झुआंग लोग
झुआंग (झुआंग: Bouxcuengh, चीनी: 壮族, अंग्रेज़ी: Zhuang) दक्षिणी चीन में बसने वाली एक मानव जाति का नाम है। यह अधिकतर चीन के गुआंगशी प्रांत में रहते हैं, जिस वजह से उसे 'गुआंगशी झुआंग स्वशासित प्रदेश' (Guangxi Zhuang Autonomous Region) भी कहा जाता है। इसके आलावा झुआंग समुदाय युन्नान, गुआंगदोंग, गुइझोऊ और हूनान प्रान्तों में भी मिलते हैं। कुल मिलाकर दुनिया भर में झुआंग लोगों की आबादी १.८ करोड़ है। हान चीनी लोगों के बाद यह चीन का दूसरा सबसे बड़ा जातीय समुदाय है। झुआंग भाषाएँ ताई-कादाई भाषा-परिवार की सदस्य हैं - इस परिवार की भाषाएँ पूर्वोत्तर भारत में भी मिलती हैं।
चीनी भाषा में नाम
पुराने ज़माने में चीनी लोग झुआंग लोगों का नाम चीनी भावचित्रों में तिरस्कार-पूर्वक ढंग से '獞' लिखते थे, जिसका उच्चारण तो 'झुआंग' है लेकिन जिसका अर्थ 'एक क़िस्म के जंगली कुत्ते' है। १९४९ में चीन पर साम्यवादियों (कोम्युनिस्टों) का क़ब्ज़ा होने के बाद उन्होंने सरकारी स्तर पर इसे बदलकर '僮' कर दिया जिसका मतलब 'नौकर लड़का' है और उच्चारण 'झुआंग' ही है। आगे चलकर जब चीनी भावचित्रों का सरलीकरण किया गया तो इसे 壮 किया गया जिसका मतलब 'तंदुरुस्त या शक्तिशाली' है। इसका उच्चारण अभी भी 'झुआंग' ही है।[1]
आनुवंशिकी (जॅनॅटिक) जड़ें
आनुवंशिकी (जॅनॅटिक) अनुसन्धान से पता चला है कि बहुत से झुआंग पुरुष पितृवंश समूह ओ२ (O2) के वंशज हैं और इनमें पितृवंश समूह ओ१ (O1) के भी कुछ वंशज पाए जाते हैं। देखा गया है कि बहुत से ताइवान के आदिवासी लोग भी ओ१ के वंशज हैं। ऊपर से भाषावैज्ञानिकों को यह भी शक़ है कि हो सकता है कि ताई-कादाई भाषाएँ ताइवान पर ऑस्ट्रोनीशियाई भाषाओँ के साथ शुरू हुई हों।[2] अगर यह सत्य है तो संभव है कि झुआंग लोगों के पूर्वज ताइवान से चीन की मुख्यभूमि पर आए हों।
विवरण
झुआंग लोग अपनी भाषाएँ पुराने ज़माने में चीनी भावचित्रों, रोमन लिपि और सिरिलिक लिपि को इस्तेमाल कर के लिखा करते थे। जब चीनी भावचित्रों का प्रयोग झुआंग भाषाओँ के लिए किया जाता था तो उसे 'साउंदिप' (Sawndip) कहा जाता था। आधुनिक काल में झुआंग भाषाओँ को केवल रोमन लिपि में ही लिखने की प्रथा है। झुआंग लोगों का खानपान भी अलग है। इसमें खारे पानी या सिरके में कुछ दिनों तक भिगोई बंदगोभी और अन्य सब्ज़ियाँ, सूअर का मांस और सुखाई हुई मछलियाँ शामिल हैं। यह एक 'तेल चाय' नाम की विचित्र चाय भी पीते हैं जिसे चाय के पत्तों को तलकर चावल के दानों के साथ घोलकर बनाया जाता है। तेल चाय के साथ अक्सर मूंगफलियाँ या चावल के पेड़े खाए जाते हैं।
झुआंग लोगों का अपना 'मो' (Mo) या 'शिगोंग' (Shigong) नामक धर्म है जिसमें पूर्वजों को पूजा जाता है। इस धर्म के पुजारियों को बू मो (Bu Mo) कहते हैं और इसके अपने मन्त्र और सूत्र हैं। मो धर्म में ब्रह्माण्ड की कृति करने वाले भगवान को बू लुओतुओ (Bu Luotuo) पुकारा जाता है और यह मान्यता है कि समस्त चीज़ें तीन मूल तत्वों - पानी, धरती और आकाश - के मिश्रण से बनी हैं।