इलख़ानी साम्राज्य

इलख़ानी साम्राज्य या इलख़ानी सिलसिला (फ़ारसी: سلسله ایلخانی‎, सिलसिला-ए-इलख़ानी; मंगोल: Хүлэгийн улс, हुलेगु-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Ilkhanate) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में ईरान और अज़रबेजान में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसकी स्थापना चंगेज़ ख़ान के पोते हलाकु ख़ान ने की थी और इसके चरम पर इसमें ईरान, ईराक़, अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मीनिया, अज़रबेजान, तुर्की, जोर्जिया और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे। इलख़ानी बहुत से धर्मों के प्रति सहानुभूति रखते थे लेकिन इनमें बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म को विशेष स्वीकृति हासिल थी।[1] इलख़ानी सिलसिले में महमूद ग़ाज़ान ने १२९५ में इस्लाम अपनाया और उसके बाद के शासकों ने शिया इस्लाम को बढ़ावा दिया। इलख़ानी साम्राज्य सन् १२५६ से १३३५ तक चला।[2][3]

अपने चरम पर इलख़ानी साम्राज्य

नाम की उत्पत्ति और उच्चारण

मंगोल भाषा में 'इल-ख़ान' का मतलब था 'सर्वोच्च ख़ान के अधीन वाला ख़ान' और इस साम्राज्य के शुरू में इसे महान मंगोल साम्राज्य के अधीन एक हिस्सा माना जाता था।[4] 'इलख़ान' में 'ख़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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