बड़ी इलायची

बड़ी इलायची के सुखाये हुए फल और बीज भारतीय तथा अन्य देशों के व्यंजनों में मसाले के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसे 'काली इलायची', 'भूरी इलायची', 'लाल इलायची', 'नेपाली इलायची' या 'बंगाल इलायची'[1] भी कहते हैं। इसके बीजों में से कपूर की तरह की खुशबू आती है और थोड़ा धूंये का सा स्वाद आता है जो उसके सुखाने के तरीके से आता है।

बड़ी इलायची
बड़ी इलायची का फल
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत:पादप
अश्रेणीत:एंजियोस्पर्म
अश्रेणीत:एक बीजपत्री
अश्रेणीत:कॉमलिनिड
गण:ज़िन्जिबरेल
कुल:ज़िन्जिबरेसी
वंश:ऍमोमम
जाति:ए. सुबुलेटम, ए. कॉस्टेटम
द्विपद नाम
ऍमोमम सुबुलेटम, ऍमोमम कॉस्टेटम
(ए. सुबुलेटम) रॉक्सबर्ग (ए. कॉस्टेटम) बॅन्थ और ऍफ़. हुक

और ये भी पढ़ें:- छोटी इलायची के फायदे।

बड़ी इलायची का नाम संस्कृत में एला, काता इत्यादि, मराठी में वेलदोड़े, गुजराती में मोटी एलची तथा लैटिन में ऐमोमम कार्डामोमम है।

इसके वृक्ष से पाँच फुट तक ऊँचे भारत तथा नेपाल के पहाड़ी प्रदेशों में होते हैं। फल तिकोने, गहरे कत्थई रंग के और लगभग आधा इंच लंबे तथा बीज छोटी इलायची से कुछ बड़े होते हैं।

आयुर्वेद तथा यूनानी उपचार में इसके बीजों के लगभग वे ही गुण कहे गए हैं जो छोटी इलायची के बीजों के। परंतु बड़ी इलायची छोटी से कम स्वादिष्ट होती है।

अभिलक्षण

इसके सुखाए गई फलियाँ मसाले के रूप में छोटी इलायची की ही तरह इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन जहाँ छोटी इलायची का इस्तेमाल मीठे पकवानों में भी किया जाता है, वहीं बड़ी इलायची आमतौर पर अपनी ख़ुशबू और स्वाद के कारण नमकीन व्यंजनों में ही इस्तेमाल की जाती है। खुली आग में सुखाने के परम्परागत तरीक़े की वजह से इसमें अनूठा धूंये का स्वाद आता है।

जातियाँ

इसकी कम से कम दो जातियाँ पहचानी जाती हैं:-

  • ऍमोमम सुबुलेटम जिसे नेपाली इलायची भी कहते हैं और
  • ऍमोमम कॉस्टेटम

ए. सुबुलेटम की फलियाँ दोनों में से छोटी होती हैं और भारतीय तथा पाकिस्तानी व्यंजनों में इस्तेमाल की जाती हैं जबकि ए. कॉस्टेटम की बड़ी फलियाँ चीनी व्यंजनों में पड़ती हैं।

व्यंजनों में इस्तेमाल

जिनको इस मसाले का ज्ञान नहीं है उनके द्वारा बड़ी इलायची को कभी-कभी त्रुटीपूर्वक छोटी इलायची का सस्ता विकल्प समझ लिया जाता है।[2]

भारत और पाकिस्तान में

भारत और पाकिस्तान में इसका पुलाव इत्यादि बनाने में काफ़ी इस्तेमाल किया जाता है। मुग़लई व्यंजनों में भी इसका प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल होता है। गरम मसाले में भी यह एक अहम सामग्री है। पारंपरिक मसालेदार चाय के मसाले में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है।

चीन में

चीन में, ख़ासकर उसके मध्य-पश्चिमी सिचुआन प्रान्त में, दम देकर पकाई गईं जिन-जिन मीट पकवानों में इसकी फलियाँ इस्तेमाल में लाई जाती हैं।

वियतनाम में

वियतनाम में इसकी फलियों को थाओ क़ा कहा जाता है और वहाँ नूडल सूप बनाने की सामग्री में इनका इस्तेमाल होता है।

उत्पादन

बड़ी इलायची का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक नेपाल है और उसके बाद क्रमशः भारत और भूटान हैं।

दवा के रूप में

चीन में इसका इस्तेमाल उदर विकार तथा मलेरिया के उपचार में किया जाता है।[3]

सन्दर्भ


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