महान अल-नूरी मस्जिद
महान अल-नूरी मस्जिद (अरबी: جامع النوري जामी अल-नूरी ) मोसुल, इराक में एक मस्जिद थी। इसकी प्रसिद्धि इसकी झुकी हुई मीनार से थी, जिसने शहर को इसका उपनाम "कुबड़ा" (الحدباء अल-हब्दा) दिया था। माना जाता है कि इस मस्जिद को पहले पहल 12वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था, हालांकि इसके बाद इसका कई बार पुनर्निर्माण किया गया। अपने 850 वर्षों के इतिहास में इस मस्जिद ने शत्रु सेनाओं के बहुत सारे आक्रमण झेले लेकिन अंतत: 21 जून 2017 को इराक और लेवांत के इस्लामिक राष्ट्र (आईएसआईएल) ने मोसुल की लड़ाई के दौरान इसे नष्ट कर दिया।
अल-नूरी मस्जिद | |
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جامع النوري | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | सुन्नी इस्लाम |
प्रोविंस | निनवेह मुहाफज़ात |
निर्माण वर्ष | 1172–1173 |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | मोसुल |
भौगोलिक निर्देशांक | 36°20′35″N 43°7′36″E / 36.34306°N 43.12667°E 43°7′36″E / 36.34306°N 43.12667°E |
वास्तु विवरण | |
शैली | इस्लामिक |
ध्वंस | 21 जून 2017 |
आयाम विवरण | |
मीनार ऊँचाई | 45 मीटर (148 फीट) |
निर्माण सामग्री | ईंट, पत्थर, हज़ारबाफ |
इराकी सैनिकों ने आईएसआईएस को इस मस्जिद के विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराया है[1], क्योंकि उसने इसे अपने हाथ से जाने देने के बजाय बर्बाद करने का काम किया। इस मस्जिद का आईएसआईएस और उसके नेता अबू बक्र अल-बगदादी के लिए एक प्रतीकात्मक महत्त्व था, क्योंकि 2014 में आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल अपने "खलीफा" को घोषित करने के लिए किया था। जून 2014 में आतंकियों के इराक और सीरिया में आगे बढ़ने और एक विशाल इलाके को अपने कब्ज़े में लेने के बाद से आईएसआईएस का काला ध्वज इस मस्जिद की 45 मीटर मीनार ऊंची से फहरा रहा था, और उन्होंने दावा किया था कि अब उनका ध्वज कभी भी नीचे नहीं उतरेगा। आधिकारिक दस्तावेजों और स्थानीय मुस्लिम चश्मदीदों के विपरीत, आईएसआईएस ने इसे नष्ट करने का आरोप लगाया संयुक्त राज्य अमेरिका पर लगाया है, हालांकि आईएसआईएस का यह दावा साबित नहीं हुआ।
इराकी प्रधान मंत्री हैदर अल-अबादी ने कहा कि आईएसआईएस द्वारा मस्जिद का विनाश किया जाना उनकी "हार की घोषणा" है[2], और "अल-हब्दा मीनार और अल-नूरी मस्जिद को विस्फोट से उड़ाना आईएसआईएस द्वारा हार की आधिकारिक स्वीकारोक्ति है।"[3]