कोलोन

कोलोन (जर्मन: Köln [kœln] ; अंग्रेजी उच्चारण: /kəˈloʊn/) बर्लिन, हैम्बर्ग और म्युनिख़ के बाद जर्मनी का चौथा सबसे बड़ा शहर है। कोलोन, राइन नदी के दोनों तरफ बसा हुआ है। शहर का मशहूर कोलोन कैथेड्रल, कोलोन के कैथोलिक आर्कबिशप का निवास है। कोलोन विश्वविद्यालय यूरोप के सबसे पुराने और बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है जिसमें लगभग 44,000 विद्यार्थी पढ़ते हैं।[1]

मध्य कोलोन का दृष्य
Köln
कोलोन (Cologne)
From top to bottom, left to right: Hohenzollern Bridge by night, Great St. Martin Church, Colonius TV-tower, Cologne Cathedral, Kranhaus buildings in Rheinauhafen, MediaPark
From top to bottom, left to right:
Hohenzollern Bridge by night, Great St. Martin Church, Colonius TV-tower, Cologne Cathedral, Kranhaus buildings in Rheinauhafen, MediaPark
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Hohenzollern Bridge by night, Great St. Martin Church, Colonius TV-tower, Cologne Cathedral, Kranhaus buildings in Rheinauhafen, MediaPark

कोलोन (Cologne) का झंडा
कोलोन (Cologne) का कुल-चिन्ह
कोलोन (Cologne) is located in जर्मनी
कोलोन (Cologne)
कोलोन (Cologne)
निर्देशांक50°56′11″N 6°57′10″E / 50.93639°N 6.95278°E / 50.93639; 6.95278
प्रशासन
देशजर्मनी
राज्यउत्तर राइन - वेस्टफेलिया
प्रशासकीय क्षेत्रCologne
जिलाUrban districts of Germany
Lord MayorHenriette Reker
बुनियादी आँकड़े
क्षेत्रफल405.15 कि॰मी2 (4.3610×109 वर्ग फुट)
ऊँचाई37 m  (121 ft)
जनसंख्या10,57,327  (31 दिसम्बर 2014)
 - घनत्व2,610 /km2 (6,759 /sq mi)
 - महानगर1,13,16,429 (Rhine-Ruhr) 
स्थापना38 BC
अन्य जानकारी
समय मंडलसीइटी/सीइएसटी (UTC+1/+2)
पंजीकरण प्लेटK
डाक कूटs50441–51149
स्थान कूटs0221, 02203 (Porz)
जालस्थलwww.stadt-koeln.de

इतिहास

कोलोन लगभग दो हजार वर्ष पुराना शहर है।[2] ई. पू. 38 में यह रोमन सैनिक अड्डा था। 50 ई. के बाद रोम के राजा क्लाडियस ने अपनी पत्नी कोलोनिया अग्रीपिनेन्सिन के नाम पर इसका नामकरण किया। 870 ई. में यह जर्मनी के अधिकार में आ गया।[उद्धरण चाहिए]

मध्यकालीन युग में यह नगर पूर्व की वस्तुओं, रेशम और मसाले का वितरण केंद्र रहा।[उद्धरण चाहिए] महत्वपूर्ण स्थिति के कारण इसपर विभिन्न शक्तिशाली राष्ट्रों की निगाह बराबर लगी रहती रही। 1794 ई. में फ्रांसीसियों ने, 1815 ई. में प्रशा वालों ने, तथा 1918 से 1926 ई. तक अंग्रेजों ने इसे अपने अधिकार में रखा।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बमबर्षा के कारण इस नगर का दो तिहाई भाग पूर्णत: नष्ट हो गया था।[3] इसकी वर्तमान उन्नति रूर औद्योगिक क्षेत्र के सामीप्य से हुई है। यह नगर अनेक रेलमार्गो का केंद्र और महत्व का नदीपत्तन है। यहाँ से अन्न, मद्य, तेल आदि का बेल्जियम, हालैंड और स्विटज़रलैंड को निर्यात होता है। यहाँ तंबाकू, सिगार, चाकलेट, साबुन, बिजली के सामान, रासायनक, जहाज, मोटर, सूती कपड़े, रबर, शीशे, आदि के सामान बनाने के कारखाने हैं। यहाँ का गोथिक कैथेड्रल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।[4]

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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