'कोह' फ़ारसी भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब 'पर्वत' होता है। अन्य हिन्द-ईरानी भाषाओँ में यही शब्द पश्तो में 'ग़र', प्राचीन अवस्ताई भाषा में 'गैरी' और संस्कृत में 'गिरि' के रूप में सजातीय शब्द के तौर पर मिलता है। कोहिस्तान ज़िले में बहुत से पहाड़ हैं, जिस से यह शब्द आया है।
नाम का अन्य भाषाओँ के लिए प्रयोग
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के पश्तून लोग कभी-कभी इस इलाक़े के सभी ग़ैर-पश्तून लोगों को 'कोहिस्तानी' बुलाते हैं। ब्रिटिश राज के दौरान हुए एक समीक्षण ने पाया कि 'इन्हें और हिन्दू-कुश की वादियों के सभी भारतीय मुसलमानों को पठान कोहिस्तानी बुलाते हैं'।[1] इस वजह से इसी क्षेत्र में बोली जाने वाली कलामी और तोरवाली भाषाएँ भी कभी-कभी कोहिस्तानी कहलाई जाती हैं हालाँकि भाषावैज्ञानिक नज़रिए से वे सिन्धु-कोहिस्तानी से अलग दो दार्दी भाषाएँ हैं।