयाना मंदिर के बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर है। दंत कथाओं के अनुसार यही वह स्थान है जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ के घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।

खरउद्दीन मस्जिद

यह मस्जिद गांधी गेट के नजदीक हॉल बाजार में स्थित है। नमाज के समय यहां बहुत भीड़ होती है। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों से भरा होता है। उचित देखभाल के कारण भारी भीड के बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई है। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश करती है मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें। यह बात ध्यान देने योग्य है कि जलियांवाला बाग सभा के मुख्य वक्ता डॉ सैफउद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल इसी मस्जिद से ही सभा को संबोधित कर रहे थे।

बाबा अटल राय स्तंभ

यह गुरु हरगोविंदसिंह के नौ वर्षीय पुत्र का शहादत स्थल है।

आसपास के दर्शनीय स्‍थल

वागाह-अटारी बॉर्डर

वागाह बोर्डर पर हर शाम भारत की सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की सैनिक टुकडियां इकट्ठी होती है। विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त के दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त होता है और भारत के स्वतंत्रता दिवस की सुबह होती है उस शाम वहां पर शांति के लिए रात्रि जागरण किया जाता है। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति भी दी जाती है। इसके अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।

तरन तारन

अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एक तालाब है। ऐसी मान्यता है कि इसके पानी में बीमारियों को दूर करने की ताकत है। यह तालाब बिमारियों को अपने अंदर घोल लेता है।

खानपान

अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। खाने-पीने वाले शौकीन लोगों के लिए पंजाब स्वर्ग माना जाता है। दरबार साहिब के दर्शन करने के बाद अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लेने के लिए भरावन के ढाबे पर जाते हैं। यहां की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध हैं। अमृतसर के अमृतसरी कुल्चे बहुत प्रसिद्ध है। अमृतसरी कुल्चों के लिए सबसे बेहतर जगह मकबूल रोड के ढा़बे हैं, यहां केवल 2 बजे तक ही कुल्चे मिलते हैं। पपडी़ चाट और टिक्की के लिए बृजवासी की दूकान प्रसिद्ध है। यह दूकान कूपर रोड पर स्थित है। लारेंस रोड पर बी.बी.डी.ए.वी. गर्ल्‍स कॉलेज के पास शहर के सबसे अच्छे आम पापड़ मिलते हैं।

खाने के साथ-साथ अमृतसर अपने मांसाहारी व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। मासंहारी व्यंजनों में अमृतसरी मछी बहुत प्रसिद्ध है। इस व्यंजन को चालीस साल पहले चिमन लाल ने तैयार किया था। अब यह व्यंजन अमृतसर के मांसाहारी व्यंजनों की पहचान है। लारेंस रोड पर 6. सूरजीत चिकन हाऊस अपने भूने हुए चिकन के लिए और कटरा शेर सिंह अपनी अमृतसरी मछी के लिए पूरे अमृतसर में प्रसिद्ध है।

बाजार-हाटvbb

अमृतसर का बाजार काफी अच्छा है। यहां हर तरह के देशी और विदेशी कपडे़ मिलते हैं। यह बाजार काफी कुछ लाजपत नगर जैसा है। अमृतसर के पुराने शहर के हॉल बाजार के आस-पास के क्षेत्र मुख्यत: कोतवाली क्षेत्र के पास परंपरागत बाजार हैं। इन बाजारों के अलावा यहां पर अनेक कटरे भी हैं। यहां पर आभूषणों से लेकर रसोई तक का सभी सामान मिलता है। यह अपने अचारों और पापडों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पंजाबी पहनावा भी पूरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है। खासकर लड़कियों में पंजाबी सूट के प्रति बहुत चाव रहता है। सूटों के अलावा यहां पर पगडी़, सलवार-कमीज, रूमाल और पंजाबी जूतियों की बहुत मांग हैं। दरबार साहब के बाहर जो बाजार लगता है। वहां पर स्टील के उच्च गुणवत्ता वाले बर्तन और कृपाण मिलते हैं। कृपाण को सिक्खों में बहुत पवित्र माना जाता है। इन सब के अलावा यहां पर सिक्ख धर्म से जुड़ी किताबें और साहित्य भी प्रचुर मात्रा में मिलता है।

स्थिति

यह भारत के बिल्कुल पश्चिम छोर पर स्थित है। यहां से पाकिस्तान केवल 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 द्वारा करनाल, अम्बाला, खन्ना,जलंधर और लुधियाना होते हुए अमृतसर पहुंचा जा सकता है।

दूरी: यह दिल्ली से उत्तर पूर्व में 447 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

अमृतसर जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है

आवागमन

दिल्ली से यात्रा में लगने वाला समय: रेलमार्ग और सडक मार्ग से 9 घंटे, वायुमार्ग से 1 घंटा।

वायु मार्ग

श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र अमृतसर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर राजासांसी में स्थित है, जिसे तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। यह हवाई अड्डा दिल्ली से अच्छी तरह जुडा हुआ है।

रेल मार्ग

दिल्ली से शताब्दी, व कई एक्सप्रैस और मेल ट्रेनों द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचा जा सकता है।

हिसार-अमृतसर14653 में लगने वाला समय 12:05 AM - 07:20 AM किराया ₹125 रोजाना का

सडक मार्ग

अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पहुंचा जा सकता है। बीच में विश्राम करने के लिए रास्ते में सागर रत्ना, लक्की ढाबा और हवेली अच्छे रस्तरां है। यहां पर रूककर कुछ देर आराम किया जा सकता है और खाने का आनंद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं।

अमृतसर घूमने का सही समय

अमृतसर घूमने का सबसे सही समय सर्दियों का मौसम माना जाता है यानी की अक्टूबर से लेकर फरवरी माह तक क्योंकि इसी समय अमृतसर में काफी पर्यटक घूमने आते हैं। गर्मीयो के मौसम में यहां पर बहुत गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से इस समय अमृतसर की यात्रा करने से बचना चाहिए।

राजनीति

बख्शी राम अरोड़ा इस शहर के महापौर हैं। कांग्रेस के गुरूजीत सिंह औंजला यहाँ से साँसद हैं। अमृतसर शहर में पाँच विधान सभा निर्वाचनक्षेत्र हैं, तथा यहाँ के विधायक हैं-अनिल जोशी, नवजोत कौर सिद्धू, ओमप्रकाश सोनी, राज कुमार, इंदरबीर सिंह। अमृतसर जिले में कुल ११ विधान सभा निर्वाचनक्षेत्र आते हैं।[6]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

🔥 Top keywords: जय श्री रामराम नवमीश्रीरामरक्षास्तोत्रम्रामक्लियोपाट्रा ७राम मंदिर, अयोध्याहनुमान चालीसानवदुर्गाअमर सिंह चमकीलामुखपृष्ठहिन्दीभीमराव आम्बेडकरविशेष:खोजबड़े मियाँ छोटे मियाँ (2024 फ़िल्म)भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेशभारतीय आम चुनाव, 2024इंडियन प्रीमियर लीगसिद्धिदात्रीमिया खलीफ़ाखाटूश्यामजीभारत का संविधानजय सिया रामसुनील नारायणलोक सभाहनुमान जयंतीनरेन्द्र मोदीलोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूचीभारत के प्रधान मंत्रियों की सूचीगायत्री मन्त्ररामायणअशोकप्रेमानंद महाराजभारतीय आम चुनाव, 2019हिन्दी की गिनतीसट्टारामायण आरतीदिल्ली कैपिटल्सभारतश्रीमद्भगवद्गीता