अल्ताई भाषा-परिवार
अल्ताई (अंग्रेज़ी: Altaic languages, ऑल्टेइक लैन्गवेजिज़) एक भाषा-परिवार है जिसमें तुर्की भाषाएँ, मंगोल भाषाएँ, तुन्गुसी भाषाएँ, जापानी भाषाएँ और कोरियाई भाषा आती हैं। अल्ताई भाषाएँ यूरेशिया के बहुत ही विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती हैं जो पूर्वी यूरोप से लेकर मध्य एशिया से होता हुआ सीधा जापान तक जाता है। इस परिवार में कुल मिलकर लगभग ७० जीवित भाषाएँ आती हैं और इन्हें बोलने वालों की तादाद वर्तमान विश्व में लगभग ५० करोड़ है।
विवाद
बहुत से भाषावैज्ञानिकों के इस भाषा-परिवार के अस्तित्व को मानाने के बावजूद कुछ ऐसे विद्वान भी हैं जो इसे नहीं मानते। इनका कहना है कि ऐसा कोई भाषा-परिवार नहीं है और इन सब पृथक भाषाओँ को ज़बरदस्ती एक समूह में ठूंसा जा रहा है। यह बात सभी मानते हैं कि इन भाषाओँ की बहुत सी चीज़ें आपस में मिलती हैं। अल्ताई भाषा-परिवार के हिमायती कहते हैं कि यह इसलिए हैं क्योंकि यह सभी एक ही प्राचीन आदिम-अल्ताई भाषा की संतानें हैं। अल्ताई भाषा-परिवार के विरोधी कहते हैं कि ऐसी कोई भाषा कभी थी ही नहीं और इन भाषा की समानताएँ इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि इन्हें बोलने वालों में आपसी मिश्रण बहुत रहा है जिस से इन्होंने एक-दुसरे को गहरे रूप से प्रभावित किया है।[1]
नाम की उत्पत्ति
भाषावैज्ञानिकों का मानना है कि यह भाषा-परिवार जिस आदिम भाषा से शुरू हुआ वह मध्य एशिया के अल्ताई पर्वतों में बोली जाती थी। इसी से इस भाषा-परिवार का नाम पड़ गया है।[2]